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village heads protest: मनरेगा मजदूरों की मॉनीटिरिंग से खफा प्रधान, ताली और थाली बजाकर किया प्रदर्शन - Demonstration of village heads in Kasganj

कासगंज और बस्ती में नेशनल मोबाइल मानीटरिंग सिस्टम (एनएमएमएस) एप को लेकर ग्राम प्रधानों ने ताली और थाली बजाकर प्रदर्शन किया. इस दौरान उन्होंने सरकार पर गंभीर आरोप भी लगाए.

ग्राम प्रधानों का ताली और थाली बजाकर प्रदर्शन
ग्राम प्रधानों का ताली और थाली बजाकर प्रदर्शन
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Published : Jan 16, 2023, 8:18 PM IST

कासगंज में सिढ़पुरा के ग्राम प्रधान संघ अध्यक्ष मंजीत सिंह राठौर ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

कासगंजः मनरेगा में मजदूरों की उपस्थिति के लिए नेशनल मोबाइल मानीटरिंग सिस्टम (एनएमएमएस) एप को अनिवार्य करने से प्रधान संघ नाराज है. जिसका असर कासंगज और बस्ती में भी देखने को मिला. दोनों जिलों में सोमवार को ग्राम प्रधानों ने प्रशासन और सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए ताली और थाली बजाकर अनोखा विरोध प्रदर्शन किया. ग्राम प्रधानों ने केंद्र सरकार के एनएमएमएस एप पर मनरेगा मजदूरों की उपस्थिति के आदेश को तत्काल वापस लिए जाने की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की है.

कासगंज में सिढ़पुरा के ग्राम प्रधान संघ अध्यक्ष मंजीत सिंह राठौर ने बताया कि "ग्राम प्रधानों को जनता ने चुना है. लेकिन क्या प्रशासन और सरकार हमे भ्रष्ट समझती है. हमे हतोत्साहित करने के लिए मनरेगा योजना में भारत सरकार के ग्रामीण विकास विभाग द्वारा बीते 23 दिसंबर को यह आदेश दिया था कि कार्यस्थल पर ही नेशनल मोबाइल मानीटरिंग सिस्टम एप के माध्यम से दिन में दो बार मनरेगा मजदूरों को उपस्थिति प्रमाणित करना अनिवार्य होगा. जब कि अधिकांश गांवों में नेटवर्क की समस्या रहती है. इससे मजदूरों की उपस्थिति दर्ज नहीं हो पाती है. मस्टर रोल शून्य हो रहा है. इसके अलावा मनरेगा के मजदूरों की दिहाड़ी ₹213 प्रति दिन है. लेकिन, मजदूर इन दरों पर काम करने को तैयार नहीं है. मजदूरों का मानदेय 400 तक किया जाय'.

वहीं, बस्ती के कुदरहा ब्लॉक में सैकड़ों ग्राम प्रधान, मनरेगा मजदूरों ने हाथों में थाली और चम्मच लेकर जमकर प्रदर्शन किया है. प्रधान संघ के अध्यक्ष अमित शुक्ला ने बताया कि मनरेगा मजदूरों की ऑनलाइन हाजिरी का निर्णय भी सरकार का गलत है. इंटरनेट की दिक्कत की वजह से मनरेगा मजदूर समय से अपने ऑनलाइन हाजरी नहीं कर पाते. इससे उनकी मजदूरी कट जाती है. प्रधान संघ ने प्रदर्शन करने के बाद खंड विकास अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर मांग की कि उनके सरकार को उनकी समस्याओं से अवगत कराया जाए.

उन्होंने कहा कि प्रधानों ने अपने अपने गांव में जो भी विकास कार्य करवाए हैं. उसका कई सालों से भुगतान नहीं हुआ है. बजट के अभाव में सारा विकास ठप हो गया है. इतना ही नहीं मनरेगा मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी 213 रुपये हैं जिसको बढ़ाने के लिए सरकार से कई बार मांग की गई लेकिन पहल नहीं हुई.

ये भी पढ़ेंः हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, स्कूलों को लौटाना होगा कोरोना काल में ली गई फीस का 15%

कासगंज में सिढ़पुरा के ग्राम प्रधान संघ अध्यक्ष मंजीत सिंह राठौर ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

कासगंजः मनरेगा में मजदूरों की उपस्थिति के लिए नेशनल मोबाइल मानीटरिंग सिस्टम (एनएमएमएस) एप को अनिवार्य करने से प्रधान संघ नाराज है. जिसका असर कासंगज और बस्ती में भी देखने को मिला. दोनों जिलों में सोमवार को ग्राम प्रधानों ने प्रशासन और सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताते हुए ताली और थाली बजाकर अनोखा विरोध प्रदर्शन किया. ग्राम प्रधानों ने केंद्र सरकार के एनएमएमएस एप पर मनरेगा मजदूरों की उपस्थिति के आदेश को तत्काल वापस लिए जाने की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से की है.

कासगंज में सिढ़पुरा के ग्राम प्रधान संघ अध्यक्ष मंजीत सिंह राठौर ने बताया कि "ग्राम प्रधानों को जनता ने चुना है. लेकिन क्या प्रशासन और सरकार हमे भ्रष्ट समझती है. हमे हतोत्साहित करने के लिए मनरेगा योजना में भारत सरकार के ग्रामीण विकास विभाग द्वारा बीते 23 दिसंबर को यह आदेश दिया था कि कार्यस्थल पर ही नेशनल मोबाइल मानीटरिंग सिस्टम एप के माध्यम से दिन में दो बार मनरेगा मजदूरों को उपस्थिति प्रमाणित करना अनिवार्य होगा. जब कि अधिकांश गांवों में नेटवर्क की समस्या रहती है. इससे मजदूरों की उपस्थिति दर्ज नहीं हो पाती है. मस्टर रोल शून्य हो रहा है. इसके अलावा मनरेगा के मजदूरों की दिहाड़ी ₹213 प्रति दिन है. लेकिन, मजदूर इन दरों पर काम करने को तैयार नहीं है. मजदूरों का मानदेय 400 तक किया जाय'.

वहीं, बस्ती के कुदरहा ब्लॉक में सैकड़ों ग्राम प्रधान, मनरेगा मजदूरों ने हाथों में थाली और चम्मच लेकर जमकर प्रदर्शन किया है. प्रधान संघ के अध्यक्ष अमित शुक्ला ने बताया कि मनरेगा मजदूरों की ऑनलाइन हाजिरी का निर्णय भी सरकार का गलत है. इंटरनेट की दिक्कत की वजह से मनरेगा मजदूर समय से अपने ऑनलाइन हाजरी नहीं कर पाते. इससे उनकी मजदूरी कट जाती है. प्रधान संघ ने प्रदर्शन करने के बाद खंड विकास अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर मांग की कि उनके सरकार को उनकी समस्याओं से अवगत कराया जाए.

उन्होंने कहा कि प्रधानों ने अपने अपने गांव में जो भी विकास कार्य करवाए हैं. उसका कई सालों से भुगतान नहीं हुआ है. बजट के अभाव में सारा विकास ठप हो गया है. इतना ही नहीं मनरेगा मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी 213 रुपये हैं जिसको बढ़ाने के लिए सरकार से कई बार मांग की गई लेकिन पहल नहीं हुई.

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