आगरा: मुगलिया सल्तनत की कभी आगरा राजधानी रहा है. अकबर के बाद जब जहांगीर ने इसकी बागडोर संभाली तो आगरा किले में कई निर्माण कार्य कराए. कश्मीर से मिट्टी मंगवाकर आगरा किले के खास महल के सामने मुगलिया बाग बनाया. यहां पर अंगूरों की बेल लगाई गईं. इसे नाम दिया गया अंगूरी बाग. जहांगीर के बाद ये अंगूरी बाग उजड़ता चला गया. अब भारतीय सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) की ओर से इसे फिर संवारा जा रहा है. इसके लिए 30 लाख रुपए की लागत से यहां काम कराए जा रहे हैं. यहां लाल पत्थर की 21 जालियां लगवा दी गईं हैं.
इतिहासकार राजकिशोर राजे बताते हैं कि जहांगीर को कश्मीर से बेहद लगाव था. वह कश्मीर में खूब वक्त बिताता था. जहांगीर को कश्मीर के सेब व अंगूरों के बाग बेहद पसंद थे. शायद यहीं वजह थी कि उसने आगरा किले में भी कश्मीर के पेड़ और पौधे उगाने की योजना बनाई. कश्मीर से मिट्टी मंगवाकर यहां अंगूर की बेल उगवाईं गईं. नाम दिया गया अंगूरी बाग. इसे खास महल के सामने लगवाया गया था. अंग्रेजों के शासनकाल में इस बाग को काफी नुकसान पहुंचा.
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल बताते हैं कि खास महल के सामने अंगूरी बाग में संरक्षण कार्य किया गया है. यहां पर अंगूरों की बेल के लिए रेड स्टोन जालियां लगवाईं गईं हैं. यह जालियां लगभग वैसी ही हैं जैसीं पहले लगीं थीं. पहले चरण में 60 फीसदी काम पूरा हो चुका है. इसकी लागत करीब 30 लाख रुपए है. अंगूरी बाग अब मुगलिया रंगत में लौट रहा है.
सन् 2003 में एएसआई के आगरा सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविद पद्मश्री केके मोहम्मद थे. उन्होंने यहां पर तैनात रहते हुए अंगूरी बाग में ट्रेंच लगवाया था. इसके नीचे बाग की मूल संरचना मिली थी.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप