वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ न्यूरोलाॅजिकल सोसायटी के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. बसंत कुमार मिश्रा. आगरा : वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ न्यूरोलाॅजिकल सोसायटी के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. बसंत कुमार मिश्रा ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि यदि सिर के एक ही हिस्से में तेज दर्द है. लगातार सिर दर्द हो. सिर में एक तरफ सुन्नपन हो. रात में नींद यदि सिर दर्द से उचट जाए तो ये लक्षण ब्रेन ट्यूमर के भी हो सकते हैं. ब्रेन ट्यूमर की समय से जांच कराने और सर्जरी करने से जान बच सकती है. उन्होंने बताया कि 40 से 50 साल की उम्र के बाद ब्रेन टयूमर का खतरा अधिक होता है. ऐसी स्थिति में इलाज में देरी होने पर ट्यूमर अपने लो ग्रेड ग्लाइओमा स्टेज से हाई रिस्क ग्रेड ग्लाइओमा स्टेज में पहुंच जाता है. तब मरीज की जान बचाना मुश्किल हो जाता है. प्रो. डॉ. बसंत कुमार मिश्रा मुंबई के पीडी हिंदुजा नेशनल हॉस्पिटल में न्यूरोसर्जरी के विभागाध्यक्ष भी हैं.
प्रोफेसर डॉ. बसंत कुमार मिश्रा ने बताया कि ग्लाइओमा एक तरह से कॉमन ब्रेन ट्यूमर है. ब्रेन के शेल होते हैं. जिससे ब्रेन बनता है. ब्रेन की शेल में यदि डिवीजन शुरू हो गया तो गांठ बनती है. इसमें ब्रेन के शेल के अंदर से ही गांठ निकलती है. इसके अलग अलग नाम हैं. उनकी जगह भी अलग होती है. जहां पर साइलेंट एरिया है. वहां पर रिस्क कम है. इसका ऑपरेशन जरूरी है.
सिर दर्द से उचटने लगे नींद तो न करें नजरअंदाज. 40 % ब्रेन ट्यूमर में लो ग्रेड ग्लाइओमा के मरीजप्रोफेसर डॉ. बसंत कुमार मिश्रा के अनुसार देश में ट्यूमर में सबसे ज्यादा 40 फीसदी ब्रेन ट्यूमर लो ग्रेड ग्लाइओमा के मरीज मिल रहे हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें 40 से 55 उम्र के लो ग्रेड ग्लाइओमा के मरीज इनमें 60 फीसदी हैं. इसकी वजह जैनेटिक म्युटेशन है. जिनका पहली स्टेज में पता चलने पर सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथैरिपी से इलाज संभव है. लो ग्रेड ग्लाइओमा की वजह के बारे में अभी कोई सटीक बात सामने नहीं आई है. कुछ लोग इस जैनेटिक मानते हैं तो कुछ म्युटेशन होने की बात कहते हैं. कुछ मामलों को देखकर पर्यावरण आया बदलाव भी मानते हैं. इसकी वजह रेडिशन भी हो सकता है.
हाई ग्रेड ग्लाइओमा स्टेज में जान बचाना मुश्किल वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ न्यूरोलाॅजिकल सोसायटी के अध्यक्ष प्रो. बसंत कुमार मिश्रा बताते हैं कि ब्रेन ट्यूमर की लो ग्रेड ग्लाइओमा स्टेज में कई ऐसे लक्षण हैं. जो इसकी बीमारी के बारे में संकेत देते हैं. जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. इसमें 30 साल की उम्र के बाद दौरा पड़ना, सिर के एक ही हिस्से में दर्द होना, आंखों से डबल दिखना, तिरछा दिखना, सुनाई कम देने जैसे लक्षण सामने आते हैं. इसको लेकर लापरवाही नहीं बरतनी नहीं चाहिए. क्योंकि लापरवाही से मर्ज अपनी हाई ग्रेड ग्लाइओमा स्टेज पर पहुंच जाता है. जिसमें मरीज की जान बचाना बेहद मुश्किल होता है.
यह भी पढ़ें : लखनऊ में रोती बिलखती लहूलुहान लड़की का वीडियो वायरल, पुलिस ने कही यह बात