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धार्मिक ग्रंथों पर टीका टिप्पणी नहीं कर सकते: एडवोकेट खुर्शीदुर्रहमान शेरवानी

वसीम रिजवी के कुरान की आयतों को लेकर दायर याचिका को लेकर अलीगढ़ के एडवोकेट खुर्शीदुर्रहमान शेरवानी सुप्रीम कोर्ट से रिजवी पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की मांग करेंगे. जिससे वसीम रिजवी के ऐसे बयानों पर पाबंदी लगाई जा सके. उन्होंने कहा कि वसीम रिजवी समाज में धार्मिक दुर्भावना फैला रहे हैं.

एडवोकेट खुर्शीदुर्रहमान शेरवानी
एडवोकेट खुर्शीदुर्रहमान शेरवानी
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Published : Mar 17, 2021, 9:02 AM IST

Updated : Mar 17, 2021, 10:31 AM IST

अलीगढ़: शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने कुरान से कुछ आयतों को निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. जिसे लेकर काफी बवाल मचा हुआ है. इससे पहले विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंघल ने भी एक इंटरव्यू के दौरान इसी तरह का बयान दिया था. जिसको लेकर अलीगढ़ के एडवोकेट खुर्शीदुर्रहमान शेरवानी ने अशोक सिंघल के खिलाफ कोर्ट में केस किया था. इस मामले में सन् 2005 में अलीगढ़ के सीजेएम कोर्ट में अशोक सिंघल को पेश होना पड़ा था. हालांकि, मामले की सुनवाई पूरी होने से पहले ही अशोक सिंघल का निधन हो गया और इस मामले में कोई फैसला नहीं हो सका.

एडवोकेट खुर्शीदुर्रहमान शेरवानी
'धार्मिक ग्रंथों पर टीका टिप्पणी नहीं की जा सकती'
एडवोकेट खुर्शीदुर्रहमान शेरवानी अब वसीम रिजवी के खिलाफ कोर्ट में जाने की तैयारी में हैं. उन्होंने बताया कि 1978 में कलकात्ता हाइकोर्ट में चंदनमल चोपड़ा वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया मामले में पूरे कुरान पर पाबंदी लगाने की याचना की गई थी. तब जस्टिस चटोपाध्याय ने सुनवाई करते हुए कहा था कि गीता, कुरान, बाइबिल जैसे धार्मिकों के संबंध में कोई भी टीका टिप्पणी नहीं की जा सकती. कलकात्ता हाइकोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ कोई भी अपील सुप्रीम कोर्ट में नहीं की गई थी.

अशोक सिंघल को कोर्ट में किया था तलब
खुर्शीदुर्रहमान बताते हैं कि विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंघल ने पांचजन्य अखबार में कुरान की आयतों को लेकर गलत टिप्पणी की थी. उस समय खुर्शीदुर्रहमान ने अलीगढ़ की सीजेएम कोर्ट में धारा 153 ए, 153 बी, 295, 501 में याचिका दायर की थी. सीजेएम कोर्ट ने अशोक सिंघल को कोर्ट में तलब किया था. इसके बाद अशोक सिंघल हाईकोर्ट चले गए. जहां मामला 20 साल कोर्ट में पेंडिग रहा. लेकिन, बाद में हाईकोर्ट से अशोक सिंघल की याचिका खारिज कर दी थी. कोर्ट ने कहा था कि धार्मिक ग्रंथ पर टीका टिप्पणी नहीं कर सकते. इसके बाद अशोक सिंघल को अलीगढ़ के सीजेएम कोर्ट में हाजिरी होकर जमानत लेनी पड़ी थी.


सुप्रीम कोर्ट में पेश करेंगे दोनों मालमों की नजीर: खुर्शीदुर्रहमान

खुर्शीदुर्रमान कहते हैं कि वसीम रिजवी ने कुरान के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की है, उसमें सुनवाई के दौरान वे दोनों नजीर किसी भी माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में पहुंचायेंगे. साथ ही सुप्रीम कोर्ट से वसीम रिजवी पर भारी हर्जाना लगाने की मांग करेंगे, जिससे वसीम रिजवी के ऐसे बयानों पर पाबंदी लगाई जा सके.

निर्णय आने से पहले अशोक सिंघल का देहान्त
अशोक सिंघल मामले में सुनवाई अंतिम दौर में थी. जजमेंट होना था. लेकिन, अशोक सिंघल का 2015 में निधन हो गया. उन्होंने कहा कि वसीम रिजवी समाज में धार्मिक दुर्भावना फैला रहे है.

अलीगढ़: शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने कुरान से कुछ आयतों को निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. जिसे लेकर काफी बवाल मचा हुआ है. इससे पहले विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंघल ने भी एक इंटरव्यू के दौरान इसी तरह का बयान दिया था. जिसको लेकर अलीगढ़ के एडवोकेट खुर्शीदुर्रहमान शेरवानी ने अशोक सिंघल के खिलाफ कोर्ट में केस किया था. इस मामले में सन् 2005 में अलीगढ़ के सीजेएम कोर्ट में अशोक सिंघल को पेश होना पड़ा था. हालांकि, मामले की सुनवाई पूरी होने से पहले ही अशोक सिंघल का निधन हो गया और इस मामले में कोई फैसला नहीं हो सका.

एडवोकेट खुर्शीदुर्रहमान शेरवानी
'धार्मिक ग्रंथों पर टीका टिप्पणी नहीं की जा सकती'
एडवोकेट खुर्शीदुर्रहमान शेरवानी अब वसीम रिजवी के खिलाफ कोर्ट में जाने की तैयारी में हैं. उन्होंने बताया कि 1978 में कलकात्ता हाइकोर्ट में चंदनमल चोपड़ा वर्सेज यूनियन ऑफ इंडिया मामले में पूरे कुरान पर पाबंदी लगाने की याचना की गई थी. तब जस्टिस चटोपाध्याय ने सुनवाई करते हुए कहा था कि गीता, कुरान, बाइबिल जैसे धार्मिकों के संबंध में कोई भी टीका टिप्पणी नहीं की जा सकती. कलकात्ता हाइकोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ कोई भी अपील सुप्रीम कोर्ट में नहीं की गई थी.

अशोक सिंघल को कोर्ट में किया था तलब
खुर्शीदुर्रहमान बताते हैं कि विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अध्यक्ष अशोक सिंघल ने पांचजन्य अखबार में कुरान की आयतों को लेकर गलत टिप्पणी की थी. उस समय खुर्शीदुर्रहमान ने अलीगढ़ की सीजेएम कोर्ट में धारा 153 ए, 153 बी, 295, 501 में याचिका दायर की थी. सीजेएम कोर्ट ने अशोक सिंघल को कोर्ट में तलब किया था. इसके बाद अशोक सिंघल हाईकोर्ट चले गए. जहां मामला 20 साल कोर्ट में पेंडिग रहा. लेकिन, बाद में हाईकोर्ट से अशोक सिंघल की याचिका खारिज कर दी थी. कोर्ट ने कहा था कि धार्मिक ग्रंथ पर टीका टिप्पणी नहीं कर सकते. इसके बाद अशोक सिंघल को अलीगढ़ के सीजेएम कोर्ट में हाजिरी होकर जमानत लेनी पड़ी थी.


सुप्रीम कोर्ट में पेश करेंगे दोनों मालमों की नजीर: खुर्शीदुर्रहमान

खुर्शीदुर्रमान कहते हैं कि वसीम रिजवी ने कुरान के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दायर की है, उसमें सुनवाई के दौरान वे दोनों नजीर किसी भी माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में पहुंचायेंगे. साथ ही सुप्रीम कोर्ट से वसीम रिजवी पर भारी हर्जाना लगाने की मांग करेंगे, जिससे वसीम रिजवी के ऐसे बयानों पर पाबंदी लगाई जा सके.

निर्णय आने से पहले अशोक सिंघल का देहान्त
अशोक सिंघल मामले में सुनवाई अंतिम दौर में थी. जजमेंट होना था. लेकिन, अशोक सिंघल का 2015 में निधन हो गया. उन्होंने कहा कि वसीम रिजवी समाज में धार्मिक दुर्भावना फैला रहे है.

Last Updated : Mar 17, 2021, 10:31 AM IST
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