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आगरा के रेलवे स्टेशन से हटेगा 400 साल पुराना मंदिर, रेलवे ने दिया नोटिस

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Published : Apr 23, 2022, 1:30 PM IST

Updated : Apr 23, 2022, 2:55 PM IST

राजस्थान के अलवर में शुक्रवार को अतिक्रमण के दौरान मंदिर तोड़े जाने की घटना से राजनीतिक में उबार आ गया है. बीजेपी और कांग्रेस इसके लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार बता रहे हैं. इस घटना को लेकर राजनीति और गहरा गई है. वहीं, आगरा में राजा मंडी रेलवे स्टेशन पर 400 साल पुराने चामुंडा देवी मंदिर को हटाने के लिए रेलवे विभाग ने नोटिस चस्पा कर दिया है.

चामुंडा देवी मंदिर
चामुंडा देवी मंदिर

आगरा: राजस्थान में अतिक्रमण को लेकर मंदिर तोड़े जाने की घटना ने राजनीतिक रंग ले लिया है. इसको लेकर कांग्नेस और बीजेपी के बीच धार्मिक स्थलों को लेकर सियासत तेज हो गई है. इस घटना के बाद आगरा में रेलवे के प्रशासनिक अधिकारियों ने राजा मंडी के प्लेटफार्म नंबर एक के पास स्थित 400 साल पुराने चामुंडा मंदिर को हटाने के लिए नोटिस चस्पा कर दिया है.

नोटिस में लिखा है कि मंदिर द्वारा रेलवे की जगह का अतिक्रमण किया गया है. 10 दिन के अंदर मंदिर को कहीं और शिफ्ट करने की बात कही जा रही है. ऐसे में भक्तों ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि रेलवे को मंदिर अतिक्रमण के रूप में दिखाई दे रहा है तो कुछ दूरी पर मजार और मस्जिद है, वहां पर नोटिस चस्पा क्यों नहीं किया गया? आखिर हर बार रेलवे को मंदिर ही क्यों अतिक्रमण के रूप में दिखाई देता है.

रेलवे द्वारा 12 अप्रैल 2022 को 400 साल पुराने चामुंडा देवी मंदिर पर नोटिस लगाया गया था. इसमें साफ तौर पर लिखा गया था कि 10 दिन के अंदर इस मंदिर को स्थानांतरित किया जाए, क्योंकि राजा मंडी प्लेटफार्म नंबर एक पर बने चामुंडा देवी मंदिर का भाग प्लेटफार्म पर आ रहा है. इससे रेल यात्रियों को असुविधा हो रही है. साथ ही यह रेल आवागमन के लिए भी असुरक्षित है. आगरा में शिव मंदिर जितने पौराणिक हैं, उतने ही माता रानी के भी मंदिर पौराणिक हैं. इसी में से एक है चामुंडा देवी मंदिर. मंदिर के महंत सुरेंद्र गिरि बताते हैं कि यह मंदिर 400 साल पुराना है. उनसे पहले जो साधु-संत थे, वे भी पूजा करते आ रहे थे. मंदिर में लोगों की आस्था है. दूर-दूर से लोग इस मंदिर में मन्नत मांगने आते हैं.

यह भी पढ़ें: CM योगी के आदेश का असर, गोरखनाथ मंदिर में धीमी हुई लाउडस्‍पीकर की आवाज

भक्त सनी अग्रवाल ने बताया कि मंदिर पर सन 2000 में भी रेलवे ने नोटिस चस्पा किया था. उसके बाद भक्तों ने इसका विरोध किया था. इस वजह से मंदिर को तोड़ने की बात समाप्त हो गई थी. इसके 10 साल बाद 2011 में रेलवे ने फिर से नोटिस चस्पा किया था. सनी अग्रवाल ने कहा कि मंदिर को धर्मशाला बताकर तोड़ने का प्लान बनाया गया था, लेकिन भक्तों की एकजुटता की वजह से मंदिर को बचा लिया गया था. अब 10 साल बाद 2022 में एक बार फिर से रेलवे ने नोटिस चस्पा किया और मंदिर को अतिक्रमण बता दिया. उन्होंने बताया कि रेलवे लाइन के पास ही मंदिर से कुछ दूरी पर मजार और मस्जिद दोनों हैं, लेकिन रेलवे ने आज तक वहां पर कभी भी नोटिस चस्पा नहीं किया. उन्होंने कहा कि यदि मंदिर को हटाया गया तो इसका विरोध लोग पुरजोर तरीके से करेंगे.

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आगरा: राजस्थान में अतिक्रमण को लेकर मंदिर तोड़े जाने की घटना ने राजनीतिक रंग ले लिया है. इसको लेकर कांग्नेस और बीजेपी के बीच धार्मिक स्थलों को लेकर सियासत तेज हो गई है. इस घटना के बाद आगरा में रेलवे के प्रशासनिक अधिकारियों ने राजा मंडी के प्लेटफार्म नंबर एक के पास स्थित 400 साल पुराने चामुंडा मंदिर को हटाने के लिए नोटिस चस्पा कर दिया है.

नोटिस में लिखा है कि मंदिर द्वारा रेलवे की जगह का अतिक्रमण किया गया है. 10 दिन के अंदर मंदिर को कहीं और शिफ्ट करने की बात कही जा रही है. ऐसे में भक्तों ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि रेलवे को मंदिर अतिक्रमण के रूप में दिखाई दे रहा है तो कुछ दूरी पर मजार और मस्जिद है, वहां पर नोटिस चस्पा क्यों नहीं किया गया? आखिर हर बार रेलवे को मंदिर ही क्यों अतिक्रमण के रूप में दिखाई देता है.

रेलवे द्वारा 12 अप्रैल 2022 को 400 साल पुराने चामुंडा देवी मंदिर पर नोटिस लगाया गया था. इसमें साफ तौर पर लिखा गया था कि 10 दिन के अंदर इस मंदिर को स्थानांतरित किया जाए, क्योंकि राजा मंडी प्लेटफार्म नंबर एक पर बने चामुंडा देवी मंदिर का भाग प्लेटफार्म पर आ रहा है. इससे रेल यात्रियों को असुविधा हो रही है. साथ ही यह रेल आवागमन के लिए भी असुरक्षित है. आगरा में शिव मंदिर जितने पौराणिक हैं, उतने ही माता रानी के भी मंदिर पौराणिक हैं. इसी में से एक है चामुंडा देवी मंदिर. मंदिर के महंत सुरेंद्र गिरि बताते हैं कि यह मंदिर 400 साल पुराना है. उनसे पहले जो साधु-संत थे, वे भी पूजा करते आ रहे थे. मंदिर में लोगों की आस्था है. दूर-दूर से लोग इस मंदिर में मन्नत मांगने आते हैं.

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भक्त सनी अग्रवाल ने बताया कि मंदिर पर सन 2000 में भी रेलवे ने नोटिस चस्पा किया था. उसके बाद भक्तों ने इसका विरोध किया था. इस वजह से मंदिर को तोड़ने की बात समाप्त हो गई थी. इसके 10 साल बाद 2011 में रेलवे ने फिर से नोटिस चस्पा किया था. सनी अग्रवाल ने कहा कि मंदिर को धर्मशाला बताकर तोड़ने का प्लान बनाया गया था, लेकिन भक्तों की एकजुटता की वजह से मंदिर को बचा लिया गया था. अब 10 साल बाद 2022 में एक बार फिर से रेलवे ने नोटिस चस्पा किया और मंदिर को अतिक्रमण बता दिया. उन्होंने बताया कि रेलवे लाइन के पास ही मंदिर से कुछ दूरी पर मजार और मस्जिद दोनों हैं, लेकिन रेलवे ने आज तक वहां पर कभी भी नोटिस चस्पा नहीं किया. उन्होंने कहा कि यदि मंदिर को हटाया गया तो इसका विरोध लोग पुरजोर तरीके से करेंगे.

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Last Updated : Apr 23, 2022, 2:55 PM IST
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