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ADA के लालच में फंसी 30 हजार लोगों की रोजी रोटी, हक पाने के लिए कक्षा-1 पास अमर सिंह लड़ रहा केस

सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल की बाउंड्री से 500 मीटर की परिधि में व्यवसायिक गतिविधियों पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं. वहीं, पश्चिमी गेट मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष अमर सिंह अपना हक पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं. जानिए अमर सिंह के संघर्ष की कहानी...

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ताजमहल
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Published : Oct 6, 2022, 8:43 PM IST

आगराः सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनुपालन में एडीए को ताजमहल की बाउंड्रीवाल से 500 मीटर की परिधि में व्यवसायिक गतिविधि बंद करनी हैं, जिससे 30 हजार लोगों की रोजी-रोटी पर संकट आ गया है. सुप्रीम कोर्ट तक की लड़ाई लड़ने वाले पश्चिमी गेट मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष अमर सिंह की कहानी भी बेहद दिलचस्प है. अमर सिंह ने बताया कि 'मैं भले ही पहली क्लास पास हूं. मैंने गरीबी देखी और दो आना प्रतिदिन के हिसाब से ताजमहल में एक खाने की ठेल पर प्लेट साफ करने की नौकरी की थी.

अमर सिंह ने बताया कि 'सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दुकानदारों को ताजमहल से बाहर कर दिया. गरीब दुकानदारों के हक के लिए पहले स्थानीय प्रशासन से लड़ाई लड़ी. फिर हक के लिए आज से 22 साल पहले सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई. जिससे रोजी रोटी का इंतजाम हुआ और पक्की दुकान भी मिल गई. अब फिर एडीए(आगरा विकास प्राधिकरण) ने 450 के लाइसेंस फीस को 3,000 रुपये कर दिया, तो मजबूरन फिर से सुप्रीम कोर्ट गए. एडीए की मनमानी और लालच का खामियाजा अब ताजगंज क्षेत्र के 3,0000 लोगों को झेलना पड़ रहा है.

पश्चिमी गेट ताज मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष अमर सिंह

पश्चिमी गेट ताज मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष अमर सिंह ने बताया कि 'मैं पहली क्लास तक ही पढा हूं, जब 7 साल का था तब पिता की मौत हो गई. ऐसे में परिवार का भरण पोषण मां के कंधों पर आ गया. मां ने मुझे भी काम पर लगा दिया था, क्योंकि, मैंने दूसरी क्लास में ही एक सहपाठी से झगड़ा होने पर पढ़ाई छोड़ दी थी. तब मुझे प्लेट साफ करने पर दो आना हर दिन मिलते थे. ताजमहल परिसर में इमली के पेड़ के नीचे दुकानें लगती थी, जिससे हमारा भी गुजारा होता था.'

उन्होंने बताया कि 'सन 1998 में ताजमहल परिसर से दुकानें हटाईं गई. ताजमहल के पश्चिमी गेट के पास आईटीडीसी रेस्टोरेंट के सामने उद्यान विभाग के टीले पर 71 दुकानदारों को जगह दी. तब किराया 20 रुपये मासिक था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सन 2000 में ताजमहल की सुरक्षा और पॉल्यूशन की वजह से हमें वहां से भी हटा दिया गया. हमें यहां पर जगह दी गई, जहां पर एडीए ने जगह दी. नक्शा भी बनाया और हमनें अपनी रकम से दुकानें बनवाईं. एडीए ने हर दुकान से 450 रुपये मासिक लाइसेंस फीस निर्धारित की, जिसमें एडीए को मार्केट में बिजली, पानी और शौचालय की व्यवस्था करनी थी, जो अभी तक नहीं हुई.

रोक के बाद भी एडीए ने कराया निर्माण
अमर सिंह राठौर ने बताया कि 'सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया कि, ताजमहल की बाउंड्री की 500 मीटर की परिधि में कोई बिजनेस एक्टिविटी नहीं होगी. यहां बिल्कुल साफ रहेगा और कोई वाहन भी नहीं जाएगा, जिसकी पालना अभी तक नहीं हुई. सुप्रीम कोर्ट ने एक और आदेश दिया था कि 500 मीटर की परिधि में न नया निर्माण होगा और नया लाइसेंस भी नहीं दिया जाएगा. लेकिन एडीए ने खुद नया निर्माण कराया. तीन कैंटीन बनवाईं और उन्हें लाइसेंस दे दिया. ताज रेस्टोरेंट में मिनी चौपाटी बना दी, जहां पर सब खाने का सामान मिलता है. इसलिए यहां पर कोई पर्यटक आकर रुकता ही नहीं है. वहीं, अमर सिंह राठौर का कहना है कि पश्चिमी गेट मार्केट का नक्शा भी एडीए ने बनाया है. इसका लुक ऐसा नहीं है, जिसे देखने के लिए पर्यटक रुके.

450 की लाइसेंस फीस कर दी 3000 रुपये
अमर सिंह राठौर ने बताया कि 'यहां पर 71 दुकाने हैं, जिनके दुकानदार लगातार एडीए को लाइसेंस फीस 450 रुपये दे रहे हैं. लेकिन यहां पर कोई सुविधा नहीं दी. हम बिजली भी अपने पैसे से जला रहे हैं, पानी खुद के साथ ही पर्यटकों के लिए भी उपलब्ध करा रहे हैं. बीते तीन माह पहले एडीए की बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव पास किया. इसका नोटिस हमें मिला. इस आदेश के मुताबिक, हमारी मार्केट की हर दुकान को अब 450 रुपये की जगह हर माह 3,000 रुपये लाइसेंस फीस देनी है. हमने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में अवगत कराया. इस पर एडीए वीसी ने यहां का निरीक्षण किया.

3 हजार की फीस के चलते दोबारा गए सुप्रीम कोर्ट
अमर सिंह राठौर ने बताया कि वह सुप्रीम कोर्ट में चला गया. अमर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में सबूत दिए कि ताजमहल की बाउंड्री से 500 मीटर में लगातार बिजनेस एक्टिवीटी संचालित हो रही है. उसने कोर्ट को एडीए द्वारा निर्माण कराने के भी सबूत दिए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर 2022 को आदेश दिया कि ताजमहल की बाउंड्री से 500 मीटर की परिधि में व्यवसायिक गतिविधि बंद करने के एडीए को निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एडीए को यह भी आदेश दिया है. कि बढ़ा हुआ किराया भी नहीं बदला जाए.

पढ़ेंः सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एडीए के हर नए नोटिस से ताजनगरी में बढ़ रहीं 30 हजार लोगों की धड़कनें

आगराः सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनुपालन में एडीए को ताजमहल की बाउंड्रीवाल से 500 मीटर की परिधि में व्यवसायिक गतिविधि बंद करनी हैं, जिससे 30 हजार लोगों की रोजी-रोटी पर संकट आ गया है. सुप्रीम कोर्ट तक की लड़ाई लड़ने वाले पश्चिमी गेट मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष अमर सिंह की कहानी भी बेहद दिलचस्प है. अमर सिंह ने बताया कि 'मैं भले ही पहली क्लास पास हूं. मैंने गरीबी देखी और दो आना प्रतिदिन के हिसाब से ताजमहल में एक खाने की ठेल पर प्लेट साफ करने की नौकरी की थी.

अमर सिंह ने बताया कि 'सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दुकानदारों को ताजमहल से बाहर कर दिया. गरीब दुकानदारों के हक के लिए पहले स्थानीय प्रशासन से लड़ाई लड़ी. फिर हक के लिए आज से 22 साल पहले सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई. जिससे रोजी रोटी का इंतजाम हुआ और पक्की दुकान भी मिल गई. अब फिर एडीए(आगरा विकास प्राधिकरण) ने 450 के लाइसेंस फीस को 3,000 रुपये कर दिया, तो मजबूरन फिर से सुप्रीम कोर्ट गए. एडीए की मनमानी और लालच का खामियाजा अब ताजगंज क्षेत्र के 3,0000 लोगों को झेलना पड़ रहा है.

पश्चिमी गेट ताज मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष अमर सिंह

पश्चिमी गेट ताज मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष अमर सिंह ने बताया कि 'मैं पहली क्लास तक ही पढा हूं, जब 7 साल का था तब पिता की मौत हो गई. ऐसे में परिवार का भरण पोषण मां के कंधों पर आ गया. मां ने मुझे भी काम पर लगा दिया था, क्योंकि, मैंने दूसरी क्लास में ही एक सहपाठी से झगड़ा होने पर पढ़ाई छोड़ दी थी. तब मुझे प्लेट साफ करने पर दो आना हर दिन मिलते थे. ताजमहल परिसर में इमली के पेड़ के नीचे दुकानें लगती थी, जिससे हमारा भी गुजारा होता था.'

उन्होंने बताया कि 'सन 1998 में ताजमहल परिसर से दुकानें हटाईं गई. ताजमहल के पश्चिमी गेट के पास आईटीडीसी रेस्टोरेंट के सामने उद्यान विभाग के टीले पर 71 दुकानदारों को जगह दी. तब किराया 20 रुपये मासिक था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सन 2000 में ताजमहल की सुरक्षा और पॉल्यूशन की वजह से हमें वहां से भी हटा दिया गया. हमें यहां पर जगह दी गई, जहां पर एडीए ने जगह दी. नक्शा भी बनाया और हमनें अपनी रकम से दुकानें बनवाईं. एडीए ने हर दुकान से 450 रुपये मासिक लाइसेंस फीस निर्धारित की, जिसमें एडीए को मार्केट में बिजली, पानी और शौचालय की व्यवस्था करनी थी, जो अभी तक नहीं हुई.

रोक के बाद भी एडीए ने कराया निर्माण
अमर सिंह राठौर ने बताया कि 'सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया कि, ताजमहल की बाउंड्री की 500 मीटर की परिधि में कोई बिजनेस एक्टिविटी नहीं होगी. यहां बिल्कुल साफ रहेगा और कोई वाहन भी नहीं जाएगा, जिसकी पालना अभी तक नहीं हुई. सुप्रीम कोर्ट ने एक और आदेश दिया था कि 500 मीटर की परिधि में न नया निर्माण होगा और नया लाइसेंस भी नहीं दिया जाएगा. लेकिन एडीए ने खुद नया निर्माण कराया. तीन कैंटीन बनवाईं और उन्हें लाइसेंस दे दिया. ताज रेस्टोरेंट में मिनी चौपाटी बना दी, जहां पर सब खाने का सामान मिलता है. इसलिए यहां पर कोई पर्यटक आकर रुकता ही नहीं है. वहीं, अमर सिंह राठौर का कहना है कि पश्चिमी गेट मार्केट का नक्शा भी एडीए ने बनाया है. इसका लुक ऐसा नहीं है, जिसे देखने के लिए पर्यटक रुके.

450 की लाइसेंस फीस कर दी 3000 रुपये
अमर सिंह राठौर ने बताया कि 'यहां पर 71 दुकाने हैं, जिनके दुकानदार लगातार एडीए को लाइसेंस फीस 450 रुपये दे रहे हैं. लेकिन यहां पर कोई सुविधा नहीं दी. हम बिजली भी अपने पैसे से जला रहे हैं, पानी खुद के साथ ही पर्यटकों के लिए भी उपलब्ध करा रहे हैं. बीते तीन माह पहले एडीए की बोर्ड मीटिंग में प्रस्ताव पास किया. इसका नोटिस हमें मिला. इस आदेश के मुताबिक, हमारी मार्केट की हर दुकान को अब 450 रुपये की जगह हर माह 3,000 रुपये लाइसेंस फीस देनी है. हमने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में अवगत कराया. इस पर एडीए वीसी ने यहां का निरीक्षण किया.

3 हजार की फीस के चलते दोबारा गए सुप्रीम कोर्ट
अमर सिंह राठौर ने बताया कि वह सुप्रीम कोर्ट में चला गया. अमर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में सबूत दिए कि ताजमहल की बाउंड्री से 500 मीटर में लगातार बिजनेस एक्टिवीटी संचालित हो रही है. उसने कोर्ट को एडीए द्वारा निर्माण कराने के भी सबूत दिए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर 2022 को आदेश दिया कि ताजमहल की बाउंड्री से 500 मीटर की परिधि में व्यवसायिक गतिविधि बंद करने के एडीए को निर्देश दिए हैं. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एडीए को यह भी आदेश दिया है. कि बढ़ा हुआ किराया भी नहीं बदला जाए.

पढ़ेंः सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एडीए के हर नए नोटिस से ताजनगरी में बढ़ रहीं 30 हजार लोगों की धड़कनें

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