आगरा: यूपी में निकाय चुनाव प्रचार जोर-शोर से चल रहा है. सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशी और निर्दलीय उम्मीदवार अपनी जीत के लिए चुनाव प्रचार में लगे हैं. क्योंकि, यूपी में प्रथम चरण का मतदान चार मई 2023 को होना है. आगरा की बात करें तो चार तारीख को आगरा महापौर की किस्मत ईवीएम में कैद हो जाएगी. आगरा की जनता ने सबसे पहले सन् 1995 में पहली महिला महापौर चुनी थी. तब भाजपा की टिकट से बेबी रानी मौर्य महापौर बनी थीं, जो अभी योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. इसके बाद सन 2006 में फिर भाजपा ने महिला महापौर का टिकट अंजुला माहौर को दिया, जो जीतकर महापौर बनी थीं. तीसरी बार एक बार फिर आगरा नगर निगम की सीट अनुसूचित जाति महिला के लिए रिजर्व की है. इसलिए, आगरा की जनता तीसरी बार अनुसूचित जाति की महिला को महापौर चुनेगी.
बता दें कि 1989 में आगरा नगर निगम बना था. तक सबसे पहले भाजपा के रमेशकांत लवानियां महापौर बने थे. इसके बाद सन् 1995 में अनुसूचित जाति महिला आरक्षित सीट से भाजपा की बेबी रानी मौर्य महापौर बनीं. इसके बाद सन 2000 में अनुसूचित जाति आरक्षित सीट से भाजपा के किशोरी लाल माहौर बने. सन् 2006 में अनुसूचित जाति महिला आरक्षित सीट से भाजपा की अंजुला सिंह माहौर बनीं. इसके बाद सन् 2012 में अनुसूचित जाति सीट से भाजपा के इंद्रजीत आर्य और सन 2017 में अनारक्षित सीट होने पर भाजपा के नवीन जैन महापौर बने. इस बार नगरीय निकाय चुनाव में आगरा नगर निगम की सीट अनुसचित जाति महिला हुई है. इसलिए, तीसरी बार आगरा की जनता महिला महापौर चुनेगी.
आगरा नगर निगम में बीते 34 साल से भाजपा का महापौर है. ऐसे में भाजपा ने आगरा नगर निगम में महापौर की प्रत्याशी पूर्व विधायक हेमलता दिवाकर को उम्मीदवार बनाया है. हेमलता दिवाकर आगरा ग्रामीण की विधायक रही हैं. लेकिन, भाजना ने सन् 2022 के विधानसभा चुनाव में हेमलता दिवाकर का टिकट काट दिया था. महापौर की उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से भाजपा के कई दिग्गज आगरा में आकर चुनाव प्रचार कर चुके हैं. इसमें सीएम योगी भी शामिल हैं.
बसपा ने इस बार वाल्मीकि कार्ड चला है. बसपा ने भाजपा के कोर वोट में सेंध लगाने के लिए लता वाल्मीकि को उम्मीदवार बनाया है. बसपा की ओर से अभी तक आगरा में कोई बड़ा नेता चुनाव प्रचार करने नहीं आया है. इसके साथ ही सपा ने भी नया कार्ड चला है. सपा ने नगर निगम महापौर पद पर जूही प्रकाश जाटव को प्रत्याशी बनाया है. सपा ने बसपा के कोर वोटर में सेंध लगाने के लिए जूही प्रकाश जाटव को चुनाव मैदान में उतारा है. ऐसे ही आम आदमी ने सरिता दिवाकर और कांग्रेस की उम्मीदवार लता कुमारी उम्मीदवार हैं. भाजपा, बसपा, सपा, आप और कांग्रेस के साथ ही 10 उम्मीदवार महापौर पद के लिए चुनाव मैदान में हैं.
महापौर से राज्यपाल और अब कैबिनेट मंत्री
आगरा नगर निगम की बात करें तो यह महिला महापौर के लिए बेहद लकी है. सन् 1995 में भाजपा की सीट पर महिला महापौर बनी बेबी रानी मौर्य को भाजपा ने उत्तराखंड का राज्यपाल बनाया था. इसके बाद भाजपा ने बेबी रानी मौर्य को सन 2022 के विधानसभा चुनाव में आगरा ग्रामीण से प्रत्याशी बनाया. जहां से जीत दर्ज करके बेबी रानी मौर्य योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनी हैं.
महापौर से हाथरस की विधायक बनीं
आगरा की दूसरी महिला महापौर अंजुला माहौर हैं. सन् 2006 में आगरा की महापौर बनी थीं. भाजपा की टिकट पर चुनाव जीती थीं. इसके बाद उन्होंने भाजपा छोड़ी और सपा में चली गईं. लेकिन, सन् 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा की सरकार बनी तो अंजुला माहौर फिर भाजपा में शामिल हो गईं. पार्टी ने उन्हें प्रदेश कार्यकारिणी में पद दिया. इसके बाद सन् 2022 के विधानसभा चुनाव में हाथरस से भाजपा ने उन्हें चुनाव लड़ाया. यहां से जीत कर अंजुला माहौर हाथरस से विधयक बनीं.
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