आगरा: जिले में हाईकोर्ट खंडपीठ की मांग को लेकर प्रदर्शन के दौरान दीवानी में अधिवक्ताओं पर लाठीचार्ज किया गया था. इस घटना को आज 19 साल पूरे हो गए हैं. फिर भी आगरा को खंडपीठ नहीं मिली है. वहीं अधिवक्ताओं का संघर्ष जारी है. इसे लेकर शनिवार को अधिवक्ताओं ने दीवानी में हड़ताल की. ग्रेटर आगरा बार एसोसिएशन की ओर से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन एडीएम सिटी डॉ. प्रभाकांत अवस्थी को दिया गया. इसमें मांग की गई है कि 26 सितम्बर 2001 के दोषियों को सजा दी जाए और अधिवक्ताओं को न्याय दिलाएं.
ग्रेटर बार आगरा के अध्यक्ष महेश बघेल ने बताया कि 19 साल पहले अधिवक्ताओं पर किए गए लाठीचार्ज के विरोध में शनिवार को हड़ताल रखी गई. इसके साथ ही जिला प्रशासन को मांगों का ज्ञापन दिया गया है. ग्रेटर आगरा बार एसोसिएशन के सचिव भारत सिंह ने बताया कि एसोसिएशन की मांग पर 29 सितंबर 2020 से सिविल कोर्ट परिसर गेट 2 और 3 को पैदल चलने वाले लोगों के लिए खोला जाएगा. न्यायालय परिसर में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को मास्क लगाना अनिवार्य होगा. साथ ही थर्मल स्क्रीनिंग के बाद ही उन्हें प्रवेश दिया जाएगा.
आखिर क्या था मामला
26 सितंबर 2001 में हाई कोर्ट खंडपीठ की मांग को लेकर अधिवक्ताओं ने दीवानी में प्रदर्शन किया था. इस पर पुलिस ने लाठियां बरसाईं थी. इसको लेकर अधिवक्ता संघर्ष कर रहे हैं.
1866 में आगरा में था हाइकोर्ट
सन 1866 में आगरा में हाईकोर्ट की स्थापना की गई थी. यह स्थापना दीवानी में हुई थी. फिर 3 साल बाद सन 1869 में हाईकोर्ट को अस्थायी रूप से इलाहाबाद (प्रयागराज) स्थानांतरित किया गया. इसके बाद हाईकोर्ट को वहीं स्थायी कर दिया गया.
1956 में उठी आगरा से मांग
वरिष्ठ अधिवक्ताओं का कहना है कि सन 1956 में आगरा में फिर से हाईकोर्ट की स्थापना की मांग उठी थी. सन 1985 में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और केरल में खंडपीठ स्थापना के लिए गठित जसवंत सिंह आयोग ने भी आगरा में खंडपीठ का पक्ष लिया. मगर, जसवंत सिंह आयोग की रिपोर्ट को सरकार ने लागू नहीं किया है और इसी को लेकर अधिवक्ता लगातार संघर्ष कर रहे हैं, क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट की आगरा से दूरी 475 किलोमीटर है.