आगरा: आगरा दिल्ली हाइवे पर स्थित रामसर साइट सूर सरोवर बर्ड सेन्चुरी कीठम को 60 वेटलैंड मित्र मिले हैं, जो वन विभाग का वेटलैंड रीस्टोरेशन, बर्ड काउटिंग, संरक्षण, सफाई, देखरेख समेत अन्य कार्य में सहयोग करेंगे. पर्यावरण बचाने के साथ ही वेटलैंड मित्र का वन्यजीव जानकार या नेचर गाइड के रूप में कॅरियर बन सकेगा. भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत सभी रामसर साइट पर वेटलैंड मित्र बनाए जा रहे हैं.
बता दें कि, आगरा के जगदंबा डिग्री कॉलेज में आठ अक्टूबर को बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी की ओर से आयोजित कार्यशाला में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया, लाइफलाइन नेचर सोसाइटी, राजस्थान विश्वविद्यालय, आगरा विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने वेटलैंड पर चर्चा की थी.
वन्यजीव सप्ताह के तहत ही रविवार को रामसर साइट कीठम में नेशनल चंबल सेन्चुरी प्रोजेक्ट के डीएफओ दिवाकर श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एक कार्यक्रम हुआ. जिसमें क्षेत्रीय वनाधिकारी सूर सरोवर योगेश कुमार एवं पक्षी विशेषज्ञ डाॅ. के पी सिंह ने 60 वेटलैंड मित्रों को वेटलैंड संरक्षण की शपथ दिलाई और उन्हें प्रमाण पत्र के साथ ही वेटलैंड मित्र किट भी प्रदान की.
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष व पक्षी विशेषज्ञ डॉ. केपी सिंह ने बताया कि, रामसर साइट कीठम में 60 वेटलैंड मित्र बनाए गए हैं. यह वेटलैंड मित्र विश्वविद्यालय के शोधार्थी, प्रवक्ता, पक्षी विशेषज्ञ, पर्यटक गाइड समेत पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र के अनुभवी व्यक्ति हैं.
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी और वन विभाग मिलकर वेटलैंड मित्रों को सूर सरोवर के लिए नेचर गाइड के रूप में प्रशिक्षित करेंगे.
मन से करेंगे श्रमदान
नेशनल चंबल सेन्चुरी प्रोजेक्ट के डीएफओ दिवाकर श्रीवास्तव ने बताया कि, कीठम के सूर सरोवर में श्रमदान के लिए वेटलैंड मित्र तैयार रहें. वे अपनी मर्जी से यहां पर श्रमदान करेंगे. उन पर किसी भी तरह का कोई दवाब नहीं है. वेटलैंड मित्र की प्रतिमाह एक बैठक होगी. सूर सरोवर में वेटलैंड मित्रों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. इस अवसर पर पौधरोपण और श्रमदान भी किया गया.
माइग्रेटी पक्षी रहें पूरी साल, इस दिशा में करेंगे कार्य
कार्यक्रम में क्षेत्रीय वनाधिकारी सूर सरोवर योगेश कुमार ने बताया कि, वन विभाग की ओर से रामसर साइट सूर सरोवर में पर्यटन वृद्धि पर काम किया जा रहा है. राज्य सरकार को इसका प्लान भी बनाकर भेजा गया है. विभाग की मंशा है कि, यहां पर सालभर माइग्रेटी पक्षी रहें. इस पर काम किया जा रहा है.