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सूखी पड़ी यमुना की तलहटी, फिर काहे का जल दिवस

यमुना नदी का पानी दिन पर दिन सूखता जा रहा है. विशेषज्ञों की माने तो ताज नगरी आगरा में आने वाले समय में रेगिस्तान जैसी स्थिति बन जाएगी. आगरा में 25 लाख से भी ज्यादा की जनसंख्या है. जहां वर्तमान जलकल विभाग की वर्तमान आबादी के हिसाब से सप्लाई का आंकड़ा देखें तो प्रतिदिन प्रत्येक व्यक्ति करीब 150 लीटर पानी चाहिए होता है.

सूखी पड़ी यमुना की तलहटी
सूखी पड़ी यमुना की तलहटी
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Published : Mar 23, 2021, 11:34 AM IST

आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा जनपद में पानी की समस्या को लेकर आए दिन ताज नगरी आगरा में अलग-अलग वार्डों में प्रदर्शन होते रहते हैं. कोई थालीपीट कर प्रदर्शन करता है तो कोई मटका फोड़ कर, लेकिन समस्या शहरवासियों की ज्यो की त्यों बनी रहती है. आगरा में 25 लाख से भी ज्यादा की जनसंख्या है. जहां वर्तमान जलकल विभाग की वर्तमान आबादी के हिसाब से सप्लाई का आंकड़ा देखें तो प्रतिदिन प्रत्येक व्यक्ति करीब 150 लीटर पानी चाहिए होता है. इस हिसाब से लाखों की आबादी वाले शहर में लोगों को 370.5 एमएलडी पेयजल की डिमांड है. यमुना नदी दिन पर दिन सूखती जा रही हैं. यमुना का जलस्तर लगातार गिरने के कारण पीने का पानी योग्य नहीं रहा.

सूखी पड़ी यमुना की तलहटी
गर्मी आते ही गिरता है एक से डेढ़ मीटर भूजल स्तर भूजल हर वर्ष गिर रहा है. इसकी वजह से सरकारी समर्सिबल हो या फिर लोगों के घरों में लगी समर्सिबल, लगातार भूजल गिरने की वजह से सूखते जा रहे हैं. भूजल सर्वेक्षण विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो हर वर्ष करीब 1 मीटर पानी गिरता है. शहर में यह आंकड़ा 2 से ढाई मीटर तक का है.आगरा में गंगाजल प्रोजेक्ट 2887 करोड़ रुपए का गंगाजल प्रोजेक्ट आगरा में आगरा वासियों की जलापूर्ति के लिए लाया गया था, उसके बावजूद भी अधिकांश क्षेत्रों में पानी के लिए मारामारी होती है. जलकल विभाग के जीएम के अनुसार शहर के शहर को 250 एमएलडी पानी की जरूरत है जलकल विभाग उनको 350 एमएलडी जल गंगाजल के साथ मिलाकर दे रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार पानी की स्थिति आगरा में बेहतर है.

जल निगम के मुंख्य अभियंता आरके शर्मा ने बताया कि लगातार भूजल स्तर गिरने से व यमुना नदी में पानी कम होने से आने वाले समय में जल संकट मंडरा रहा है. पानी को बचाने के लिए वॉटर हार्वेस्टिंग, चेक डेम व तालाब जगह-जगह बनवाएं जिससे गिरते हुए जल स्तर में सुधार की उम्मीद है.


आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा जनपद में पानी की समस्या को लेकर आए दिन ताज नगरी आगरा में अलग-अलग वार्डों में प्रदर्शन होते रहते हैं. कोई थालीपीट कर प्रदर्शन करता है तो कोई मटका फोड़ कर, लेकिन समस्या शहरवासियों की ज्यो की त्यों बनी रहती है. आगरा में 25 लाख से भी ज्यादा की जनसंख्या है. जहां वर्तमान जलकल विभाग की वर्तमान आबादी के हिसाब से सप्लाई का आंकड़ा देखें तो प्रतिदिन प्रत्येक व्यक्ति करीब 150 लीटर पानी चाहिए होता है. इस हिसाब से लाखों की आबादी वाले शहर में लोगों को 370.5 एमएलडी पेयजल की डिमांड है. यमुना नदी दिन पर दिन सूखती जा रही हैं. यमुना का जलस्तर लगातार गिरने के कारण पीने का पानी योग्य नहीं रहा.

सूखी पड़ी यमुना की तलहटी
गर्मी आते ही गिरता है एक से डेढ़ मीटर भूजल स्तर भूजल हर वर्ष गिर रहा है. इसकी वजह से सरकारी समर्सिबल हो या फिर लोगों के घरों में लगी समर्सिबल, लगातार भूजल गिरने की वजह से सूखते जा रहे हैं. भूजल सर्वेक्षण विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो हर वर्ष करीब 1 मीटर पानी गिरता है. शहर में यह आंकड़ा 2 से ढाई मीटर तक का है.आगरा में गंगाजल प्रोजेक्ट 2887 करोड़ रुपए का गंगाजल प्रोजेक्ट आगरा में आगरा वासियों की जलापूर्ति के लिए लाया गया था, उसके बावजूद भी अधिकांश क्षेत्रों में पानी के लिए मारामारी होती है. जलकल विभाग के जीएम के अनुसार शहर के शहर को 250 एमएलडी पानी की जरूरत है जलकल विभाग उनको 350 एमएलडी जल गंगाजल के साथ मिलाकर दे रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार पानी की स्थिति आगरा में बेहतर है.

जल निगम के मुंख्य अभियंता आरके शर्मा ने बताया कि लगातार भूजल स्तर गिरने से व यमुना नदी में पानी कम होने से आने वाले समय में जल संकट मंडरा रहा है. पानी को बचाने के लिए वॉटर हार्वेस्टिंग, चेक डेम व तालाब जगह-जगह बनवाएं जिससे गिरते हुए जल स्तर में सुधार की उम्मीद है.


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