आगरा : यूपी समेत देश के हर कोने में ऐसे छात्रों की कमी नहीं है, जिनके पास स्कूल और कॉलेजों के लिए फीस नहीं है. आगरा के रामकृष्ण इंटर कॉलेज में ऐसे गरीब छात्रों की मदद के लिए गुल्लक रखे गए हैं. इन गुल्लकों में छात्र और कर्मचारी पैसा जमा करते हैं. यहां पढ़ने वाले जिस स्टूडेंट को फीस के लिए पैसे की जरूरत होती है, उसे कॉलेज प्रबंधन गुल्लक तोड़कर मदद कर देता है. बता दें कि रामकृष्ण इंटर कॉलेज में सिर्फ सीनियर क्लासेज नहीं चलते. उत्तर प्रदेश के इंटर कॉलेज में पहली से 12वीं तक की पढ़ाई होती है. 12वीं तक की पढ़ाई होने के कारण स्कूल को इंटर कॉलेज का दर्जा दिया जाता है.
प्रिंसिपल सोमदेव सारस्वत ने बताया कि कोरोना काल में लॉकडाउन के बाद आर्थिक तंगी की वजह से कई बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दी. ऐसे बच्चों की मदद के लिए श्री रामकृष्ण इंटर कॉलेज ने गुल्लक योजना शुरू की. इसके तहत गुल्लक में जमा होने वाले पैसों से गरीब बच्चों की शिक्षा पूरी कराई जा रही है और पढ़ाई से जुड़ी जरूरतें पूरी की जा रही हैं. इस गुल्लक वाली मदद की खासियत यह है कि जो भी छात्र इससे मदद लेता है, उसकी पहचान सार्वजनिक नहीं की जाती है.
कोरोना काल में आया गुल्लक रखने का आइडिया: आगरा के खंदारी इलाके में श्रीरामकृष्ण इंटर कॉलेज है. स्थानीय लोग इसे आरके कॉलेज भी कहते हैं. जब कोरोना की लहर चल रही थी, तब आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के घर की हालत खराब हो गई. न चाहते हुए भी कई बच्चों ने पढ़ाई छोड़ दी. प्रिंसिपल सोमदेव सारस्वत ने बताया कि जुलाई 2020 में गुल्लक योजना शुरू की गई. कॉलेज के कैंपस में 32 गुल्लक रखे गए. हर एक गुल्लक को 1 से 32 तक का एक नंबर दिया गया. फिर कॉलेज के छात्रों, कर्मचारियों और टीचर्स से मदद की अपील की गई. इसके बाद सबने अपनी मर्जी से यथाशक्ति गुल्लक में रुपये डालने लगे. महीने के अंत में उन छात्रों को फीस इस गुल्लकों में रखी गई रकम से भरी गई, जिन्होंने आर्थिक तंगी की परेशानी कॉलेज मैनेजमेंट को बताई थी.
इसके बाद से कॉलेज कैंपस में गुल्लक रखा जाने लगा. 32 गुल्लकों से छात्रों की न सिर्फ फीस भरी जाती है, बल्कि उनके लिए पढ़ाई से जरूरी किताबें और स्टेशनरी भी मुहैया कराई जाती है. सोमदेव सारस्वत के अनुसार, डिमांड के हिसाब से जरूरतमंद छात्रों को पहले ही गुल्लक अलॉट की जाती है. इन छात्रों का नाम और उनका गुल्लक नंबर एक रजिस्टर में दर्ज किया जाता है. इसकी जानकारी कॉलेज मैनेजमेंट को ही होती है. जरूरतमंद छात्र का नाम गुप्त रखने की पॉलिसी बनाई, ताकि उन्हें मदद लेने में संकोच न हो.
300 रुपये प्रति महीना है स्कूल की फीस : सोमदेव सारस्वत ने बताया कि स्कूल की फीस 300 रुपये प्रति महीना है. हर महीने जब भी कोई आर्थिक रूप से कमजोर बच्चा अपनी फीस जमा करने के लिए गुल्लक में रखे पैसों की मांग करता है तो बंद कमरे में गुल्लक को तोड़ा जाता है. गुल्लक में जितने पैसे निकलते हैं, वह पैसे बच्चे और उसके पैरंट्स को दे दिए जाते हैं. उनका कहना है कि कभी-कभी गुल्लक में 300 रुपये से अधिक भी निकल आते हैं. ऐसे में कई पैरेंटस फीस से अधिक बचे रुपये ले जाते हैं. कई पैरेंट्स और बच्चे ऐसे भी हैं, जो सिर्फ अपनी फीस और जरूरत के हिसाब से पैसे लेते हैं.
सपोर्ट लेने का तरीका भी लाजवाब : अगर उनके गुल्लक में अधिक रकम होती है तो वह उसे दूसरे गुल्लक में डाल देते हैं. कई बार कॉलेज मैनेजमेंट ज्यादा रकम वाली एक गुल्लक से कई छात्रों की मदद कर देता है. अभी तक स्कूल के 92 स्टूडेंट ऐसे हैं, जिन्होंने गुल्लक से मदद ली है. जब से कॉलेज मैनेजमेंट ने यह कैंपेन चलाया है, तब से हर महीने के अंत में गुल्लक टूटते ही है. ये गुल्लक किसी न किसी जरूरतमंद के काम आ ही जाते हैं. प्रिंसिपल सोमदेव सारस्वत का कहना है कि मदद लेने वाले ज्यादातर स्टूडेंट रेहड़ी वाले, रिक्शा चलाने वाले, ठेल लगाने वाले और श्रमिकों के बच्चे हैं. हाल के दिनों में गुल्लक में पैसे डालने वालों की संख्या कम हुई है. कॉलेज कर्मचारियों और आगंतुकों का योगदान के सहारे यह स्वैच्छिक योजना चल रह रही है. गुल्लकों की तादाद कम या ज्यादा होती रहती है. कोशिश यह है कि छात्रों को ऐसी गुल्लक की जरूरत नहीं पड़े. वैसे खंदारी के श्रीरामकृष्ण इंटर कॉलेज में मदद के लिए 18 गुल्लक अभी भी रखे हैं, जो महीने के अंत में तोड़े जाएंगे, किसी जरूरतमंद छात्र के लिए.
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