अलीगढ़: आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी का अधिकार दिए जाने पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) खफा है. इसे लेकर खिचड़ी मेडिकल शिक्षा के खिलाफ आईएमए 8 दिसंबर को 2 घंटे का सांकेतिक हड़ताल करेगा. 11 दिसंबर को देश भर में इमरजेंसी एवं कोविड-19 सेवा छोड़कर अन्य सेवाएं बंद रखेगा.
हर मर्ज का इलाज आधुनिक तरीके से
प्रदेश महासचिव डॉक्टर जयंत शर्मा ने कहा कि मॉडर्न मेडिसिन पूरी तरीके से रिसर्च पर आधारित विद्या है, जिसमें हर मर्ज का इलाज आधुनिक तरीके से किया जाता है. यह विद्या हर महामारी के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. उन्होंने बताया कि कोविड-19 महामारी के लिये जो दवाई या वैक्सीन आ रही है. उसमें मॉडर्न चिकित्सकों का ही योगदान है. खिचड़ी शिक्षा पद्धति नागरिकों के लिए खतरे की घंटी है.
आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी की पूरी ट्रेनिंग कराएं
आईएमए के महासचिव डॉ. जयंत शर्मा ने आयुष मंत्रालय से अपील करते हुए कहा कि हम आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी का अधिकार वापस लें. उन्होंने बताया कि 8 दिसंबर और 11 दिसंबर को एलोपैथिक डॉक्टर अपने कार्य से विरत रहेंगे. डॉ. जयंत ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से विरोध नहीं है. अगर सरकार उनको शल्य चिकित्सक बनाना चाहती है तो पूरी शल्य चिकित्सा की ट्रेनिंग दी जाए. उन्होंने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सकों को शल्य चिकित्सक की उपाधि नहीं लगानी चाहिए. उन्हें बीएएमएस वैद्य और शल्य चिकित्सक आयुर्वेद लिखना चाहिए, जिससे मरीज के विवेक के ऊपर निर्भर हो कि इलाज कहां कराना है, नहीं तो झोलाछाप पद्धति को बढ़ावा मिलेगा.
BAMS आयुर्वेद से शिक्षा लेकर आए हैं
वहीं आईएमए जिलाध्यक्ष डॉ. विपिन गुप्ता ने बताया कि सरकार की मिक्सोपैथी योजना का विरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि बीएएमएस आयुर्वेद से शिक्षा लेकर आए हैं. उन्हें शल्य चिकित्सा कैसे आएगी. अगर मास्टर ऑफ सर्जरी की डिग्री लेते हैं तो तीन साल लगता है. वहीं पोस्ट ग्रेजुएशन में 6 साल लगते हैं. सरकार अगर आयुर्वेद चिकित्सकों को छह महीने में शल्य चिकित्सा करने का अधिकार देती है. तो वह बहुत अच्छे शल्य चिकित्सक नहीं बन पाएंगे. उन्होंने बताया कि आयुर्वेद चिकित्सकों को छह महीने की ट्रेनिंग या ब्रिज कोर्स कराकर शल्य चिकित्सा करने का अधिकार दे रही हैं, जो कि ठीक नहीं है.