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यमुना एक्सप्रेस-वे हादसे के देवदूतों को नहीं आ रही नींद, सुनाई देती हैं चीखें

यमुना एक्सप्रेस-वे पर 7 जुलाई को हुए भीषण हादसे को कई दिन गुजर चुके हैं. इस हादसे में 29 लोगों की मौत हुई थी. स्थानीय लोगों ने इस दुर्घटना में 25 लोगों की जान बचाई थी, लेकिन अब उनकी नींद उड़ गई है.

यमुना एक्सप्रेसवे हादसे में ग्रामीणों ने बचाई 25 की जान.
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Published : Jul 12, 2019, 9:46 AM IST

आगरा: यमुना एक्सप्रेस-वे पर सात जुलाई को हुए दर्दनाक हादसे के बाद देवदूत की भूमिका निभाने वाले ग्रामीणों को रात में नींद नहीं आती है. ग्रामीणों ने समय पर राहत बचाव कार्य शुरू करके झरना नाले में गिरी अवध डिपो की बस में फंसे 25 से ज्यादा घायल लोगों की जान बचाई थी. इस हादसे में 29 लोगों की मौत हुई थी. अब यमुना एक्सप्रेस वे पर तेज रफ्तार दौड़ रहे वाहनों की आवाज से ग्रामीणों की नींद खुल जाती है. ईटीवी भारत से बातचीत में इन ग्रामीणों ने अपनी पीड़ा जाहिर की.

यमुना सड़क हादसे में 25 लोगों की जान बचाने वाले ग्रामीणों की पीड़ा.

7 जुलाई की वह भयानक सुबह
7 जुलाई की सुबह 4:30 बजे यमुना एक्सप्रेस वे पर अब तक का सबसे बड़ा सड़क हादसा हुआ था. आगरा के गांव चौगान के पास लखनऊ से दिल्ली जा रही अवध एक्सप्रेस बस के चालक को झपकी आ गई. इसके चलते पहले बस डिवाइडर पर 90 मीटर तक दौड़ती रही फिर बैरिकेड तोड़कर 45 फीट नीचे झरना नाले में जा गिरी थी. इस हादसे में 29 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि बस में सवार 25 लोग घायल हुए थे. इस हादसे को 4 दिन बीत चुके हैं और यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी की ओर से इस हादसे के जख्मों को भरा जा रहा है. झरना नाले के पुल पर नया बैरिकेड्स भी लगा दिया गया है, लेकिन इस हादसे में सबसे पहले राहत कार्य शुरू करने वाले ग्रामीणों की पूरी दिनचर्या बदल गई है.

14 लोगों की जान बचाने वाले निहाल सिंह
हादसे के बाद सबसे पहले मौके पर पहुंचे निहाल सिंह रातों को सो नहीं पा रहे हैं. निहाल ने 14 घायलों को अकेले ही अपने दम पर बस से निकाला था. निहाल सिंह का कहना है कि जब से वह हादसा हुआ है तब से उन्हें रात में नींद नहीं आती. सोते समय लोगों की मदद की चीख-पुकार सुनाई देती है. ऐसे में उनकी नींद खुल जाती है. उसे लगता है कि कोई उसे मदद के लिए बुला रहा है. ग्रामीण प्रेमपाल सिंह का कहना है कि इस राहत कार्य में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी, लेकिन हादसे के बाद से उन्हें भी रात में नींद नहीं आती है. अब तेज रफ्तार वाहनों की आवाज से भी उनकी नींद खुल जाती है और ऐसा लगता है कि कहीं हादसा हो गया है. हमें दौड़ करके मदद करने के लिए जाना चाहिए.

आगरा: यमुना एक्सप्रेस-वे पर सात जुलाई को हुए दर्दनाक हादसे के बाद देवदूत की भूमिका निभाने वाले ग्रामीणों को रात में नींद नहीं आती है. ग्रामीणों ने समय पर राहत बचाव कार्य शुरू करके झरना नाले में गिरी अवध डिपो की बस में फंसे 25 से ज्यादा घायल लोगों की जान बचाई थी. इस हादसे में 29 लोगों की मौत हुई थी. अब यमुना एक्सप्रेस वे पर तेज रफ्तार दौड़ रहे वाहनों की आवाज से ग्रामीणों की नींद खुल जाती है. ईटीवी भारत से बातचीत में इन ग्रामीणों ने अपनी पीड़ा जाहिर की.

यमुना सड़क हादसे में 25 लोगों की जान बचाने वाले ग्रामीणों की पीड़ा.

7 जुलाई की वह भयानक सुबह
7 जुलाई की सुबह 4:30 बजे यमुना एक्सप्रेस वे पर अब तक का सबसे बड़ा सड़क हादसा हुआ था. आगरा के गांव चौगान के पास लखनऊ से दिल्ली जा रही अवध एक्सप्रेस बस के चालक को झपकी आ गई. इसके चलते पहले बस डिवाइडर पर 90 मीटर तक दौड़ती रही फिर बैरिकेड तोड़कर 45 फीट नीचे झरना नाले में जा गिरी थी. इस हादसे में 29 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि बस में सवार 25 लोग घायल हुए थे. इस हादसे को 4 दिन बीत चुके हैं और यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी की ओर से इस हादसे के जख्मों को भरा जा रहा है. झरना नाले के पुल पर नया बैरिकेड्स भी लगा दिया गया है, लेकिन इस हादसे में सबसे पहले राहत कार्य शुरू करने वाले ग्रामीणों की पूरी दिनचर्या बदल गई है.

14 लोगों की जान बचाने वाले निहाल सिंह
हादसे के बाद सबसे पहले मौके पर पहुंचे निहाल सिंह रातों को सो नहीं पा रहे हैं. निहाल ने 14 घायलों को अकेले ही अपने दम पर बस से निकाला था. निहाल सिंह का कहना है कि जब से वह हादसा हुआ है तब से उन्हें रात में नींद नहीं आती. सोते समय लोगों की मदद की चीख-पुकार सुनाई देती है. ऐसे में उनकी नींद खुल जाती है. उसे लगता है कि कोई उसे मदद के लिए बुला रहा है. ग्रामीण प्रेमपाल सिंह का कहना है कि इस राहत कार्य में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई थी, लेकिन हादसे के बाद से उन्हें भी रात में नींद नहीं आती है. अब तेज रफ्तार वाहनों की आवाज से भी उनकी नींद खुल जाती है और ऐसा लगता है कि कहीं हादसा हो गया है. हमें दौड़ करके मदद करने के लिए जाना चाहिए.

Intro:आगरा.
यमुना एक्सप्रेस वे पर सात जुलाई को हुए दर्दनाक हादसे के बाद देवदूत की भूमिका निभाने वाले ग्रामीणों को रात में नींद नहीं आती है. ग्रामीणों ने समय पर राहत बचाव कार्य शुरू करके झरना नाले में गिरी अवध डिपो की बस में फंसे 25 से ज्यादा घायल लोगों को निकाल जान बचाई थी. इस हादसे में 29 लोगों की मौत हुई थी. अब यमुना एक्सप्रेस वे पर से तेज रफ्तार दौड़ रहे वाहन से की आवाज से ग्रामीणों की नींद खुल जाती है. हादसे के बाद सबसे पहले मौके पर पहुंचे निहाल सिंह रातों को सो नहीं पा रहा है. निहाल ने 14 घायलों लोगों की अकेले ही अपने दम पर बस से निकाला था. ईटीवी भारत ने निहाल सिंह और अन्य हादसे के राहत कार्य में अहम भूमिका निभाने वाले लोगों से बातचीत की तो उनकी पीड़ा सामने आई. उनका कहना है कि जब से झरना नाले में रोडवेज बस के गिरने का हादसा हुआ है. तब से जब भी रात को सोते हैं. अचानक नींद खुल जाती है. सोते समय लोगों के बचाव बचाव की आवाज और चीख-पुकार सुनाई देती है.


Body:यमुना एक्सप्रेस वे पर 7 जुलाई की सुबह 4:30 बजे अब तक का सबसे बड़ा सड़क हादसा हुआ था. आगरा के गांव चौगान के पास लखनऊ से दिल्ली जा रही अवध एक्सप्रेस की बस चालक के झपकी आने से पहले डिवाइडर पर 90 मीटर तक दौड़ती रही फिर बैरिकेड तोड़कर के 45 फीट नीचे झरना नाले में जा गिरी थी. इस हादसे में 29 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि बस में सवार 25 लोग घायल हो गए. जिनमें से कई घायल डिस्चार्ज हो चुके हैं.
यमुना एक्सप्रेस वे पर हुए हादसे को 4 दिन बीत गए. यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी की ओर से इस हादसे के जख्मों को बढ़ा जा रहा है झरना नाले के पुल पर नया बैरिकेट्स भी लगा दिया गया है. लेकिन इस हादसे में सबसे पहले राहत कार्य शुरू करने वाले ग्रामीणों की पूरी दिनचर्या बदल गई है.
ग्रामीण निहाल सिंह ने बताया कि हादसे के बाद से अब उसे रात में बहुत कम नींद आती है. जब भी वह सोता है तो सोते में लोगों की चीख-पुकार सुनाई देती है. बचाओ बचाओ की आवाज सुनाई देती है. ऐसे में उसकी नींद खुल जाती है. वह करके बैठ जाता है. परिवार वालों को इस बारे में बताता है. उसे लगता है कि कोई उसे मदद के लिए बुला रहा है.
ग्रामीण प्रेमपाल सिंह का कहना है कि इस राहत कार्य में उन्होंने भी बड़ी भूमिका निभाई थी. लेकिन हादसे के बाद से उन्हें भी रात में बहुत कमी आती है. इसकी वजह यह है कि अब तेज रफ्तार वाहनों की आवाज से भी उनकी नींद खुल जाती है. और ऐसा लगता है कि कहीं हादसा हो गया है. हमें दौड़ करके मदद करने के लिए जाना चाहिए.
ग्रामीण शिवराम का भी कहना है कि हादसे में घायलों को बस से निकाला था. लोगों की चीख पुकार अभी तक रात में सोते समय कानों में गूंजती है। यमुना एक्सप्रेस वे पर देर रात जब भी तेज रफ्तार में बाहर निकलते हैं तो उन्हें लगता है कि कहीं हादसा हो गया है. और वह सोते में जाग जाते हैं.


Conclusion: यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी ने 4 दिन बाद ही दर्दनाक हादसे के जख्म भरना शुरू कर दिया गया है. झरना नाले पर नए बेरीकेट्स को लगा दिया गया है. यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी अब एक्सप्रेस वे के दोनों ओर दिशा सूचक और साइन बोर्ड लगाने का भी काम तेजी से कर रही है.
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पहली बाइट ग्रामीण निहाल सिंह की, दूसरी बाइट ग्रामीण प्रेमपाल सिंह की और तीसरी बाइट ग्रामीण शिवराम की है.

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श्यामवीर सिंह
आगरा
8387893357

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