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आगरा में विधवा से दुष्कर्म के आरोपी को दस साल की सजा

आगरा में विधवा से दुष्कर्म के मामले में मंगलवार को जिला कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आरोपी को सजा सुनाई. कोर्ट ने कहा कि ऐसी घटना आत्मा को भी झकझोर देती है.

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आगरा में विधवा से दुष्कर्म
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Published : Aug 24, 2022, 9:20 AM IST

आगरा. फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के अपर जिला जज कनिष्क सिंह ने एक विधवा से दुष्कर्म , मारपीट और धमकी देने का दोषी ठहराया. जिला जज ने दोषी को दस साल की जेल और 52 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. इस मामले में 9 गवाह भी पेश किए गए. मामले में अभियोजन की ओर से एडीजीसी वीरेंद्र दीक्षित और वादी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुर्गविजय सिंह भैया व जयवीर सिंह रहे.

वादी के मुताबिक, उनकी बहन की शादी थाना ताजगंज क्षेत्र में हुई थी. जब बहनोई की मृत्यु हो गई तो बहन दो छोटे बच्चों के साथ ससुराल में ही दूध बेचकर अपना और अपने बच्चों का पालन-पोषण करती थी. 18 अगस्त 2018 की सुबह जब बहन के बच्चों के स्कूल जाने के बाद भैसों के लिए चारा लेने खेत पर गई, तभी गांव के सोनू ने उसके साथ दुष्कर्म किया. इस पर थाना ताजगंज में मुकदमा दर्ज कराया था.

ये भी पढ़ें- नाबालिग छात्रा का शिक्षक ने किया यौन शोषण, गर्भवती होने पर किया निकाह फिर दिया तलाक

आगरा में विधवा से दुष्कर्म मामले में फैसला सुनाते हुए फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के अपर जिला जज कनिष्ठ सिंह ने अपने आदेश में कहा कि बलात्कार न सिर्फ पीड़िता के शरीर पर निशान छोड़ता है, अपितु उसकी आत्मा को भी झकझोर देता है. शरीर के निशान कुछ समय बाद ठीक हो जाते हैं. परंतु, मानसिक रूप से उबरना संभव नहीं होता है. विशेषकर ग्रामीण समाज में जहां किसी महिला के साथ यदि इस प्रकार का जघन्य अपराध होता है तो उसे अपराध की पीड़िता होते हुए भी समाज के ऐसे रूप का सामना करना पड़ता है. जो उसे लंबे समय तक आहत करता है. इसलिए, आरोपी का किया गया कृत्य जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है.

ये भी पढ़ें- महिला श्रद्धालु के साथ छेड़छाड़ करने वाला आरोपी पुलिस कर्मी गिरफ्तार

आगरा. फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के अपर जिला जज कनिष्क सिंह ने एक विधवा से दुष्कर्म , मारपीट और धमकी देने का दोषी ठहराया. जिला जज ने दोषी को दस साल की जेल और 52 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. इस मामले में 9 गवाह भी पेश किए गए. मामले में अभियोजन की ओर से एडीजीसी वीरेंद्र दीक्षित और वादी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुर्गविजय सिंह भैया व जयवीर सिंह रहे.

वादी के मुताबिक, उनकी बहन की शादी थाना ताजगंज क्षेत्र में हुई थी. जब बहनोई की मृत्यु हो गई तो बहन दो छोटे बच्चों के साथ ससुराल में ही दूध बेचकर अपना और अपने बच्चों का पालन-पोषण करती थी. 18 अगस्त 2018 की सुबह जब बहन के बच्चों के स्कूल जाने के बाद भैसों के लिए चारा लेने खेत पर गई, तभी गांव के सोनू ने उसके साथ दुष्कर्म किया. इस पर थाना ताजगंज में मुकदमा दर्ज कराया था.

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आगरा में विधवा से दुष्कर्म मामले में फैसला सुनाते हुए फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के अपर जिला जज कनिष्ठ सिंह ने अपने आदेश में कहा कि बलात्कार न सिर्फ पीड़िता के शरीर पर निशान छोड़ता है, अपितु उसकी आत्मा को भी झकझोर देता है. शरीर के निशान कुछ समय बाद ठीक हो जाते हैं. परंतु, मानसिक रूप से उबरना संभव नहीं होता है. विशेषकर ग्रामीण समाज में जहां किसी महिला के साथ यदि इस प्रकार का जघन्य अपराध होता है तो उसे अपराध की पीड़िता होते हुए भी समाज के ऐसे रूप का सामना करना पड़ता है. जो उसे लंबे समय तक आहत करता है. इसलिए, आरोपी का किया गया कृत्य जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है.

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