आगरा: शहर के जगदीशपुरा क्षेत्र में करोड़ों रुपये की जमीन पर कब्जा कराने को पुलिस ने दो भाइयों के परिवार को झूठे मुकदमों (Policemen suspended in Agra) में फंसा कर जेल भेजा था. पुलिस ने पहले गांजा तस्करी में सगे भाइयों को जेल भेजा. फिर अवैध शराब बनाने का मामला बनाकर भाभी और ननद को जेल भेज दिया. पुलिस की कार्रवाई से परिवार के अन्य सदस्य डर गए. फिर, पुलिस की मिलीभगत से बैनारा फैक्ट्री के पास स्थित चार बीघा जमीन पर कब्जा किया गया. जमीन की बाउंड्रीवाल बनवाई और गेट लगाकर सीसीटीवी कैमरे भी लगा दिए गए.
पीड़िता ने डीजीपी से गुहार लगाई और पुलिस की करतूत बताई. जिस पर पुलिस महकमा में खलबली मच गई. आगरा पुलिस कमिश्नर डॉ प्रीतेंदर सिंह ने डीसीपी सिटी की रिपोर्ट पर तत्कालीन एसओ जगदीशपुरा जितेंद्र कुमार (वर्तमान एसओ एमएम गेट) समेत इस खेल में शामिल तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया. मामले में संलिप्त आबकारी विभाग के अधिकारियों के खिलाफ विभाग को रिपोर्ट दी गई है.
यह है पूरा मामला: जगदीशपुरा थाना क्षेत्र में बैनारा फैक्ट्री के पास चार बीघा जमीन का मामला है. बोदला रोड निवासी उमा देवी ने डीजीपी से शिकायत की है. उसके ससुर सरदार टहल सिंह के नाम से खतैना में चार बीघा जमीन है. टहल सिंह और उमा के पति सरदार जसवीर सिंह की मृत्यु हो चुकी है. जमीन पर उमा मेरा का कब्जा था. इस जमीन की देखरेख सरदार टहल सिंह ने रवि कुशवाह और शंकरलाल कुशवाह को जिम्मा दिया था. करीब 35 वर्ष से दोनों परिवार के साथ इसी जमीन पर रहते हैं. रवि की पत्नी पूनम और रवि की बहन पुष्पा भी वहां रहती थीं. इस बेशकीमती जमीन पर नेमचंद जैन का विवाद चल रहा था.
पीड़िता उमा देवी का आरोप है कि, नेमीचंद अकेले ये काम करने में सक्षम नहीं था. इसलिए, इस बेशकीमती जमीन पर कब्जा कराने के लिए कई नामी लोग भी जुट गए. पुलिस ने चर्चित एक व्यक्ति की वजह से जमीन पर कब्जा कराने का पूरा ठेका ले लिया. जमीन पर जो लोग रह रहे थे, पहले उन्हें वहां से हटाया था. ताकि जमीन पर कब्जा लिया जाए.
पीड़िता उमा देवी का आरोप है कि, जगदीशपुरा पुलिस ने आरोपियों की साजिश के तहत पहला मुकदमा 26 अगस्त 2023 को एनडीपीएस एक्ट का लिखाया. पुलिस ने मौके से रवि कुशवाह, शंकरलाल उर्फ शंकरिया और जटपुरा निवासी ओमप्रकाश को पकड़ कर एक वाहन जब्त किया. तीन पैकेट से नौ किलोग्राम गांजा बरामद दिखाया. इस पर रवि, शंकरलाल और ओमप्रकाश को जेल भेजा गया. इस मुकदमे में अरुण को फरार दिखाया गया, जो आज तक नहीं पकड़ा गया.
फिर रातों रात हुआ काम: पीड़िता उमा देवी ने बताया कि, नौ अक्टूबर 2023 को उसी जगह आबकारी निरीक्षक ने छापा मारा. मौके पर रह रहीं पूनम और उसकी ननद पुष्पा व फुरकान को पकड़ा. फिर, जगदीशपुरा थाने में आबकारी अधिनियम का मुकदमा लिखा गया. जिसमें धोखाधड़ी की धाराएं भी लगाई गईं. पुलिस ने तीनों को जेल भेज दिया. जब जमीन खाली हो गई तो पुलिस की देखरेख में वहां रातों रात काम चला. जमीन की जगह-जगह से टूटी बाउंड्री वाल दुरस्त कराई और पुताई कराई. फिर, सीसीटीवी कैमरे लगवाकर दो सिक्योरिटी गार्ड तैनात कर दिए गए. अब जमीन पर कब्जा दिलाने में मदद करने वाले नामी लोग ही अब वहां प्लाट काट रहे हैं. इसके चलते दो बार एडीए कार्रवाई भी की है.
डीजीपी ऑफिस पहुंची शिकायत: पीड़िता उमा देवी की डीजीपी कार्यालय में की गई शिकायत पर जांच के लिए एसीपी स्तर के अधिकारी मौके पर जाकर जांच की. आसपास के लोगों के बयान लिए गए. जमीन पर के खेल में शामिल पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं की गई. फिर, पुलिस कमिश्नर ने डीसीपी सिटी सूरज राय से रिपोर्ट मांगी. डीसीपी सिटी सूरज ने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन एसओ जगदीशपुरा जितेंद्र कुमार, मुख्य आरक्षी उपेंद्र मिश्रा, शिवराज सिंह व आरक्षी रविकांत व एसआई विकास कुमार को दोषी माना. दोषी पुलिसकर्मियों की जमीन पर कब्जा कराने का काम किया. डीसीपी की रिपोर्ट पर पुलिस कमिश्नर ने एसओ और टीम में शामिल हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल को निलंबित कर दिया.
पुलिस ने निलंबन कर सहारनपुर भेजी रिपोर्ट: आगरा पुलिस कमिश्नर ने निलंबन की कार्रवाई के बाद एसआई विकास कुमार का सहारनपुर तबादला होने पर उसकी रिपोर्ट भेजी है. मामले की विभागीय जांच एसीपी हरीपर्वत को दे दी है. इसके साथ ही आबकारी अधिनियम के तहत मुकदमा लिखाने वाले आबकारी विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई को रिपोर्ट दी जा रही है.
पहला थाना मिला था जगदीशपुरा: एसआई जितेंद्र कुमार के खिलाफ यह कोई पहली शिकायत नहीं है. सेटिंग से जगदीशपुरा थाने का चार्ज दिलाया गया था. इससे पूर्व में रुनकता चौकी पर तैनाती पर आगजनी में निलंबित हुए. तब सांप्रदायिक माहौल गर्माया था. बहाल होने पर देहात में तैनाती दी गई थी. फिर, जगदीशपुरा थाने का चार्ज मिला था.
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