सुलतानपुर: अब इंटर कॉलेज और डिग्री कॉलेज के छात्र-छात्राओं के फर्जी आवेदन भरकर बिचौलिए उनकी छात्रवृत्ति नहीं हड़प सकेंगे. शासन के निर्देश पर समाज कल्याण विभाग ने ओटीपी व्यवस्था की शुरुआत की है. छात्रवृत्ति का आवेदन ऑनलाइन होगा. इसके बाद ओटीपी के जरिए संबंधित विद्यार्थी यानी आवेदक से पुष्टि कराई जाएगी. इसमें समाज कल्याण विभाग और संबंधित इंटर व डिग्री कॉलेज का हस्तक्षेप नहीं होगा.
ऐसे होता रहा गोलमाल
दरअसल, छात्रवृत्ति की ऑफलाइन व्यवस्था में विद्यार्थियों की सूची संबंधित कार्यालय की तरफ से समाज कल्याण विभाग को भेजी जाती थी. इसके बाद इस सूची पर विद्यार्थी के नाम, जन्मतिथि, अनुक्रमांक समेत संपूर्ण विवरण संकलित कर एक विभागीय सूची तैयार की जाती और शासन को भेजी जाती थी. इस पर सामान्य, ओबीसी, अनुसूचित जाति, जनजाति समेत अन्य वर्गों की पात्रता संख्या के हिसाब से छात्रवृत्ति संबंधित छात्र के खाते के लिए भेजी जाती थी. इस प्रक्रिया में वजीफा मिलने की कोई जानकारी अभ्यर्थी को नहीं मिलती थी और इसका सीधा लाभ बिचौलिये उठाते थे.
सत्यापन की ओटीपी करेगा पुष्टि
जिला समाज कल्याण अधिकारी रणविजय सिंह के मुताबिक, इंटर कॉलेज और डिग्री कॉलेज के छात्र-छात्राएं इस समय छात्रवृत्ति के लिए आवेदन कर रहे हैं. छात्र-छात्रा का मोबाइल नंबर और आधार कार्ड नंबर कागजात में दर्ज होते हैं. समाज कल्याण विभाग की तरफ से आधार कार्ड से लिंक फोन नंबर पर ओटीपी आएगी.
आने वाले आवेदन और वजीफा निर्धारण की तस्वीर
सत्र 2020 में जनरल श्रेणी के 7165, एससी श्रेणी के 11546, ओबीसी के 22,000 और अल्पसंख्यक के दो हजार आवेदन दर्ज किए गए हैं. इसमें से हाईस्कूल के लिए 2250, बीए-बीएससी के लिए 5000 और एमए/एमएससी जैसे परास्नातक कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए 6000 पात्रता नियत की गई. जानकारी के अनुसार, इतने ही लोगों को छात्रवृत्ति का लाभ मिलेगा.
तीन बार प्रयोग पर ब्लॉक होता आवेदन
समाज कल्याण अधिकारी रणविजय सिंह के मुताबिक, शासन की तरफ से तीन बार ओटीपी की व्यवस्था की गई है. तीन बार ओटीपी जाने के बाद अगर कोई रिस्पॉन्स नहीं आता है तो आवेदन को निरस्त कर दिया जाएगा. 72 घण्टे बाद आवेदन की साइट को फिर से खोला जाता है. इसके बाद ही आवेदक छात्रवृत्ति के लिए आवेदन कर सकता है.
दर्ज हो चुका है गबन का मुकदमा
सत्र 2015 में समाज कल्याण विभाग के अकाउंटेंट के खिलाफ गबन का मुकदमा दर्ज हुआ था. आरोपों के मुताबिक, उन्होंने छात्रवृत्ति में बड़े पैमाने पर धांधली की थी. वित्तीय अनियमितता के मामले में पत्र को न्यायालय भेजा जा चुका है. ऐसे कई प्रकरण सामने आए, जिसमें विभागीय अधिकारियों की संलिप्तता रही और प्रकरण दबा दिए गए.
राजकीय बालिका इंटर कॉलेज की प्राचार्य प्रिंसिपल डॉ. संगीता ने कहा कि इस तरह के धोखाधड़ी के प्रति छात्र-छात्राओं को जागरूक किया जाता है, ताकि वह विवरण को सतर्कता के साथ भरें और त्रुटियां न हों. अध्यापकों और शिक्षिकाओं की तरफ से सत्यापन कराया जाता है. इसके बाद ही आवेदन को अंतिम स्वरूप दिलाने की कार्रवाई की जाती है, ताकि गरीबी रेखा से जूझ रहे परिवार के बच्चों को वजीफा मिल सके.