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एसएन मेडिकल कॉलेज में हेपेटाइटिस की अलग से ओपीडी, जानें कब से शुरू होगा इलाज... - आगरा लेटेस्ट न्यूज

आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज (SNMC) में जल्द ही हेपेटाइटिस की एक अलग ओपीडी लगेगी. अस्पताल के स्त्री रोग विभाग की पुरानी बिल्डिंग में इसके लिए तेजी से मरम्मत का काम चल रहा है. एक रुपए के पर्चे में मरीजों को हेपिटाइटिस बी व हेपेटाइटिस सी का उपचार.

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एसएन मेडिकल कॉलेज में हेपेटाइटिस की अलग से ओपीडी
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Published : Jan 24, 2022, 10:47 AM IST

आगरा: जिले के एसएन मेडिकल कॉलेज (SNMC) में जल्द ही हेपेटाइटिस की एक अलग ओपीडी लगेगी. अस्पताल के स्त्री रोग विभाग की पुरानी बिल्डिंग में तेजी से मरम्मत का काम चल रहा है. जहां पर एक रुपए के पर्चे में मरीजों को हेपिटाइटिस बी व हेपेटाइटिस सी का उपचार, दवाएं और जांच भी करा सकेंगे. इसके लिए नोडल अधिकारी भी नियुक्त कर लिया गया है. फरवरी में हेपेटाइटिस के लिए एक अलग ओपीडी शुरू हो जाएगी.

गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज में लगातार हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. इन मरीजों के परामर्श और उपचार की व्यवस्था सामान्य ओपीडी में होती है. इससे हेपेटाइटिस के मरीजों की मॉनिटरिंग और निगरानी में दिक्कत आती है. इसलिए एसएन मेडिकल कॉलेज में अलग से हेपेटाइटिस सेंटर शुरू करने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए ओपीडी का निर्णाण कार्य भी शुरु कर दिया है.

एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि एसएनएमसी के स्त्री रोग विभाग की पुरानी बिल्डिंग में हेपेटाइटिस सेंटर शुरू होगा. जहां पर हेपेटाइटिस बी और सी के मरीजों की इलाज की बेहतर व्यवस्था होगी. सेंटर का प्रभारी डॉ. अभिषेक राज को बनाया गया है. यहां ओपीडी में मरीजों के इलाज के साथ उनका डेटा भी रहेगा, जिसमें मरीजो का नाम, पता और फोन नंबर समेत अन्य तमाम जानकारी होगी. इससे बीच में इलाज छोड़ने वाले मरीजों की निगरानी की जा सकेगी. उनकी मॉनिटरिंग भी हो सकेगी.

यह भी पढ़ें- अब मरीज लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों से ले सकेंगे टेलीकॉलिंग परामर्श

इलाज में लापरवाही से लीवर कैंसर का खतरा-

हैपेटाइटिस सेंटर के प्रभारी डॉ. अभिषेक राज ने बताया कि अलग सेंटर बनने से मरीजों की निगरानी बेहतर होगी. संक्रमित रक्त चढ़ाना, असुरक्षित यौन संबंध ही हेपेटाइटिस बी की सबसे बड़ी वजह है. इसके साथ ही हेपेटाइटिस सी संक्रमित रक्त चढ़ने से ज्यादा हो रहा है. डॉ. अभिषेक राज ने बताया कि हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के मरीजों की पहचान आंखों में पीलापन, भूख कम लगना, पेट में पानी भरना, कमजोरी और लीवर संबंधी समस्याएं होती हैं. लंबे समय तक इसका इलाज न कराया जाए तो लीवर कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.

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आगरा: जिले के एसएन मेडिकल कॉलेज (SNMC) में जल्द ही हेपेटाइटिस की एक अलग ओपीडी लगेगी. अस्पताल के स्त्री रोग विभाग की पुरानी बिल्डिंग में तेजी से मरम्मत का काम चल रहा है. जहां पर एक रुपए के पर्चे में मरीजों को हेपिटाइटिस बी व हेपेटाइटिस सी का उपचार, दवाएं और जांच भी करा सकेंगे. इसके लिए नोडल अधिकारी भी नियुक्त कर लिया गया है. फरवरी में हेपेटाइटिस के लिए एक अलग ओपीडी शुरू हो जाएगी.

गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज में लगातार हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. इन मरीजों के परामर्श और उपचार की व्यवस्था सामान्य ओपीडी में होती है. इससे हेपेटाइटिस के मरीजों की मॉनिटरिंग और निगरानी में दिक्कत आती है. इसलिए एसएन मेडिकल कॉलेज में अलग से हेपेटाइटिस सेंटर शुरू करने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए ओपीडी का निर्णाण कार्य भी शुरु कर दिया है.

एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि एसएनएमसी के स्त्री रोग विभाग की पुरानी बिल्डिंग में हेपेटाइटिस सेंटर शुरू होगा. जहां पर हेपेटाइटिस बी और सी के मरीजों की इलाज की बेहतर व्यवस्था होगी. सेंटर का प्रभारी डॉ. अभिषेक राज को बनाया गया है. यहां ओपीडी में मरीजों के इलाज के साथ उनका डेटा भी रहेगा, जिसमें मरीजो का नाम, पता और फोन नंबर समेत अन्य तमाम जानकारी होगी. इससे बीच में इलाज छोड़ने वाले मरीजों की निगरानी की जा सकेगी. उनकी मॉनिटरिंग भी हो सकेगी.

यह भी पढ़ें- अब मरीज लोहिया अस्पताल के डॉक्टरों से ले सकेंगे टेलीकॉलिंग परामर्श

इलाज में लापरवाही से लीवर कैंसर का खतरा-

हैपेटाइटिस सेंटर के प्रभारी डॉ. अभिषेक राज ने बताया कि अलग सेंटर बनने से मरीजों की निगरानी बेहतर होगी. संक्रमित रक्त चढ़ाना, असुरक्षित यौन संबंध ही हेपेटाइटिस बी की सबसे बड़ी वजह है. इसके साथ ही हेपेटाइटिस सी संक्रमित रक्त चढ़ने से ज्यादा हो रहा है. डॉ. अभिषेक राज ने बताया कि हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी के मरीजों की पहचान आंखों में पीलापन, भूख कम लगना, पेट में पानी भरना, कमजोरी और लीवर संबंधी समस्याएं होती हैं. लंबे समय तक इसका इलाज न कराया जाए तो लीवर कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.

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