आगरा: जिले की जामा मस्जिद का विवाद रुकने का नाम नहीं ले रहा है. मथुरा कोर्ट से मामला अब हाई कोर्ट तक पहुंच गया है. आगरा जिला जज के पास पहले से ही वाद दायर है. अब गुरुवार को एक और संस्था ने जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे श्रीकृष्ण के विग्रह दबे होने का न्यायालय में एक और वाद दायर किया है. जिसमें जामा मजिस्द की सीढ़ियो के नीचे मथुरा के केशवदेव मंदिर को तोड़कर लाई गई मूर्तियों को दबाने की बात कही गई है. अदालत से मांग कि गई है कि जामा मस्जिद की सीढ़ियों को खुदवाकर उनके नीचे से भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह और मूर्तियों को निकाला जाए.
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सबसे अमीर शहजादी ने बनाई थी जामा मस्जिद: वरिष्ठ इतिहासकार राजकिशोर राजे बताते हैं कि मुगलकाल की सबसे अमीर शहजादी जहांआरा ने अपनी वजीफा की रकम से जामा मस्जिद का निर्माण कराया था. मुगल बादशाह शाहजहां की जहांआरा सबसे प्रिय बेटी थी. जहांआरा ने 1643 से 1648 के बीच जामा मस्जिद का निर्माण कराया था. जो 271 फीट लंबी और 270 फीट चौड़ी है. जिसमें करीब 5 लाख रुपये खर्च हुए थे. जामा मस्जिद लाल बलुआ पत्थर से बनी है.
इतिहासकारों की पुस्तकों में इसका जिक्र: राजकिशोर राजे बताते हैं कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने 16 वीं शताब्दी के सातवें दशक में मथुरा के केशवदेव मंदिर को ध्वस्त कराया था. केशवदेव मंदिर की मूर्तियों को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाया था. इसका जिक्र तमाम इतिहासकारों ने अपनी पुस्तकों में किया है. सन 1940 में एसआर शर्मा ने 'भारत में मुगल साम्राज्य' नाम से किताब लिखी थी. औरंगजेब के सहायक रहे मुहम्मद साकी मुस्तइद्दखां ने अपनी पुस्तक 'मआसिर-ए-आलमगीरी' में फारसी भाषा में इस घटनाक्रम का उल्लेख किया है. भारत के मशहूर इतिहासकार जदुनाथ सरकार की पुस्तक 'ए शार्ट हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब' में भी इस घटना का जिक्र मिलता है.
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