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जगद्गुरु परमहंस आचार्य का एलान, 5 मई को करुंगा ताजमहल में शिव की प्राण प्रतिष्ठा

अयोध्या से जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने एक वीडियो जारी किया है. इसमें उन्होंने कहा कि 5 मई को वह ताजमहल पहुंच रहे हैं. सनातन धर्म मानने वालों से अपील है कि वे ज्यादा से ज्यादा संख्या में सुबह 10 बजे ताज महल पहुंचे.

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जगदगुरु परमहंसाचार्य
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Published : Apr 30, 2022, 5:36 PM IST

आगरा : एक बार फिर ताजमहल के शिव मंदिर होने का मामला गरमा गया है. अयोध्या से जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने इसे लेकर एक वीडियो वायरल किया है. वीडियो में उन्होंने कहा कि एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने उन्हें ताजमहल आने का निमंत्रण दिया है. 5 मई को वह ताजमहल पहुंच रहे हैं. सनातन धर्म मानने वालों से अपील है कि वे ज्यादा से ज्यादा संख्या सुबह 10 बजे ताज महल पहुंचे.

जगदगुरु परमहंसाचार्य

जगदगुरु परमहंसाचार्य का दावा : जगद्गुरु परमहंसाचार्य का कहना है कि आज जहां ताजमहल है, वहां भगवान शिव की पिंडी दबी हुई है. ताजमहल का असली नाम तेजोमहालय है. मुगलों ने तेजोमहालय को ताजमहल कहना शुरू किया और इसका गलत इतिहास बताता गया. उन्होंने कहा कि वह 26 तारीख को आगरा गए थे. तब उन्हें भगवा वस्त्र और ब्रह्म दंड की वजह से ताजमहल में एंट्री नहीं दी गई. जब विरोध हुआ तो एएसआई अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने उन्हें आगरा आने का निमंत्रण दिया. इसलिए वह पांच मई को आगरा जाएंगे. वह सुबह दस बजे तेजोमहालय के पश्चिमी गेट पर पहुंचेंगे. इस दौरान जितने भी सनातन धर्म को मानने वाले लोग हैं, जो धर्माचार्य, धर्म गुरु व धार्मिक संगठन से जुड़े लोग हैं, वह अधिक से अधिक संख्या में वहां पहुंचे.

आगे जगद्गुरु परमहंसाचार्य ने कहा कि 5 मई को वह तेजोमहालय में भगवान शिव की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे. साथ ही भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित कराने के लिए धर्म संसद भी आयोजित करेंगे. यह सब कार्य भगवान की कृपा से संवैधानिक दायरे में ही किया जाएगा. इस कार्य में लोगों को आमंत्रित करने के लिए उन्होंने वीडियो जारी किया है.

यह भी पढ़ें- अनियंत्रित होकर पलटी टाटा मैजिक गाड़ी, 6 यात्री घायल

गौरतलब है कि अयोध्या से 26 अप्रैल को जगद्गुरु परमहंस आचार्य आगरा आए थे. वह जब ताजमहल देखने पश्चिमी गेट पहुंचे तो सीआईएसएफ के जवानों ने उन्हें भगवा वस्त्र और ब्रह्म दंड के चलते एंट्री नहीं दी. इसके कारण वह ताज का दीदार नहीं कर सके. यही नहीं, शिष्य ने जब उनकी फोटो खींचने की कोशिश की तो मोबाइल छीनकर फोटो डिलीट कर दी गई. इसके बाद आगरा में हिंदुवादियों ने जमकर हंगामा किया जबकि इस मामले में एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने पूरे मामले की जांच कराई. इसके बावजूद अब तक मामला शांत नहीं हुआ है.

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आगरा : एक बार फिर ताजमहल के शिव मंदिर होने का मामला गरमा गया है. अयोध्या से जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने इसे लेकर एक वीडियो वायरल किया है. वीडियो में उन्होंने कहा कि एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने उन्हें ताजमहल आने का निमंत्रण दिया है. 5 मई को वह ताजमहल पहुंच रहे हैं. सनातन धर्म मानने वालों से अपील है कि वे ज्यादा से ज्यादा संख्या सुबह 10 बजे ताज महल पहुंचे.

जगदगुरु परमहंसाचार्य

जगदगुरु परमहंसाचार्य का दावा : जगद्गुरु परमहंसाचार्य का कहना है कि आज जहां ताजमहल है, वहां भगवान शिव की पिंडी दबी हुई है. ताजमहल का असली नाम तेजोमहालय है. मुगलों ने तेजोमहालय को ताजमहल कहना शुरू किया और इसका गलत इतिहास बताता गया. उन्होंने कहा कि वह 26 तारीख को आगरा गए थे. तब उन्हें भगवा वस्त्र और ब्रह्म दंड की वजह से ताजमहल में एंट्री नहीं दी गई. जब विरोध हुआ तो एएसआई अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने उन्हें आगरा आने का निमंत्रण दिया. इसलिए वह पांच मई को आगरा जाएंगे. वह सुबह दस बजे तेजोमहालय के पश्चिमी गेट पर पहुंचेंगे. इस दौरान जितने भी सनातन धर्म को मानने वाले लोग हैं, जो धर्माचार्य, धर्म गुरु व धार्मिक संगठन से जुड़े लोग हैं, वह अधिक से अधिक संख्या में वहां पहुंचे.

आगे जगद्गुरु परमहंसाचार्य ने कहा कि 5 मई को वह तेजोमहालय में भगवान शिव की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे. साथ ही भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित कराने के लिए धर्म संसद भी आयोजित करेंगे. यह सब कार्य भगवान की कृपा से संवैधानिक दायरे में ही किया जाएगा. इस कार्य में लोगों को आमंत्रित करने के लिए उन्होंने वीडियो जारी किया है.

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गौरतलब है कि अयोध्या से 26 अप्रैल को जगद्गुरु परमहंस आचार्य आगरा आए थे. वह जब ताजमहल देखने पश्चिमी गेट पहुंचे तो सीआईएसएफ के जवानों ने उन्हें भगवा वस्त्र और ब्रह्म दंड के चलते एंट्री नहीं दी. इसके कारण वह ताज का दीदार नहीं कर सके. यही नहीं, शिष्य ने जब उनकी फोटो खींचने की कोशिश की तो मोबाइल छीनकर फोटो डिलीट कर दी गई. इसके बाद आगरा में हिंदुवादियों ने जमकर हंगामा किया जबकि इस मामले में एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल ने पूरे मामले की जांच कराई. इसके बावजूद अब तक मामला शांत नहीं हुआ है.

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