आगरा: पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों की आज पहली बरसी है. आतंकी हमले में आगरा के लाल कौशल कुमार रावत शहीद हुए थे. उस समय यूपी सरकार- प्रशासनिक अधिकारियों ने शहीद के परिवार से तमाम वादे किए थे. शहीद की शहादत को संजोने के सपने दिखाए, लेकिन लापरवाह अफसरशाही की वजह से एक साल में भी अभी शहीद का स्मारक नहीं बन पाया है.
बातचीत में शहीद की मां और भाई ने ईटीवी भारत को बताया कि उनकी शहादत ने परिवार का नाम रोशन किया. मगर लापरवाह अफसरों की वजह से उनके दिल में टीस है क्योंकि न शहीद का स्मारक बना और न किए गए वादे पूरे हुए. अफसरशाही ने भले ही शहीद की शहादत को भुला दिया हो, मगर कौशल कुमार की तरह देश की रक्षा के लिए परिवार के युवा, रिश्तेदार और पड़ोसी भी सेना में भर्ती होने की तैयारी कर रहे हैं.
14 फरवरी 2019 में 40 जवान हुए शहीद
बता दें कि, 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में आतंकवादियों ने सीआरपीएफ के दल पर कायराना हमला किया था. जिसमें 40 से ज्यादा सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए थे. इसमें आगरा के सीआरपीएफ के जवान कौशल कुमार रावत भी शामिल थे. शहीद कौशल कुमार रावत की पत्नी ममता, बेटा अभिषेक, बेटी अपूर्वा और छोटा बेटा विकास हैं. जो गुरुग्राम में रहते हैं. शहीद का बड़ा बेटा विदेश से मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है. बेटी अपूर्वा पायलट की ट्रेनिंग कर रही है. छोटा बेटा विकास एनडीए की तैयारी कर रहा है.
बेटे की शहादत पर गर्व
शहीद कौशल कुमार रावत की मां सुधा रावत का कहना है कि मेरी तो बस इतनी ही मांग थी, कि बेटे कौशल के नाम पर गांव का प्रवेश द्वार बनाया जाए. उसके नाम पर सरकारी स्कूल का नाम हो. बेटे का शहीद स्मारक बनाया जाए, लेकिन एक साल बीत गया. डीएम की बात दूर कोई भी सरकारी अधिकारी कभी मेरे दरवाजे पर अभी तक नहीं आया है. 15 अगस्त पर भी हमें याद नहीं किया गया. मुझे अपने बेटे की शहादत पर गर्व है और अफसरों की लापरवाही का दुख है.
बजट न होने से रुक गया शहीद स्मारक का काम
शहीद कौशल कुमार रावत के छोटे भाई कमल किशोर रावत ने बताया कि भाई की शहादत के बाद जिलाधिकारी और अन्य तमाम विधायक, सांसद, मंत्रियों ने वादे किए थे. अभी तक एक वादा पूरा नहीं हुआ है. बस एक काम शुरू हुआ है, कि, शहीद स्मारक बनाने का काम चल रहा है लेकिन वह भी बाद में रुक गया. पहले शहीद स्मारक बनाने का काम ग्राम पंचायत कर रही थी, लेकिन अब हमारा गांव नगर निगम में आ गया है. इस वजह से ग्राम पंचायत ने अब हाथ खड़े कर दिए हैं क्योंकि उनके पास बजट नहीं है.
परिवार के बच्चे देख रहे सेना में भर्ती होने के सपने
शहीद कौशल कुमार रावत के साले मुकेश पचोरी ने बताया कि परिवार और रिश्तेदारों के बच्चे सेना में भर्ती होने के सपने देख रहे हैं. पाकिस्तान और आतंकवादियों को सबक सिखाना चाहते हैं. इसलिए पढ़ाई के साथ बच्चे सेना में भर्ती होने की तैयारी कर रहे हैं.
शहीद कौशल कुमार रावत की भतीजी गुलशन का कहना है कि वह अभी पढ़ाई कर रही है. यदि उसे सेना में भर्ती होने का मौका मिला तो वह आतंकवादियों को खत्म करने का भी हिम्मत रखती है. वह लड़की है लेकिन उसकी हिम्मत कम नहीं है, देश भक्ति की भावना है और वह बदला लेना चाहती है.
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