ETV Bharat / state

शाहजहां का उर्सः 1480 मीटर लंबी हुई हिंदुस्तानी सतरंगी चादर, जानिए इसके पीछे की मान्यता और कहानी

मुगल शहंशाह शाहजहां (Mughal Emperor Shah Jahan) के 368 वां सालाना उर्स में 1480 मीटर हिंदुस्तानी सतरंगी चादर आकर्षण का केंद्र रहेगी. जो कि उर्स के आखिरी दिन चढ़ाई जाएगी.

छह साल में
छह साल में
author img

By

Published : Feb 17, 2023, 10:39 PM IST

आगरा में हिंदुस्तानी सतरंगी चादर को लेकर हाजी ताहिरुद्दीन ताहिर ने बताया.

आगराः मुगल शहंशाह शाहजहां का 368 वां सालाना उर्स शुक्रवार दोपहर गुस्ल की रस्म के साथ शुरू हो गया. तीन दिवसीय उर्स में इस बार भी हर साल की तरह तीसरे दिन शहंशाह शाहजहां की कब्र पर हिंदुस्तानी सतरंगी चादर चढ़ाई जाएगी. जो कि हिंदू-मुस्लिम एकता और सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल है. खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी के प्रेसिडेंट हाजी ताहिरुद्दीन ताहिर का कहना है कि उर्स में सतरंगी चादरपोशी के मुख्य अतिथि चीफ इमाम ऑफ इंडिया डॉ. इमाम उमेर अहमद इलियासी रहेंगे.

बता दें कि शाहजहां का उर्स उर्दू माह रजब की 25, 26 व 27 तारीख को हर साल मनाया जाता है. इस साल 17, 18 और 19 फरवरी को रजब माह की 25, 26 व 27 तारीख हैं. इसलिए, शहंशाह शाहजहां का 368 वां उर्स 17 फरवरी शुक्रवार से शुरू हो गया. उर्स में आखिरी दिन 19 फरवरी को कुल के छींटों के साथ कुरानख्वानी, फातिहा और चादरपोशी होगी. चादरपोशी शाम तक चलेगी. जिसमें सबसे खास हिंदुस्तानी सतरंगी चादर रहेगी.

41 साल पहले 100 मीटर की चादर चढ़ाई गई थी: खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी के प्रेसिडेंट हाजी ताहिरुद्दीन ताहिर बताते हैं कि 'आज से करीब 41 साल पहले जब शाहजहां के उर्स में मेरे परिवार के सदस्य ने चादरपोशी शुरू की थी. तब दक्षिण गेट स्थित हनुमानजी के मंदिर से शुरू होकर चादर ताजमहल में पहुंची थी. मैंने 26 साल पहले चादरपोशी का रूप बदल दिया. तब हम सब ने इसे हिंदुस्तानी सतरंगी चादर नाम दिया. क्योंकि यह चादर न मेरे खानदान की है न आपके खानदान की. यह पूरे हिंदुस्तान की चादर है. यह हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई की चादर है. इसलिए, हर साल उर्स से 20-25 दिन पहले सभी धर्म के लोग मिलकर हिंदुस्तानी सतरंगी चादर बनाते हैं. सभी हर्ष और उल्लास के साथ उर्स मनाते हैं. हिंदुस्तानी सतरंगी चादरपोशी के साथ ही हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी मिलकर लंगर खाते हैं.'

90 मीटर और लंबी हुई सतरंगी चादर: ताहिरुद्दीन ताहिर का कहना है कि हर साल उर्स से 20-25 दिन पहले हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्म के लोग अपनी-अपनी मन्नत का अलग-अलग रंग कपड़ा चादर के लिए देकर जाते हैं. साथ ही उस कपड़े को धुलकर प्रेस करते हैं. फिर सिलाई कर उसे गोटा लगाया जाता है. हर साल लोग इससे जुड़ रहे हैं. जिससे हिंदुस्तानी सतरंगी चादर की लंबाई बढ़ रही है. शाहजहां के 361 वें उर्स में 870 मीटर लंबी हिंदुस्तानी सतरंगी चादर चढ़ाई गई थी. इस साल शाहजहां के 368 वें उर्स के आखिरी दिन 1480 मीटर (4855 फीट) की हिंदुस्तानी सतरंगी चादर चढ़ाई जाएगी.

देश के तरक्की की दुआ करेंगेः ताहिरुद्दी ने कहा कि हिंदुस्तानी सतरंगी चादर की चादरपोशी से देश की तरक्की के साथ ही विश्व में अमन-चैन की दुआ की जाएगी. पहले उर्स में दुनिया से कोरोना के खात्मा की दुआ भी की गई थी. इसके बाद बीते साल रूस और यूक्रेन के युद्ध से विश्व युद्ध की आहट को लेकर विश्व शांति की दुआ की गई थी.


यह भी पढ़ें- Ayodhya news : जैन धर्म गुरु आचार्य लोकेश मुनि ने किए रामलला के दर्शन, कहा- हिंदुस्तान में रहने वाला हर नागरिक हिंदू

आगरा में हिंदुस्तानी सतरंगी चादर को लेकर हाजी ताहिरुद्दीन ताहिर ने बताया.

आगराः मुगल शहंशाह शाहजहां का 368 वां सालाना उर्स शुक्रवार दोपहर गुस्ल की रस्म के साथ शुरू हो गया. तीन दिवसीय उर्स में इस बार भी हर साल की तरह तीसरे दिन शहंशाह शाहजहां की कब्र पर हिंदुस्तानी सतरंगी चादर चढ़ाई जाएगी. जो कि हिंदू-मुस्लिम एकता और सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल है. खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी के प्रेसिडेंट हाजी ताहिरुद्दीन ताहिर का कहना है कि उर्स में सतरंगी चादरपोशी के मुख्य अतिथि चीफ इमाम ऑफ इंडिया डॉ. इमाम उमेर अहमद इलियासी रहेंगे.

बता दें कि शाहजहां का उर्स उर्दू माह रजब की 25, 26 व 27 तारीख को हर साल मनाया जाता है. इस साल 17, 18 और 19 फरवरी को रजब माह की 25, 26 व 27 तारीख हैं. इसलिए, शहंशाह शाहजहां का 368 वां उर्स 17 फरवरी शुक्रवार से शुरू हो गया. उर्स में आखिरी दिन 19 फरवरी को कुल के छींटों के साथ कुरानख्वानी, फातिहा और चादरपोशी होगी. चादरपोशी शाम तक चलेगी. जिसमें सबसे खास हिंदुस्तानी सतरंगी चादर रहेगी.

41 साल पहले 100 मीटर की चादर चढ़ाई गई थी: खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी के प्रेसिडेंट हाजी ताहिरुद्दीन ताहिर बताते हैं कि 'आज से करीब 41 साल पहले जब शाहजहां के उर्स में मेरे परिवार के सदस्य ने चादरपोशी शुरू की थी. तब दक्षिण गेट स्थित हनुमानजी के मंदिर से शुरू होकर चादर ताजमहल में पहुंची थी. मैंने 26 साल पहले चादरपोशी का रूप बदल दिया. तब हम सब ने इसे हिंदुस्तानी सतरंगी चादर नाम दिया. क्योंकि यह चादर न मेरे खानदान की है न आपके खानदान की. यह पूरे हिंदुस्तान की चादर है. यह हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई की चादर है. इसलिए, हर साल उर्स से 20-25 दिन पहले सभी धर्म के लोग मिलकर हिंदुस्तानी सतरंगी चादर बनाते हैं. सभी हर्ष और उल्लास के साथ उर्स मनाते हैं. हिंदुस्तानी सतरंगी चादरपोशी के साथ ही हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी मिलकर लंगर खाते हैं.'

90 मीटर और लंबी हुई सतरंगी चादर: ताहिरुद्दीन ताहिर का कहना है कि हर साल उर्स से 20-25 दिन पहले हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्म के लोग अपनी-अपनी मन्नत का अलग-अलग रंग कपड़ा चादर के लिए देकर जाते हैं. साथ ही उस कपड़े को धुलकर प्रेस करते हैं. फिर सिलाई कर उसे गोटा लगाया जाता है. हर साल लोग इससे जुड़ रहे हैं. जिससे हिंदुस्तानी सतरंगी चादर की लंबाई बढ़ रही है. शाहजहां के 361 वें उर्स में 870 मीटर लंबी हिंदुस्तानी सतरंगी चादर चढ़ाई गई थी. इस साल शाहजहां के 368 वें उर्स के आखिरी दिन 1480 मीटर (4855 फीट) की हिंदुस्तानी सतरंगी चादर चढ़ाई जाएगी.

देश के तरक्की की दुआ करेंगेः ताहिरुद्दी ने कहा कि हिंदुस्तानी सतरंगी चादर की चादरपोशी से देश की तरक्की के साथ ही विश्व में अमन-चैन की दुआ की जाएगी. पहले उर्स में दुनिया से कोरोना के खात्मा की दुआ भी की गई थी. इसके बाद बीते साल रूस और यूक्रेन के युद्ध से विश्व युद्ध की आहट को लेकर विश्व शांति की दुआ की गई थी.


यह भी पढ़ें- Ayodhya news : जैन धर्म गुरु आचार्य लोकेश मुनि ने किए रामलला के दर्शन, कहा- हिंदुस्तान में रहने वाला हर नागरिक हिंदू

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.