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11 करोड़ का मिड डे मील डकार गया शिक्षक, 6 बैंक ने मिलकर किया घोटाला, मुकदमा दर्ज

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Published : Aug 2, 2022, 1:56 PM IST

उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा की 'मिड-डे मील योजना' में बड़ा घोटाला सामने आया है. योजना के 11 करोड़ 46 लाख रुपये प्राइमरी स्कूल का एक टीचर निगल गया.

मिड डे मील घोटाला.
मिड डे मील घोटाला.

आगरा: यूपी में बेसिक शिक्षा की मिड-डे मील योजना में घोटाला पकड़ा गया है. योजना के 11 करोड़ 46 लाख रुपये प्राइमरी स्कूल का एक टीचर खा गया. विजिलेंस की जांच में टीचर के पास अकूत संपत्ति पाई गई है. विजिलेंस ने टीचर और घोटाले में शामिल शिक्षा सहित कई विभागों के खिलाफ केस दर्ज किया है.

फर्जी संस्था बनाकर किया खेल
विजिलेंस थाना में दर्ज FIR के मुताबिक, फिरोजाबाद जिले के शिकोहाबाद में तैनात प्राइमरी शिक्षक चंद्रकांत शर्मा मिड-डे मील घोटाले का मास्टर माइंड है. विजिलेंस की जांच में खुलासा हुआ कि साल 2006 में प्राइमरी शिक्षक चंद्रकांत शर्मा ने सारस्वत आवासीय शिक्षा सेवा समिति नाम से एक संस्था का पंजीकरण चिटफंड कार्यालय में फर्जी दस्तावेजों से कराया. साल 2008 में प्राइमरी शिक्षक चंद्रकांत शर्मा ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत करके फिरोजाबाद जिले में सरकारी विद्यालयों के मिड डे मील का काम ले लिया.

जिंदा माता-पिता को कागजों में मार डाला
विजिलेंस की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि आरोपी शिक्षक चंद्रकांत शर्मा ने पिता को संस्था का अध्यक्ष बनाया और मां को प्रबंधक व सचिव और पत्नी को कोषाध्यक्ष बनाया. इसके साथ ही परिवार के कई सदस्यों को संस्था में पदाधिकारी बनाया गया. जब मिड डे मील का काम मिला तो अपने माता-पिता को मृतक दिखाया और खुद सुनील शर्मा के नाम से संस्था का कोषाध्यक्ष बन गया. जबकि, आरोपी शिक्षक चंद्रकांत शर्मा के माता-पिता दोनों ही अभी जीवित हैं.

बैंक अधिकारियों की मदद से रकम की ट्रांसफर
विजिलेंस की जांच में यह भी सामने आया कि, साल 2008 से मई 2014 तक फिरोजाबाद जिले में इस संस्था को मिड डे मील का काम मिला. जिसके एवज में संस्था को 11,46,48,500 रुपये का भुगतान पंजाब नेशनल बैंक के खाते में किया गया. इसके बाद चंद्रकांत शर्मा ने बैंक के अधिकारियों से मिलीभगत करके यह रकम संस्था के खाते से आगरा की कई बैंकों में सुनील शर्मा के नाम से खोले गए फर्जी खातों में ट्रांसफर कराई.

विजिलेंस इंस्पेक्टर अमर सिंह ने बताया कि आरोपी शिक्षक चंद्रकांत शर्मा ने घोटाले की रकम प्रॉपर्टी में निवेश की. उसने फिरोजाबाद में कई प्रॉपर्टी खरीदी और इन प्रॉपर्टी पर बिना नक्शा पास कराए बंगले खड़े कर दिए. इतना ही नहीं उसने बिजली के कनेक्शन भी फर्जी दस्तावेजों से लिए हैं. और न ही अपने भवन का नगर निगम में म्यूटेशन कराया है.

6 बैंक और 7 विभागों ने मिलकर किया घोटाला
विजिलेंस के इंस्पेक्टर अमर सिंह के मुताबिक, बेसिक शिक्षा विभाग में हुए मिड-डे मील घोटाले में आरोपी शिक्षक चंद्रकांत शर्मा के साथ ही 7 विभाग के अधिकारी शामिल हैं. इसमें शिक्षा विभाग, मिड-डे मील समन्वयक, डाक विभाग, आवास विकास परिषद, नगर निगम फिरोजाबाद, उप निबंधन चि फंड, टॉरेंट पावर के साथ ही पीएनबी बैंक शिकोहाबाद, एक्सिस बैंक आगरा, सिंडीकेट बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और कॉरपोरेशन बैंक के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.

इसे भी पढे़ं- देवरिया में हुआ करोड़ों का खाद्यान्न घोटाला, आरोपी मार्केटिंग इंस्पेक्टर फरार

आगरा: यूपी में बेसिक शिक्षा की मिड-डे मील योजना में घोटाला पकड़ा गया है. योजना के 11 करोड़ 46 लाख रुपये प्राइमरी स्कूल का एक टीचर खा गया. विजिलेंस की जांच में टीचर के पास अकूत संपत्ति पाई गई है. विजिलेंस ने टीचर और घोटाले में शामिल शिक्षा सहित कई विभागों के खिलाफ केस दर्ज किया है.

फर्जी संस्था बनाकर किया खेल
विजिलेंस थाना में दर्ज FIR के मुताबिक, फिरोजाबाद जिले के शिकोहाबाद में तैनात प्राइमरी शिक्षक चंद्रकांत शर्मा मिड-डे मील घोटाले का मास्टर माइंड है. विजिलेंस की जांच में खुलासा हुआ कि साल 2006 में प्राइमरी शिक्षक चंद्रकांत शर्मा ने सारस्वत आवासीय शिक्षा सेवा समिति नाम से एक संस्था का पंजीकरण चिटफंड कार्यालय में फर्जी दस्तावेजों से कराया. साल 2008 में प्राइमरी शिक्षक चंद्रकांत शर्मा ने बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत करके फिरोजाबाद जिले में सरकारी विद्यालयों के मिड डे मील का काम ले लिया.

जिंदा माता-पिता को कागजों में मार डाला
विजिलेंस की जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि आरोपी शिक्षक चंद्रकांत शर्मा ने पिता को संस्था का अध्यक्ष बनाया और मां को प्रबंधक व सचिव और पत्नी को कोषाध्यक्ष बनाया. इसके साथ ही परिवार के कई सदस्यों को संस्था में पदाधिकारी बनाया गया. जब मिड डे मील का काम मिला तो अपने माता-पिता को मृतक दिखाया और खुद सुनील शर्मा के नाम से संस्था का कोषाध्यक्ष बन गया. जबकि, आरोपी शिक्षक चंद्रकांत शर्मा के माता-पिता दोनों ही अभी जीवित हैं.

बैंक अधिकारियों की मदद से रकम की ट्रांसफर
विजिलेंस की जांच में यह भी सामने आया कि, साल 2008 से मई 2014 तक फिरोजाबाद जिले में इस संस्था को मिड डे मील का काम मिला. जिसके एवज में संस्था को 11,46,48,500 रुपये का भुगतान पंजाब नेशनल बैंक के खाते में किया गया. इसके बाद चंद्रकांत शर्मा ने बैंक के अधिकारियों से मिलीभगत करके यह रकम संस्था के खाते से आगरा की कई बैंकों में सुनील शर्मा के नाम से खोले गए फर्जी खातों में ट्रांसफर कराई.

विजिलेंस इंस्पेक्टर अमर सिंह ने बताया कि आरोपी शिक्षक चंद्रकांत शर्मा ने घोटाले की रकम प्रॉपर्टी में निवेश की. उसने फिरोजाबाद में कई प्रॉपर्टी खरीदी और इन प्रॉपर्टी पर बिना नक्शा पास कराए बंगले खड़े कर दिए. इतना ही नहीं उसने बिजली के कनेक्शन भी फर्जी दस्तावेजों से लिए हैं. और न ही अपने भवन का नगर निगम में म्यूटेशन कराया है.

6 बैंक और 7 विभागों ने मिलकर किया घोटाला
विजिलेंस के इंस्पेक्टर अमर सिंह के मुताबिक, बेसिक शिक्षा विभाग में हुए मिड-डे मील घोटाले में आरोपी शिक्षक चंद्रकांत शर्मा के साथ ही 7 विभाग के अधिकारी शामिल हैं. इसमें शिक्षा विभाग, मिड-डे मील समन्वयक, डाक विभाग, आवास विकास परिषद, नगर निगम फिरोजाबाद, उप निबंधन चि फंड, टॉरेंट पावर के साथ ही पीएनबी बैंक शिकोहाबाद, एक्सिस बैंक आगरा, सिंडीकेट बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और कॉरपोरेशन बैंक के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.

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