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हक की लड़ाई, कंफर्म टिकट देकर कोच लगाना भूला रेलवे, अब यात्री को देना होगा 8440 रुपये हर्जाना - यात्री रेलवे सुविधा कमी हर्जाना

रेलवे ने सीनियर सिटीजन (Railways Passenger Facility Deficiency Compensation) को कंफर्म टिकट दिया, लेकिन जिस कोच में उनकी सीट थी वह कोच लगाना ही भूल गया. यात्री ने हक की लड़ाई लड़कर रेलवे को आईना दिखाने का काम किया. अब रेलवे की ओर से यात्री को हर्जाना दिया जाएगा.

एसी सेकेंड में आरक्षित थी सीट
एसी सेकेंड में आरक्षित थी सीट
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 14, 2023, 3:33 PM IST

Updated : Nov 14, 2023, 6:00 PM IST

हक की लड़ाई में सीनियर सिटीजन को जीत मिली है.

आगरा : तत्काल कोटे से रेलवे ने एक सीनियर सिटीजन को सेकेंड एसी में कंफर्म टिकट दिया. यात्री स्टेशन पर पहुंचा तो उसे ट्रेन में वो कोच ही नहीं मिला जिसमें उसकी सीट आरक्षित थी. ट्रेन चलने लगी तो वह दूसरे कोच में बैठ गए. सीनियर सिटीजन को तृतीय श्रेणी कोच में यात्रा करनी पड़ी. इससे उन्हें काफी परेशानी हुई. यात्री ने रेलवे को नोटिस भेजा तो सही जवाब नहीं मिला. सीनियर सिटीजन ने 440 रुपये के लिए जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में रेलवे के खिलाफ वाद दायर किया. करीब छह साल तक उन्होंने कानूनी लड़ाई लड़ी. अब आयोग ने रेलवे को सीनियर सिटीजन को 8440 रुपये हर्जाना अदा करने के आदेश दिए हैं.

एसी सेकेंड में आरक्षित थी सीट : बता दें कि कमला नगर डी ब्लाॅक निवासी मुन्नालाल अग्रवाल व्यापारी हैं. उन्होंने बताया कि बांदा से आगरा कैंट तक उन्हें यात्रा करनी थी. इसके लिए 8 सितंबर-2017 को 9 सितंबर-2017 की यात्रा के लिए एसी सेकेंड कोच में उन्होंने आरक्षण कराया. रेलवे ने तत्काल टिकट में उन्हें 1570 रुपये में उत्तर प्रदेश संपर्कक्रांति एक्सप्रेस ट्रेन के सेकेंड एसी में कन्फर्म टिकट दी. 9 सितंबर को वह यात्रा करने के लिए बांदा स्टेशन पहुंचे. जब ट्रेन आई तो जिस कोच में उनकी सीट थी, वह कोच ढूंढने पर भी नहीं मिला. ट्रेन चलने लगी तो वह दूसरे कोच में चढ़ गए.

कम्फर्म टिकट का कोच नहीं लगाया : मुन्नालाल अग्रवाल ने बताया कि जब कोच में टीटीई आया तो मैंने शिकाकाय की. इस पर टीटीई ने मुझे बताया कि, जिस एसी कोच में कम्फर्म बर्थ है, वह कोच ट्रेन में आज नहीं लगा है. टीटीई ने मुझे टिकट क्रॉस करके तृतीय श्रेणी में सीट आवंटित कर दी. लेकिन, उस कोच में भीड़ अधिक होने पर मुझे बड़ी मुश्किल से सफर करना पड़ा. मैंने जो 1570 रुपये से एसी के कोच की टिकट ली थी. इसके एवज में मुझे तृतीय श्रेणी के 1130 रुपये के टिकट से सफर करना पड़. यह मेरी कन्फर्म टिकट से 440 रुपये कम का था.

यात्री की ओर से दायर किया गया वाद.
यात्री की ओर से दायर किया गया वाद.



पहले दिया नोटिस, फिर दायर किया वाद : मुन्नालाल अग्रवाल बताते हैं कि, मैंने पहले 28 नवंबर-2017 को रेलवे को नोटिस भेजा. जिसका रेलवे की ओर से 10 अप्रैल 2018 को गलत जवाब दिया गया. इस पर मैंने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग डीआरएम नॉर्थ सेंटर रेलवे झांसी, स्टेशन मास्टर बांदा, कामर्शियल मैनेजर रिफंड कार्यालय नई दिल्ली, डीआरएम आगरा एवं संबंधित टीटीई के विरुद्ध वाद दायर किया. मामला लंबा चला. 440 रुपये की कानूनी लड़ाई का फैसला आठ नवंबर 2023 को आया. जिला उपभोक्ता फोरम प्रथम के अध्यक्ष सर्वेश कुमार एवं सदस्य अरुण कुमार ने अपने एक निर्णय में रेलवे को आदेश दिया है कि वादी मुन्नलाल अग्रवाल को सेवा में कमी करने पर हर्जाना अदा करे.

यात्री के हक में दिया गया आदेश.
यात्री के हक में दिया गया आदेश.
45 दिन में हर्जाना देने के आदेश : वादी के अधिवक्ता रोहित अग्रवाल ने बताया कि, जिला उपभोक्ता फोरम प्रथम के अध्यक्ष सर्वेश कुमार एवं सदस्य अरुण कुमार ने रेलवे को निर्देश दिए है कि निर्णय के 45 दिन के अंदर वादी को 440 रुपये तथा मानसिक पीड़ा बतौर 5000 रुपये और वाद व्यय के रुप में 3000 रुपये मिलाकर 8440 रुपये वार्षिक ब्याज की दर अदा करें. वादी मुन्नालाल अग्रवाल का कहना है कि, बात 440 रुपये की नहीं है. बात सम्मान, हक और सुविधा की है.

सामान चोरी होने पर नहीं होती सुनवाई : मुन्नालाल ने बताया कि रेलवे की ओर से तत्काल में टिकट बुक कराने पर कन्फर्म टिकट दिया गया तो ट्रेन में कोच क्यों नहीं लगाया गया. जब ट्रेन आई तो मेरे साथ अन्य यात्रियों को भी परेशानी हुई. ट्रेन में सामान चोरी होता है. रेलवे सुनवाई नहीं करती है. इसलिए, मैंने आयोग की शरण ली. जिससे दूसरे लोग भी जागरूक हो सकें. उन्हें भी इस तरह से परेशानी ना उठानी पडे. अधिवक्ता रोहित अग्रवाल का कहना है कि, हर उपभोक्ता को अपने अधिकार जानने चाहिए. इससे अधिकारों का हनन होने पर वे आवाज उठा सकेंगे.

यह भी पढ़ें : अब गोरखपुर से वाराणसी जाने में समय और खर्च दोनों बचेगा, भटनी-पिवकोल नई रेल लाइन का कार्य पूरा

हक की लड़ाई में सीनियर सिटीजन को जीत मिली है.

आगरा : तत्काल कोटे से रेलवे ने एक सीनियर सिटीजन को सेकेंड एसी में कंफर्म टिकट दिया. यात्री स्टेशन पर पहुंचा तो उसे ट्रेन में वो कोच ही नहीं मिला जिसमें उसकी सीट आरक्षित थी. ट्रेन चलने लगी तो वह दूसरे कोच में बैठ गए. सीनियर सिटीजन को तृतीय श्रेणी कोच में यात्रा करनी पड़ी. इससे उन्हें काफी परेशानी हुई. यात्री ने रेलवे को नोटिस भेजा तो सही जवाब नहीं मिला. सीनियर सिटीजन ने 440 रुपये के लिए जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में रेलवे के खिलाफ वाद दायर किया. करीब छह साल तक उन्होंने कानूनी लड़ाई लड़ी. अब आयोग ने रेलवे को सीनियर सिटीजन को 8440 रुपये हर्जाना अदा करने के आदेश दिए हैं.

एसी सेकेंड में आरक्षित थी सीट : बता दें कि कमला नगर डी ब्लाॅक निवासी मुन्नालाल अग्रवाल व्यापारी हैं. उन्होंने बताया कि बांदा से आगरा कैंट तक उन्हें यात्रा करनी थी. इसके लिए 8 सितंबर-2017 को 9 सितंबर-2017 की यात्रा के लिए एसी सेकेंड कोच में उन्होंने आरक्षण कराया. रेलवे ने तत्काल टिकट में उन्हें 1570 रुपये में उत्तर प्रदेश संपर्कक्रांति एक्सप्रेस ट्रेन के सेकेंड एसी में कन्फर्म टिकट दी. 9 सितंबर को वह यात्रा करने के लिए बांदा स्टेशन पहुंचे. जब ट्रेन आई तो जिस कोच में उनकी सीट थी, वह कोच ढूंढने पर भी नहीं मिला. ट्रेन चलने लगी तो वह दूसरे कोच में चढ़ गए.

कम्फर्म टिकट का कोच नहीं लगाया : मुन्नालाल अग्रवाल ने बताया कि जब कोच में टीटीई आया तो मैंने शिकाकाय की. इस पर टीटीई ने मुझे बताया कि, जिस एसी कोच में कम्फर्म बर्थ है, वह कोच ट्रेन में आज नहीं लगा है. टीटीई ने मुझे टिकट क्रॉस करके तृतीय श्रेणी में सीट आवंटित कर दी. लेकिन, उस कोच में भीड़ अधिक होने पर मुझे बड़ी मुश्किल से सफर करना पड़ा. मैंने जो 1570 रुपये से एसी के कोच की टिकट ली थी. इसके एवज में मुझे तृतीय श्रेणी के 1130 रुपये के टिकट से सफर करना पड़. यह मेरी कन्फर्म टिकट से 440 रुपये कम का था.

यात्री की ओर से दायर किया गया वाद.
यात्री की ओर से दायर किया गया वाद.



पहले दिया नोटिस, फिर दायर किया वाद : मुन्नालाल अग्रवाल बताते हैं कि, मैंने पहले 28 नवंबर-2017 को रेलवे को नोटिस भेजा. जिसका रेलवे की ओर से 10 अप्रैल 2018 को गलत जवाब दिया गया. इस पर मैंने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग डीआरएम नॉर्थ सेंटर रेलवे झांसी, स्टेशन मास्टर बांदा, कामर्शियल मैनेजर रिफंड कार्यालय नई दिल्ली, डीआरएम आगरा एवं संबंधित टीटीई के विरुद्ध वाद दायर किया. मामला लंबा चला. 440 रुपये की कानूनी लड़ाई का फैसला आठ नवंबर 2023 को आया. जिला उपभोक्ता फोरम प्रथम के अध्यक्ष सर्वेश कुमार एवं सदस्य अरुण कुमार ने अपने एक निर्णय में रेलवे को आदेश दिया है कि वादी मुन्नलाल अग्रवाल को सेवा में कमी करने पर हर्जाना अदा करे.

यात्री के हक में दिया गया आदेश.
यात्री के हक में दिया गया आदेश.
45 दिन में हर्जाना देने के आदेश : वादी के अधिवक्ता रोहित अग्रवाल ने बताया कि, जिला उपभोक्ता फोरम प्रथम के अध्यक्ष सर्वेश कुमार एवं सदस्य अरुण कुमार ने रेलवे को निर्देश दिए है कि निर्णय के 45 दिन के अंदर वादी को 440 रुपये तथा मानसिक पीड़ा बतौर 5000 रुपये और वाद व्यय के रुप में 3000 रुपये मिलाकर 8440 रुपये वार्षिक ब्याज की दर अदा करें. वादी मुन्नालाल अग्रवाल का कहना है कि, बात 440 रुपये की नहीं है. बात सम्मान, हक और सुविधा की है.

सामान चोरी होने पर नहीं होती सुनवाई : मुन्नालाल ने बताया कि रेलवे की ओर से तत्काल में टिकट बुक कराने पर कन्फर्म टिकट दिया गया तो ट्रेन में कोच क्यों नहीं लगाया गया. जब ट्रेन आई तो मेरे साथ अन्य यात्रियों को भी परेशानी हुई. ट्रेन में सामान चोरी होता है. रेलवे सुनवाई नहीं करती है. इसलिए, मैंने आयोग की शरण ली. जिससे दूसरे लोग भी जागरूक हो सकें. उन्हें भी इस तरह से परेशानी ना उठानी पडे. अधिवक्ता रोहित अग्रवाल का कहना है कि, हर उपभोक्ता को अपने अधिकार जानने चाहिए. इससे अधिकारों का हनन होने पर वे आवाज उठा सकेंगे.

यह भी पढ़ें : अब गोरखपुर से वाराणसी जाने में समय और खर्च दोनों बचेगा, भटनी-पिवकोल नई रेल लाइन का कार्य पूरा

Last Updated : Nov 14, 2023, 6:00 PM IST

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