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इस 'रकाबी' में मुगल बादशाह शाहजहां का खाना होता था टेस्ट - ताज म्यूजियम

मुगल बादशाह शाहजहां ने अपने खाने में मिलावट की टेस्ट करने के लिए एक विशेष प्रकार की प्लेट बनवाई थी, जिसे रकाबी कहा जाता था. यह चीनी मिट्टी और अन्य तमाम पदार्थ की बनी हुई हरे रंग की प्लेट है. यह प्लेट अब भी ताजमहल स्थित ताज म्यूजियम में रखी हुई है.

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रकाबी में की जाती थी खाने की जांच.
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Published : Nov 28, 2019, 10:49 AM IST

आगरा: मुगलों की राजधानी आगरा रहा है. मुगल बादशाह जितने शान-शौकत में रहते थे उतनी ही अपनी सुरक्षा को लेकर भी गंभीर थे. मुगल बादशाह शाहजहां ने अपने खाने में मिलावट टेस्ट करने के लिए एक विशेष प्रकार की प्लेट बनवाई थी, जिसे उस समय रकाबी कहा जाता था. यह चीनी मिट्टी और अन्य तमाम पदार्थ की बनी हुई हरे रंग की प्लेट है. यह 17 वीं शताब्दी की प्लेट है, जो अब भी ताजमहल स्थित ताज म्यूजियम में रखी गई है.

रकाबी में की जाती थी खाने की जांच.


शाहजहां के खाना परखने के लिए बनवाई थी 'रकाबी'
मोहब्बत की निशानी ताजमहल परिसर में 'ताज म्यूजियम' स्थित है. इस म्यूजियम में मुगल काल से संबंधित तमाम वस्तुएं और हथियार रखे हुए हैं. इनमें ही खास है मुगल शहंशाह शाहजहां के खाना परखने की रकाबी. यह रकाबी मुगल बादशाह ने अपने खाने में मिलावट को परखने के लिए और विषाक्त पदार्थ की जांच के लिए तैयार कराई थी.


ताज म्यूजियम में मुगल काल तमाम वस्तुएं रखी गई
जयपुर से आए टूरिस्ट शंभुदयाल गुर्जर ने बताया कि ताजमहल परिसर में स्थित म्यूजियम में मुगल काल की खाना परखने वाली रकाबी (प्लेट) देखी. इससे पता चलता है कि मुगल अपने खानपान की सुरक्षा को लेकर कितने गंभीर थे. मुगल काल और ताजमहल से संबंधित अन्य तमाम वस्तुएं म्यूजियम में देखने को मिली हैं.


विषाक्त पदार्थ मिला खाना होने पर रंग बदलती थी प्लेट
ताज म्यूजियम प्रभारी और एएसआई के सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद आरके सिंह ने बताया कि मुगल बादशाह अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीर थे. इसमें उनके खानपान की सुरक्षा भी शामिल थी. मुगल बादशाह को कोई खाने में विषाक्त पदार्थ न खिला दे, इसके लिए विशेष व्यवस्था थी. रसोई में जो भी खाद्य पदार्थ बनाया जाता था, पहले उसे बादशाह का मुख्य रसोइया चखता था. इसके बाद ही वह खाना बादशाह को परोसा जाता था.

इसे भी पढ़ें:- रजा मुराद ने किया ताज का दीदार, कहा- यह एक इमारत नहीं, मोहब्बत का जज्बात है

फिर भी उस समय खाने में विषाक्त पदार्थ मिलाकर राजाओं को खिलाने की घटनाएं हुईं. इसे देखते हुए मुगल बादशाह शाहजहां ने 17 वीं शताब्दी में अपने खाने की मिलावट को परखने के लिए चीनी मिट्टी और अन्य पदार्थों से एक प्लेट तैयार कराई. यह प्लेट हरे रंग की थी. इस प्लेट की खासियत यह थी कि जब इस प्लेट में विषाक्त पदार्थ मिला हुआ खाना डाला जाता, तो यह प्लेट रंग बदलेगी या यह चटक कर टूट जाएगी.

आगरा: मुगलों की राजधानी आगरा रहा है. मुगल बादशाह जितने शान-शौकत में रहते थे उतनी ही अपनी सुरक्षा को लेकर भी गंभीर थे. मुगल बादशाह शाहजहां ने अपने खाने में मिलावट टेस्ट करने के लिए एक विशेष प्रकार की प्लेट बनवाई थी, जिसे उस समय रकाबी कहा जाता था. यह चीनी मिट्टी और अन्य तमाम पदार्थ की बनी हुई हरे रंग की प्लेट है. यह 17 वीं शताब्दी की प्लेट है, जो अब भी ताजमहल स्थित ताज म्यूजियम में रखी गई है.

रकाबी में की जाती थी खाने की जांच.


शाहजहां के खाना परखने के लिए बनवाई थी 'रकाबी'
मोहब्बत की निशानी ताजमहल परिसर में 'ताज म्यूजियम' स्थित है. इस म्यूजियम में मुगल काल से संबंधित तमाम वस्तुएं और हथियार रखे हुए हैं. इनमें ही खास है मुगल शहंशाह शाहजहां के खाना परखने की रकाबी. यह रकाबी मुगल बादशाह ने अपने खाने में मिलावट को परखने के लिए और विषाक्त पदार्थ की जांच के लिए तैयार कराई थी.


ताज म्यूजियम में मुगल काल तमाम वस्तुएं रखी गई
जयपुर से आए टूरिस्ट शंभुदयाल गुर्जर ने बताया कि ताजमहल परिसर में स्थित म्यूजियम में मुगल काल की खाना परखने वाली रकाबी (प्लेट) देखी. इससे पता चलता है कि मुगल अपने खानपान की सुरक्षा को लेकर कितने गंभीर थे. मुगल काल और ताजमहल से संबंधित अन्य तमाम वस्तुएं म्यूजियम में देखने को मिली हैं.


विषाक्त पदार्थ मिला खाना होने पर रंग बदलती थी प्लेट
ताज म्यूजियम प्रभारी और एएसआई के सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद आरके सिंह ने बताया कि मुगल बादशाह अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीर थे. इसमें उनके खानपान की सुरक्षा भी शामिल थी. मुगल बादशाह को कोई खाने में विषाक्त पदार्थ न खिला दे, इसके लिए विशेष व्यवस्था थी. रसोई में जो भी खाद्य पदार्थ बनाया जाता था, पहले उसे बादशाह का मुख्य रसोइया चखता था. इसके बाद ही वह खाना बादशाह को परोसा जाता था.

इसे भी पढ़ें:- रजा मुराद ने किया ताज का दीदार, कहा- यह एक इमारत नहीं, मोहब्बत का जज्बात है

फिर भी उस समय खाने में विषाक्त पदार्थ मिलाकर राजाओं को खिलाने की घटनाएं हुईं. इसे देखते हुए मुगल बादशाह शाहजहां ने 17 वीं शताब्दी में अपने खाने की मिलावट को परखने के लिए चीनी मिट्टी और अन्य पदार्थों से एक प्लेट तैयार कराई. यह प्लेट हरे रंग की थी. इस प्लेट की खासियत यह थी कि जब इस प्लेट में विषाक्त पदार्थ मिला हुआ खाना डाला जाता, तो यह प्लेट रंग बदलेगी या यह चटक कर टूट जाएगी.

Intro:स्पेशल खबर है.....
आगरा.
मुगलों की की राजधानी आगरा रहा. मुगल बादशाह जितने शान शौकत में रहते थे. मुगल सुरक्षा को लेकर भी गंभीर थे, उतने ही खानपान के भी शौकीन थे. मुगल बादशाह शहंशाह शाहजहां ने अपना खाना टेस्ट करने के लिए एक विशेष प्रकार की प्लेट बनवाई थी. जिसे उस समय रकाबी कहा जाता था. यह चीनी मिट्टी और अन्य तमाम पदार्थ की बनी हुई हरे रंग की प्लेट है. यह 17 वीं शताब्दी की प्लेट है, जो अभी भी ताजमहल स्थित ताज म्यूजियम में रखी है. आज ईटीवी भारत 'ताज म्यूजियम' में रखी इस रकाबी (प्लेट) की खासियत के बारे में आपको बताएगा.


Body:मोहब्बत की निशानी ताजमहल परिसर में 'ताज म्यूजियम' स्थित है. इस म्यूजियम में मुगल काल से संबंधित तमाम वस्तुएं और हथियार रखे हुए हैं. इनमें ही खास है, मुगल शहंशाह शाहजहां के खाना परखने की रकबी. यह रकाबी मुगल बादशाह ने अपने खाने की मिलावट को परखने के लिए और विषाक्त पदार्थ की जांच के लिए तैयार कराई थी.

जयपुर से आए टूरिस्ट शंभुदयाल गुर्जर ने बताया कि, ताजमहल परिसर में स्थित म्यूजियम में मुगल काल की खाना की परखने वाली रकाबी (प्लेट) देखी. इससे पता चलता है कि मुगल अपने खानपान की सुरक्षा को लेकर के कितने गंभीर थे. मुगल काल और ताजमहल से संबंधित अन्य तमाम वस्तुएं म्यूजियम में देखने को मिली हैं.

ताज म्यूजियम प्रभारी और एएसआई के सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद आरके सिंह ने बताया कि मुगल बादशाह अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीर थे. इसमें उनके खानपान की सुरक्षा भी शामिल थी. मुगल बादशाह को कोई खाने में विषाक्त पदार्थ न खिला दे. इसके लिए विशेष व्यवस्था थी. रसोई में जो भी खाद्य पदार्थ बनाया जाता था. पहले उसे बादशाह का मुख्य रसोइया चखता था. इसके बाद ही वह खाना बादशाह को परोसा जाता था. फिर भी उस समय खाने में विषाक्त पदार्थ मिलाकर राजाओं को खिलाने की घटनाएं हुईं. इसे देखते हुए मुगल बादशाह शाहजहां ने 17 वीं शताब्दी में अपने खाने की मिलावट को परखने के लिए चीनी मिट्टी और अन्य पदार्थों से एक प्लेट तैयार कराई गई थी. यह प्लेट हरे रंग की थी. इस प्लेट की खासियत यह थी, कि जब इस प्लेट में विषाक्त पदार्थ मिला हुआ खाना डाला जाता है. तो यह प्लेट रंग बदलेगी या यह चटक कर टूट जाएगी.



Conclusion: प्रतिदिन हजारों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक ताजमहल देखने के लिए आगराआते हैं. पर्यटक ताजमहल देखने के बाद ही चले जाते हैं. वे ताजमहल परिसर में स्थित ताज म्यूजियम नहीं देखते हैं. यदि ताजमहल आओ और ताज म्यूजियम नहीं देखा तो मुगल इतिहास से संबंधित तमाम जानकारी और वस्तुओं से आप अनजान रहेंगे.

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पहली बाइट शंभुदयाल गुर्जर, टूरिस्ट(जयपुर)।
दूसरी बाइट आरके सिंह, प्रभारी ताज म्यूजियम (ताजमहल) की।

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श्यामवीर सिंह
आगरा
8387893357
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