आगरा: आगरा खंड शिक्षक विधान परिषद (एमएलसी) की सीट पर आखिरकार निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. आकाश अग्रवाल ने 24 साल के शर्मा गुट का वर्चस्व तोड़ दिया. शुक्रवार दोपहर निर्वाचन आयोग ने डॉ. आकाश अग्रवाल की जीत घोषित की. इसके बाद आयोग का प्रमाण पत्र दिया. डॉ. आकाश अग्रवाल की 2371 वोटों से जीत हुई है. आकाश अग्रवाल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के प्रत्याशी डॉ. दिनेश चंद्र वशिष्ठ को हराया है. प्रथम वरीयता में हार जीत का फैसला नहीं होने के बाद द्वितीय वरीयता की काउंटिंग हुई थी. इसके बाद देर रात से परिणाम को रोके रखा गया था.
डॉ. आकाश अग्रवाल को मिले वोट
प्रथम वरीयता में डॉ आकाश अग्रवाल को 5798 वोट मिले. जबकि, निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी डॉ. दिनेश चंद्र वशिष्ठ को 3685 वोट मिले. इसी तरह से प्रथम वरीयता में डॉ.आकाश अग्रवाल को 2113 वोट की बढ़त मिली. द्वितीय वरीयता में डॉ. आकाश अग्रवाल को 6690 वोट मिले. जबकि, निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी डॉ. दिनेश चंद्र वशिष्ठ को 4329 वोट मिले. इससे डॉ. आकाश अग्रवाल को 2371 वोटों से जीत मिली.
21703 पड़े वोट
आगरा खंड शिक्षक विधान परिषद (एमएलसी) में 12 जिलों में 30,000 से ज्यादा मतदाता थे. जिसमें से 21703 वोट पड़े थे. शिक्षक एमएलसी के मैदान 16 प्रत्याशी थे. जिनमें से तीसरे नंबर शर्मा गुट के प्रत्याशी जगवीर किशोर जैन को 2952 वोट मिले.
टूटा 24 साल का वर्चस्व
आगरा खंड शिक्षक एमएलसी के नवनिर्वाचित एमएलसी डॉ. आकाश अग्रवाल ने बताया कि मैं शिक्षक हित में बिना भ्रष्टाचार के कार्य करूंगा. शर्मा गुट ने आगरा के लिए कुछ नहीं किया. इसलिए 24 साल बाद बदलाव की बयार में लोगों ने वित्तविहीन के प्रत्याशी को वोट किया. जिससे वित्तविहीन के प्रत्याशी की अच्छी जीत हुई है.
ट्वीट पर बोले, अराजकता का माहौल था
आगरा खंड शिक्षक एमएलसी के नवनिर्वाचित एमएलसी डॉ. आकाश अग्रवाल ने बताया कि रात में सत्ता के दबाव में माहौल अराजकता का था. भाजपा प्रत्याशी डॉ. दिनेश चंद्र वशिष्ठ और भाजपा समर्थकों ने हंगामा किया था. इससे मैंने ट्वीट किया था. मेरे अन्य प्रतिद्वंदी प्रत्याशियों ने री-काउंटिंग नहीं कराने की मांग की. इसलिए मैं सभी का शुक्रगुजार हूं.
आगरा खंड शिक्षक एमएलसी में करीब दस घंटे तक असमंजस का माहौल रहा है. गुरुवार देर रात ही निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. आकाश अग्रवाल की जीत सुनिश्चित हो गई थी. लेकिन, सत्ताधारी भाजपा के विरोध के चलते अधिकारी भी चुप्पी साधे बैठे रहे.