By - निखिल बापट
मुंबई : भारत में क्रिकेट के जिस तरह के प्रशंसक हैं, उसे देखते हुए यह खेल एक धर्म की तरह है और खिलाड़ी किसी देवता से कम नहीं हैं. साथ ही, ऐसे परिदृश्य में, आयोजन स्थलों का बहुत महत्व हो जाता है क्योंकि वे कुछ उल्लेखनीय क्रिकेट क्षणों की मेजबानी करते हैं. दक्षिण मुंबई में प्रसिद्ध मरीन ड्राइव के पास स्थित यह एक ऐसा स्थान है जो प्रतिष्ठित क्रिकेट क्षणों का मेजबान रहा है. यह वही स्टेडियम है जहां एमएस धोनी ने 2011 विश्व कप के फाइनल में विजयी छक्का लगाया था और भारतीय समर्थकों की जोरदार जयकार पूरे आयोजन स्थल पर गूंज उठी थी. साथ ही, यह वही स्थल था जहां दिलीप वेंगसरकर 1991 के रणजी ट्रॉफी फाइनल में हारने के बाद बच्चों की तरह रोए थे.
भारत के सबसे खूबसूरत स्टेडियमों में से एक वानखेड़े स्टेडियम ने 50 साल पूरे कर लिए हैं और अब यह एक नए दौर में प्रवेश करने जा रहा है. इस प्रकार, बीसीसीआई रविवार को एक शो की मेजबानी करेगा जिसमें अजय-अतुल, संगीतकार और लेजर शो द्वारा कई शानदार प्रदर्शन शामिल होंगे.
From India’s 2011 World Cup glory to the 2023 semifinal triumph, Wankhede has witnessed it all! 😍
— Mumbai Cricket Association (MCA) (@MumbaiCricAssoc) January 17, 2025
What’s your favourite memory at this iconic venue? 🤔#Wankhede50 #MCA #Mumbai #Cricket pic.twitter.com/lcr0xqE9OJ
वानखेड़े स्टेडियम न केवल अनगिनत भारतीय प्रशंसकों को अपनी यादों में संजोए हुए ऐतिहासिक पलों के साथ पुरानी यादें ताजा करने में भूमिका निभाता है, बल्कि यह भारतीय क्रिकेट की शासी संस्था बीसीसीआई के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है, जिसका मुख्यालय इस स्थल पर है. साथ ही, यह स्टेडियम अजीत वाडेकर, सुनील गावस्कर, दिलीप वेंगसरकर, सचिन तेंदुलकर, अजिंक्य रहाणे, रोहित शर्मा और सूर्यकुमार यादव जैसे कई दिग्गजों का घरेलू मैदान है, जिन्होंने बाद में भारत का नेतृत्व किया.
न केवल फैंस बल्कि क्रिकेटर, कमेंटेटर, प्रशासक और पत्रकार भी इस भव्य स्टेडियम से जुड़ी यादें संजोए हुए हैं, जिसे 2011 के वनडे क्रिकेट विश्व कप के लिए पुनर्निर्मित किया गया था, जिसकी सह-मेजबानी भारत ने की थी.
Two icons of the game, Sunil Gavaskar & Diana Edulji, will join us to celebrate 50 years of this iconic venue! 🏏
— Mumbai Cricket Association (MCA) (@MumbaiCricAssoc) January 17, 2025
Have you booked your tickets yet?#Wankhede50 | #MCA | #Mumbai | #Cricket pic.twitter.com/ilrBRB7y3L
1991 में मुंबई और हरियाणा के बीच रणजी ट्रॉफी का फाइनल मुकाबला काफी रोमांचक रहा था और हरियाणा ने सिर्फ 2 रन से जीत दर्ज की थी. दीपक शर्मा ने हरियाणा के लिए पहली पारी में 199 रनों की तूफानी पारी खेली थी, जबकि दिलीप वेंगसरकर ने दूसरी पारी में मुंबई के लिए नाबाद 139 रनों की शानदार पारी खेली थी. मुंबई लक्ष्य के बेहद करीब पहुंच गई थी, लेकिन अबे कुरुविला की शानदार गेंदबाजी की बदौलत वे लक्ष्य से दो रन दूर रह गए. इस पर वेंगसरकर ऐसे रोने लगे जैसे कोई बच्चा अपना पसंदीदा खिलौना खो चुका हो.
पूर्व भारतीय खिलाड़ी और क्रिकेट मैनेजर लालचंद राजपूत, जो इस मैच का हिस्सा थे, ने अपने डेब्यू सीजन की एक याद को याद किया. राजपूत ने पहली पारी में 74 रनों की पारी खेली थी.
Mumbai cha raja has a message for you 📹
— Mumbai Cricket Association (MCA) (@MumbaiCricAssoc) January 15, 2025
Book your tickets now➡️ https://t.co/jWi7x1bLi4#Wankhede50 | #MCA | #Mumbai |#Cricket | @ImRo45 pic.twitter.com/dTFbexeEJU
राजपूत ने ईटीवी भारत को बताया, 'यह ओवर की आखिरी गेंद थी, हमें जीत के लिए 3 या 4 रन चाहिए थे. दिलीप वेंगसरकर 130 या 140 रन पर बल्लेबाजी कर रहे थे और चूंकि उन्हें ऐंठन थी, इसलिए मैं उनके लिए रनर था. हमने अपना पहला मैच खेल रहे अबे कुरुविला से आखिरी गेंद खेलने के लिए कहा. दबाव था और भीड़ थी. उन्होंने गेंद को कनेक्ट किया, जो स्क्वायर लेग पर गई, मैं चिल्ला रहा था नहीं...नहीं...और अबे रन आउट हो गए. हम सभी पिच पर रोए'.
राजपूत ने याद किया, 'वानखेड़े स्टेडियम निश्चित रूप से मेरे लिए एक खास जगह है क्योंकि मेरे क्रिकेट करियर की शुरुआत यहीं से हुई थी. यह मैदान इंग्लैंड के लिए लॉर्ड्स जैसा है, क्योंकि मैंने यहीं से अपना करियर शुरू किया था. मैंने यहां कई रन बनाए हैं और रणजी ट्रॉफी में खेलकर मैंने भारतीय टीम में जगह बनाई. मेरे पास कई खास यादें हैं'.
उन्होंने कहा, 'मैं अपने डेब्यू सीजन में महाराष्ट्र के खिलाफ रणजी ट्रॉफी खेल रहा था, यह मेरा दूसरा या तीसरा मैच था. दूसरी पारी में मैंने शतक बनाया था. हमें 40 ओवर में 240 रन बनाने थे और तब यह बड़ा स्कोर था. वे पॉइंट सिस्टम के दिन थे और अगर हम 40 ओवर में लक्ष्य हासिल कर लेते, तो हमें पूरे अंक मिलते. मैंने शतक बनाया और संदीप पाटिल ने 60 रन बनाए और हमने 36-37 ओवर में लक्ष्य हासिल कर लिया.
राजपूत, जिन्होंने जिम्बाब्वे और अफगानिस्तान जैसी कई टीमों को भी कोचिंग दी है, ने आगे कहा, 'मेरा क्रिकेट वहीं से शुरू हुआ और सुनील गावस्कर ने हमारी तारीफ की. वह मेरा पहला शतक था. उसके बाद, मैं दक्षिण क्षेत्र के खिलाफ दलीप ट्रॉफी फाइनल की दोनों पारियों में शतक बनाने वाला पहला बल्लेबाज था. हरियाणा के खिलाफ मुंबई के लिए मेरा आखिरी रणजी ट्रॉफी मैच भी यादगार था और यह उसी मैदान पर खेला गया था - 1991 का रणजी ट्रॉफी फाइनल'.
मुंबई के पूर्व विकेटकीपर और कोच सुलक्षण कुलकर्णी, जिन्होंने 65 प्रथम श्रेणी मैच खेले हैं, ने ऐतिहासिक मैदान पर अपनी पसंदीदा यादें साझा कीं और उनमें से एक हरियाणा के खिलाफ थी.
ठाणे में रहने वाले कुलकर्णी ने ईटीवी भारत से कहा, 'दोनों यादें खिलाड़ी के तौर पर हैं. पहली 1993-94 का रणजी ट्रॉफी सीजन है, जिसमें रवि शास्त्री ने खिताब जीता था. मुंबई ने 10 साल बाद खिताब जीता था. मुंबई ने 1984 के बाद 1994 में खिताब जीता था और यह खास महत्व रखता था. मुंबई को इतने लंबे इंतजार की आदत नहीं थी और यह अब तक का सबसे लंबा इंतजार था'.
From the first match to 50 glorious years! 🏟️
— Mumbai Cricket Association (MCA) (@MumbaiCricAssoc) January 12, 2025
📹 Hear it straight from our very favourite Sunil Gavaskar 💙
Let's celebrate the legacy... Book your tickets now! 🎟️
Link in bio 🔗#Wankhede50 | #MCA | #Mumbai | #Cricket pic.twitter.com/D1Zi4ey9hi
उन्होंने कहा, 'रवि शास्त्री ने एक युवा टीम को चैंपियनशिप तक पहुंचाया था और वह जीत बहुत खास थी. फाइनल में अशोक मल्होत्रा, अरुण लाल और सौरव गांगुली की मौजूदगी वाली बेंगलुरु की बेहद अनुभवी टीम के खिलाफ मुकाबला हुआ था. हमने 10 साल बाद जीत हासिल की'.
कुलकर्णी ने विस्तार से बताया, 'यह भारत के लिए दूसरा और दुनिया में चौथा सबसे बेहतरीन रिकॉर्ड था. मैं एक पारी में शतक बनाने और छह कैच लेने वाला दूसरा भारतीय विकेटकीपर बन गया. पहली पारी में मैंने 6 कैच पकड़े और वानखेड़े स्टेडियम में 130 रन बनाए. यह वानखेड़े स्टेडियम में हुआ था. 1996-97 रणजी ट्रॉफी सीजन. मैंने वानखेड़े में चार खिताब जीते हैं, दो रणजी ट्रॉफी और दो ईरानी कप'.
पूर्व मुंबई के विकेटकीपर और कोच विनायक सामंत के लिए, वानखेड़े में तमिलनाडु के खिलाफ 2002-2003 सीजन में रणजी ट्रॉफी जीतने वाला फाइनल सबसे खास है.
सामंत ने कहा, 'असम के लिए खेलने के बाद यह मुंबई के लिए मेरा पहला सीजन था. चंदू सर (चंद्रकांत पंडित) कोच थे, हमने फाइनल जीता था. मैंने लेग साइड पर कूदकर शानदार कैच लिया था. हमने बंगाल के खिलाफ फाइनल खेला, जिसमें सचिन तेंदुलकर, अजीत अगरकर और जहीर खान थे. वह एक खास मैच था. सेमीफाइनल में, मैंने और अमोल ने रन बनाए थे. बंगाल में सौरव गांगुली और मनोज तिवारी थे'.
वरिष्ठ क्रिकेट प्रशासक प्रोफेसर रत्नाकर शेट्टी, जिन्हें प्यार से प्रोफेसर के नाम से जाना जाता है, ने याद किया कि भारत का वनडे विश्व कप जीतना उनके लिए और वानखेड़े स्टेडियम में इतिहास रचने के लिए गौरव का क्षण था.
शेट्टी ने ईटीवी भारत से कहा, 'वानखेड़े स्टेडियम की स्वर्ण जयंती एमसीए से जुड़े हम सभी लोगों के लिए गौरव का क्षण है. बैरिस्टर (एस) वानखेड़े और उनके सहयोगियों की बदौलत एमसीए के पास अपना स्टेडियम है और वह आत्मनिर्भर है'.
शेट्टी ने कहा, 'आईसीसी सीडब्ल्यूसी 2011 के टूर्नामेंट निदेशक और एमसीए के कोषाध्यक्ष के रूप में वानखेड़े स्टेडियम के नवीनीकरण में सक्रिय रूप से शामिल, जहां फाइनल मैच खेला जाना था. मेरे जीवन के सबसे खुशी के क्षणों में से एक धोनी को विश्व कप उठाते हुए देखना था और यह वानखेड़े स्टेडियम रिकॉर्ड बुक में दर्ज हो गया क्योंकि यह पहली बार था जब किसी मेजबान देश ने विश्व कप जीता था. वानखेड़े स्टेडियम शायद भारत का एकमात्र स्टेडियम है जिसने क्रिकेट और हॉकी विश्व कप का फाइनल खेला है'.
मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व पदाधिकारी विनोद देशपांडे ने प्रशासनिक भूमिकाओं के माध्यम से अपनी यात्रा के बारे में बताया.
उन्होंने कहा, 'वानखेड़े स्टेडियम से जुड़ी मेरी यादें 1987 में वॉलंटियर से लेकर 2017 में उपाध्यक्ष बनने तक की मेरी यात्रा है. मैं वानखेड़े स्टेडियम के लिए 2011 वनडे विश्व कप के लिए आयोजन स्थल प्रभारी था और भारत ने वह विश्व कप जीता था, वह पूरे देश के लिए गर्व का क्षण था'.
देशपांडे ने कहा, '2016 के टी20 विश्व कप में भी मैं आयोजन स्थल प्रभारी था और सचिन तेंदुलकर के 200वें टेस्ट में, हमने बीसीसीआई से इसके लिए कहा था, तब मैं कोषाध्यक्ष था. मैं उस मैच का भी प्रभारी था. 2011 वनडे विश्व कप, 2016 टी20 विश्व कप और सचिन तेंदुलकर का विदाई टेस्ट, ये सभी यादगार पल हैं. मुझे मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा मेरी 33 साल की सेवा के लिए सम्मानित किए जाने पर खुशी हुई'.
जाने-माने कमेंटेटर मिलिंद वागले के पास कई यादें हैं, लेकिन उनका कहना है कि 1991 में मुंबई और हरियाणा के बीच रणजी ट्रॉफी का फाइनल, जिसमें मेजबान टीम सिर्फ दो रन से हारी थी, सबसे बेहतरीन है.
खेल जगत में एक जाना-माना चेहरा वागले ने याद किया, 'क्योंकि दो वजहों से... सिर्फ इसलिए नहीं कि मुंबई हार गई और हरियाणा ने करीबी मुकाबले में जीत हासिल की, बल्कि मेरे साथी कमेंटेटर करसन घावरी, सलीम दुरानी, जो मेरे बचपन के हीरो थे, और डॉ. मिलिंद टिपनिस, एक रेडियो कमेंटेटर थे, जो पहली बार टीवी कमेंट्री कर रहे थे. इसलिए सीनियर मेंटर होने का बोझ मुझ पर थोड़ा था'.
वागले ने कहा, 'मैच ऐतिहासिक था. मैं वास्तव में कहूंगा कि दिलीप (वेंगसरकर) की पारी से पहले, बहुत से लोगों को नहीं पता था कि सचिन (तेंदुलकर) ने उस मैच में 96 रन बनाए थे. उन्होंने शानदार पारी खेली और संजय मांजरेकर ने शानदार तरीके से टीम की अगुआई की और फिर बेशक दिलीप और एबी की साझेदारी हुई और दिलीप एक बच्चे की तरह रो पड़े'.