आगरा : अब धान की पराली में भी आलू की फसल लहलहा रही है. अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र (एशिया क्षेत्र) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक इजाद की है, जिससे पराली का सही निस्तारण के साथ इससे जीरो टिलेज पर आलू की खेती की जा रही है. इस तकनीक से पराली जलाने की समस्या का ठोस समाधान निकला है. इस तकनीक से आलू की खेती में पानी की भी 90 प्रतिशत की खपत कम हो रही है. ETV भारत ने आगरा में आयोजित आलू महोत्सव में आईं अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र एशिया की वैज्ञानिक डाॅ. पूजा पांडेय से इस तकनीक पर बातचीत की.
असम में चल रहा इस पर प्रोजेक्ट
अंतरराष्टीय आलू केंद्र एशिया क्षेत्र की वैज्ञानिक डाॅ. पूजा पांडेय ने ETV भारत से बातचीत में बताया कि, यह एक बहुत अच्छी तकनीक है. उन्होंने बताया, इसका एक प्रोजेक्ट असम में चल रहा है. वहां पर पानी की समस्या थी. इस तकनीक से आलू को कम पानी में ही उगाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि धान की कटाई के बाद जो पराली बच जाती है, आलू के खेती में उसका उपयोग किया जाता है. असम में किसान इस तकनीक से आलू की अच्छी पैदावार ले रहे हैं.
![आलू की खेती.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-agr-01-zero-tilege-technology-from-potato-farming-in-parali-pkg-7203925_21022021070436_2102f_1613871276_474.jpg)
जीरो टिलेज तकनीक से पराली का समाधान
पूजा पांडेय ने बताया कि, इस तकनीक से जहां पर धान की खेती होती है, वहां पर आलू की फसल पराली में उगाई जा सकती है. आगरा और इसके आसपास भी आसानी से इस तकनीक से आलू की खेती की जा सकती है. उन्होंने बताया कि किसान पराली को जला नहीं सकते हैं, क्योंकि इससे प्रदूषण होता है. इसके अलावा पराली को डीकंपोज करने में भी किसानों को समस्या होती है. ऐसे में पराली में आलू की खेती करने की जीरो टिलेज तकनीक फायदेमंद होगी.
![जीरो टिलेज पर आलू की खेती](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-agr-01-zero-tilege-technology-from-potato-farming-in-parali-pkg-7203925_21022021070436_2102f_1613871276_1104.jpg)
ऐसे होती है इस तकनीक से आलू की खेती
वैज्ञानिक पूजा पांडेय के मुताबिक, जीरो टिलेज तकनीक में खेत की मिट्टी को बिल्कुन छेड़ना नहीं है और न ही मिट्टी को खोदना है. खेतों में जब धान की फसल काटते हैं, तो उसके ठूंठ बचते हैं. धान की दो रो के बीच में आलू को निश्चित दूरी पर रखना है. उसके बाद दो मुट्ठी के करीब एफवाईएम उसी आलू के ऊपर डाल देना है. इसमें आलू की दो पंक्तियों के बीच में खाद डालनी है. यह खाद मिट्टी की जांच के हिसाब से रखी जाएगी. आलू लगाने से पहले ही इसमें खाद लगानी होगी. इसके बाद आलू रखने पर उसे ढक देना है. पराली की 6 से 8 इंच मोटी परत से ढकना होगा. इसमें पानी भी कम मात्रा में ही डालना है.
आलू में नहीं लगेगी बीमारी
वैज्ञानिक डाॅ. पूजा पांडेय का कहना है कि पराली से जीरो टिलेज तकनीक से आलू उगाने पर कोई बीमारी नहीं लगेगी. साथ ही इसमें पानी भी कम लगेगा. यह तकनीक आगरा, मथुरा के साथ-साथ उन सभी राज्यों में आलू उगाने में उपयोगी होगी, जहां पर धान की खेती होती है.
पराली में आलू की खेती करने की तकनीक किसानों की किस्मत खोलने वाली है. इस विधि में पराली नहीं जलानी पड़ती. इससे प्रदूषण नहीं होगा. पराली में आलू की खेती करने से खर्चा कम आता है और उत्पादन बेहतर होता है.
-डाॅ. पूजा पांडेय, वैज्ञानिक, अंतरराष्ट्रीय आलू केंद्र