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पुलिस की लापरवाही से 5 साल तक सलाखों के पीछे रहा बेगुनाह दंपति - आगरा ताजा समाचार

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में पुलिस की लापरवाही की वजह से एक दंपति पिछले पांच साल से जेल में सजा काट रहा है. साल 2015 में हुई एक हत्या के मामले में दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया था. वहीं अब उनके निर्दोष साबित होने के बाद उन्हें छोड़ा गया है.

जेल से छूटने के बाद झलके आंसू.
जेल से छूटने के बाद झलके आंसू.
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Published : Jan 24, 2021, 10:46 AM IST

आगरा: पुलिस की लापरवाही से बेगुनाह पति-पत्नी को 5 साल तक जेल में रहना पड़ा. जेल से रिहा होने पर दंपति ने मीडिया से बात की तो उनके आंसू छलक आए. जो अपराध उन्होंने किया ही नहीं, लेकिन उसके लिए भी उन्हें अपनी जिंदगी के पांच साल जेल में गुजारने पड़े. इस मामले में एडीजे ज्ञानेंद्र त्रिपाठी के फैसले के बाद जिला जेल से दंपति की रिहाई हुई. पुलिस की यातना, फिर बेवजह जेल की सलाखों में कैद रहे दंपति की सजा के बाद अब अपने बच्चों से मिलने के लिए तड़प रहे हैं.

जेल से छूटने के बाद झलके आंसू.

मासूम बच्चे की हत्या जैसे जघन्य मामले में पुलिस ने बड़ी लापरवाही बरती. बिना सबूत के जल्दबाजी में पुलिस ने निर्दोष दंपति को जेल भेजा था. एडीजे के फैसले ने पुलिसिया सिस्टम की बड़ी लापरवाही उजागर की है. अदालत ने इस मामले में यह भी आदेश दिया कि पीड़ित को मुआवजा दिया जाए और विवेचक पर सख्त कार्रवाई की जाए. इसको लेकर एसएसपी को पत्र भी लिखा गया है.

दरअसल, साल 2015 में बाह के जरार निवासी योगेंद्र सिंह के पांच वर्षीय बेटे रंजीत उर्फ मुन्ना की हत्या हुई थी. योगेन्द्र ने एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें ने मोहल्ला मस्जिद निवासी नरेंद्र सिंह (40) और उसकी पत्नी नजमा (30) को आरोपी बनाया गया था. पुलिस ने पति-पत्नी को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया. नरेंद्र और नजमा के पांच वर्षीय बेटा और बेटी को अनाथालय भेज दिया गया था.

वहीं अब जेल से छूटने के बाद जहां दोनों को बेगुनाही साबित होने की खुशी है. वहीं जो यातनाएं पांच साल तक जेल में सहीं उसकी कसूरवार पुलिस है. नरेंद्र और नजमा अब उन्हें जेल भेजने वाले इंस्पेक्टर को सबक सिखाना चाहते हैं, जिसकी लापरवाही से पति-पत्नी जेल में रहे. उनके छोटे-छोटे बेटा और बेटी बेसहारा हो गए. उनका बचपन अनाथालय में कटा है. बच्चों की क्या गलती थी. उनका क्या कसूर था, जो उन्हें अनाथों की तरह रहना पड़ा.

बिना जांच किए लगा दी चार्जशीट

बेगुनाह साबित हुए दंपति के अधिवक्ता वंशो बाबू का कहना है कि अभियोजन पक्ष की ओर से कोर्ट में 6 गवाहों के साथ ही 32 सुबूत पेश किए गए. विवेचक ने कोर्ट में स्वीकार कर लिया कि बच्चे की हत्या को लेकर लोगों में बहुत आक्रोश था, इसलिए हत्या का कारण जानने प्रयास नहीं किया. विवेचक ने स्वीकार किया कि आनन-फानन में विवेचना पूर्ण करके चार्जशीट लगा दी. अधिवक्ता वंशो बाबू ने बताया कि, कोर्ट ने आगरा के एसएसपी को जांच अधिकारी के खिलाफ लापरवाही बरतने पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए.

पुलिस ने दी यातनाएं

नरेंद्र और नजमा ने कहा कि पुलिस ने यातनाएं दी थीं. तत्काली इंसपेक्टर ब्रह्म सिंह ने उन्हें उल्टा लटकाकर पीटा था. अब ईश्वर का धन्यवाद करते दंपति अदालत को भगवान बता रहे हैं. दंपति की गुहार है कि आरोपी विवेचक के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और असली हत्यारे पकड़े जाएं. उनका कहना है कि कई गवाह और सबूत पेश किए, लेकिन फिर भी आरोपी बरी हो गए. अब हम इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे. जिससे दोषियों को सजा मिल सके.

बच्चों को दिलाया जाएगा वापस

नरेंद्र की मां का कहना है कि आज बेटा नरेंद्र रिहा हुआ है. इसकी खुशी है. मगर, दुःख इस बात है कि, जिस बच्चे का मर्डर हुआ है. वह नाती लगता है. मगर, उसके हत्यारे अभी तक नहीं पकड़े गए हैं. वहीं चाइल्ड एक्टिविस्ट नरेश पारस ने बताया कि पुलिस की लापरवाही से पति पत्नी-पति ही नहीं बच्चों के भी मानवाधिकार का हनन हुआ है. बच्चों के बारे में पता कर लिया गया है. दोनों अनाथालय में हैं. इस बारे में जिला प्रशासन से कहा है कि जल्द से जल्द दंपत्ति को उनके बच्चे दिलाएं.

आगरा: पुलिस की लापरवाही से बेगुनाह पति-पत्नी को 5 साल तक जेल में रहना पड़ा. जेल से रिहा होने पर दंपति ने मीडिया से बात की तो उनके आंसू छलक आए. जो अपराध उन्होंने किया ही नहीं, लेकिन उसके लिए भी उन्हें अपनी जिंदगी के पांच साल जेल में गुजारने पड़े. इस मामले में एडीजे ज्ञानेंद्र त्रिपाठी के फैसले के बाद जिला जेल से दंपति की रिहाई हुई. पुलिस की यातना, फिर बेवजह जेल की सलाखों में कैद रहे दंपति की सजा के बाद अब अपने बच्चों से मिलने के लिए तड़प रहे हैं.

जेल से छूटने के बाद झलके आंसू.

मासूम बच्चे की हत्या जैसे जघन्य मामले में पुलिस ने बड़ी लापरवाही बरती. बिना सबूत के जल्दबाजी में पुलिस ने निर्दोष दंपति को जेल भेजा था. एडीजे के फैसले ने पुलिसिया सिस्टम की बड़ी लापरवाही उजागर की है. अदालत ने इस मामले में यह भी आदेश दिया कि पीड़ित को मुआवजा दिया जाए और विवेचक पर सख्त कार्रवाई की जाए. इसको लेकर एसएसपी को पत्र भी लिखा गया है.

दरअसल, साल 2015 में बाह के जरार निवासी योगेंद्र सिंह के पांच वर्षीय बेटे रंजीत उर्फ मुन्ना की हत्या हुई थी. योगेन्द्र ने एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसमें ने मोहल्ला मस्जिद निवासी नरेंद्र सिंह (40) और उसकी पत्नी नजमा (30) को आरोपी बनाया गया था. पुलिस ने पति-पत्नी को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया. नरेंद्र और नजमा के पांच वर्षीय बेटा और बेटी को अनाथालय भेज दिया गया था.

वहीं अब जेल से छूटने के बाद जहां दोनों को बेगुनाही साबित होने की खुशी है. वहीं जो यातनाएं पांच साल तक जेल में सहीं उसकी कसूरवार पुलिस है. नरेंद्र और नजमा अब उन्हें जेल भेजने वाले इंस्पेक्टर को सबक सिखाना चाहते हैं, जिसकी लापरवाही से पति-पत्नी जेल में रहे. उनके छोटे-छोटे बेटा और बेटी बेसहारा हो गए. उनका बचपन अनाथालय में कटा है. बच्चों की क्या गलती थी. उनका क्या कसूर था, जो उन्हें अनाथों की तरह रहना पड़ा.

बिना जांच किए लगा दी चार्जशीट

बेगुनाह साबित हुए दंपति के अधिवक्ता वंशो बाबू का कहना है कि अभियोजन पक्ष की ओर से कोर्ट में 6 गवाहों के साथ ही 32 सुबूत पेश किए गए. विवेचक ने कोर्ट में स्वीकार कर लिया कि बच्चे की हत्या को लेकर लोगों में बहुत आक्रोश था, इसलिए हत्या का कारण जानने प्रयास नहीं किया. विवेचक ने स्वीकार किया कि आनन-फानन में विवेचना पूर्ण करके चार्जशीट लगा दी. अधिवक्ता वंशो बाबू ने बताया कि, कोर्ट ने आगरा के एसएसपी को जांच अधिकारी के खिलाफ लापरवाही बरतने पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए.

पुलिस ने दी यातनाएं

नरेंद्र और नजमा ने कहा कि पुलिस ने यातनाएं दी थीं. तत्काली इंसपेक्टर ब्रह्म सिंह ने उन्हें उल्टा लटकाकर पीटा था. अब ईश्वर का धन्यवाद करते दंपति अदालत को भगवान बता रहे हैं. दंपति की गुहार है कि आरोपी विवेचक के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो और असली हत्यारे पकड़े जाएं. उनका कहना है कि कई गवाह और सबूत पेश किए, लेकिन फिर भी आरोपी बरी हो गए. अब हम इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे. जिससे दोषियों को सजा मिल सके.

बच्चों को दिलाया जाएगा वापस

नरेंद्र की मां का कहना है कि आज बेटा नरेंद्र रिहा हुआ है. इसकी खुशी है. मगर, दुःख इस बात है कि, जिस बच्चे का मर्डर हुआ है. वह नाती लगता है. मगर, उसके हत्यारे अभी तक नहीं पकड़े गए हैं. वहीं चाइल्ड एक्टिविस्ट नरेश पारस ने बताया कि पुलिस की लापरवाही से पति पत्नी-पति ही नहीं बच्चों के भी मानवाधिकार का हनन हुआ है. बच्चों के बारे में पता कर लिया गया है. दोनों अनाथालय में हैं. इस बारे में जिला प्रशासन से कहा है कि जल्द से जल्द दंपत्ति को उनके बच्चे दिलाएं.

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