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दिव्यांग निशा और यश ने एशियन पैरा गेम में जीता मेडल, जानें कहां हुईं सम्मानित - पैरा कैनो कायाकिंग वाटर स्पोर्ट्स

आगरा की निशा और यश सिंह ने एशियन पैरा गेम में मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया है. गुरुवार को महिला शांति सेना ने दोनों खिलाड़ियों का सम्मान किया.

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निशा और यश सिंह
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Published : Mar 31, 2022, 7:35 PM IST

Updated : Mar 31, 2022, 9:13 PM IST

आगरा: जनपद की दिव्यांग निशा रावत और यश सिंह ने एशियन पैरा गेम्स में मेडल लाकर उत्तर प्रदेश के साथ आगरा का भी नाम रोशन किया है. थाइलैंड में 2022 एसीसी पैराकोनी एशियन पैरा गेम में निशा रावत ने ब्राउन और यश सिंह ने सिल्वर व ब्राउन मेडल जीता है. गुरुवार को आगरा के स्टेशन पर महिला शांति सेना ने दोनों खिलाड़ियों का सम्मान किया है.

दिव्यांग निशा और यश ने एशियन पैरा गेम में जीता मेडल

गुरुवार को आगरा कैंट स्टेशन पर महिला शांति सेना ने आगरा के होनहार खिलाड़ियों का सम्मान किया. निशा रावत यूपी की इकलौती महिला खिलाड़ी हैं जो पैरा कैनो कायाकिंग वाटर स्पोर्ट्स खेलतीं हैं. वहीं, यूपी में पुरुष वर्ग में तीन ही लड़के पैरा कैनो कयाकिंग वॉटरस्पोर्ट्स खेलते हैं जिसमें एक यश हैं. दोनों ही युवा खिलाड़ी गरीबी का दंश झेल रहे हैं. दोनों ही खिलाड़ियों के पैरों में जान नहीं है लेकिन उनके सपनों में जान हैं. दोनों खिलाड़ी पैराओलंपिक में खेलकर देश के लिए मेडल लाकर देश का नाम रोशन करना चाहते है.

निशा और यश सिंह
निशा और यश सिंह

10 देशों के लोगों को टक्कर देकर वर्ल्ड चैंपियनशिप तक
महिला पैरा खिलाड़ी निशा रावत, पुरुष पैरा खिलाड़ी यश सिंह बताते हैं कि उन्होंने 2022 एसीसी पैरा कोनी एशियन पैरा गेम क्वालीफाई कर लिया है. अब आगे की तैयारी वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए है. इसके बाद वर्ल्ड कप और एशियन गेम के लिए तैयारी रहेगी. दोनों खिलाड़ियों ने बताया कि एशियन चैंपियनशिप में 10 देशों ने भाग लिया था. यदि उनको आर्थिक मदद मिलती तो वह और अच्छे से प्रेक्टिस कर गोल्ड भी ला सकते थे.

कोच न होते तो यहां तक न पहुंचते
भोपाल के कोच मयंक ठाकुर व असिस्टेंट कोच अनिल राठी, हेल्पर लालचंद इन तीनों के बदौलत ही यह दोनों खिलाड़ी यहां तक पहुंचे हैं. दोनों खिलाड़ियों ने बताया कि उनके पास व्हीलचेयर तक भी नहीं थी. कोच मयंक ठाकुर ने अपने खर्चे से उनको हर तरीके की मदद की. यहां तक की फॉरेन जाने के लिए निशा रावत को व्हीलचेयर भी उपलब्ध कराई. यूपी सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं मिली.

पैर के ऑपरेशन के दौरान महिला खिलाड़ी से मिली थी प्रेरणा
निशा बताती हैं कि वो बचपन से ही पैरों से नहीं चल सकतीं. बिना सहारे एक कदम नहीं बढ़ा पातीं. उन्हें इसका हमेशा अफसोस रहता था. निशा भी औरों की तरह सपने देखतीं थीं कि वह भी कुछ बने और कुछ करें. 2019 में निशा अपने पिता के साथ पैर का ऑपरेशन करवाने उदयपुर गई थीं. यहां उदयपुर में मध्यप्रदेश के भिंड की पैरा खिलाड़ी पूजा अहूजा से उनकी मुलाकात हुई. उन्होंने निशा को स्पोर्ट्स में आने के लिए कहा. पूजा की बात का निशा पर इतना असर हुआ कि उन्होंने पैर के ऑपरेशन के बाद घर आकर अपने पिता से जिद कर ली कि वह भी गेम्स खेलेंगी. देश का नाम रोशन करेगी. पूजा से प्रेरणा लेते हुए पैरा कैनो कायाकिंग वाटर स्पोर्ट्स में हाथ आजमाया. इसके बाद निशा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

मजबूरी और लाचारी के आगे बार-बार रुक जाते हैं निशा के कदम
निशा बतातीं हैं कि उनके पिता पीआरडी में हैं. प्रतिदिन के हिसाब से उन्हें तनखा मिलती है. उनके पिता की 15,000 रुपये महीने की तनख्वाह हैं. निशा के तीन भाई-बहन हैं. निशा की तैयारियों में ही ₹10,000 खर्च हो जाते हैं. बाकी पैसों से घर का राशन पानी चलता है. निशा को बुरा लगता है कि घर की एक तो आमदनी नहीं और सारा पैसा उसकी तैयारियों में खर्च हो जाता है.

यह भी पढ़ें:ताजमहल की खूबसूरती को लगे चारचांद जब पहुंचीं ये दो बॉलीवुड हीरोइनें, देखें तस्वीरें..

भाई बहनों के लिए निशा निराश रहती हैं. इस वज़ह से कई बार वह अपने कदम वापस इसलिए खींच लेती है कि उनके घर की आर्थिक स्थिति इतनी सही नहीं है. वहीं दयालबाग के रहने वाले यश सिंह बताते हैं कि वह बचपन से ही अपने ताऊ और ताई के पास रहते हैं. उनकी हर तरीके से मदद करते हैं. यहां जाने के समय जब किसी नेता ने भी व्हीलचेयर के लिए पैसे नहीं दिए तो उनकी ताई जी ने ₹45000 की व्हीलचेयर खरीद कर दी.

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आगरा: जनपद की दिव्यांग निशा रावत और यश सिंह ने एशियन पैरा गेम्स में मेडल लाकर उत्तर प्रदेश के साथ आगरा का भी नाम रोशन किया है. थाइलैंड में 2022 एसीसी पैराकोनी एशियन पैरा गेम में निशा रावत ने ब्राउन और यश सिंह ने सिल्वर व ब्राउन मेडल जीता है. गुरुवार को आगरा के स्टेशन पर महिला शांति सेना ने दोनों खिलाड़ियों का सम्मान किया है.

दिव्यांग निशा और यश ने एशियन पैरा गेम में जीता मेडल

गुरुवार को आगरा कैंट स्टेशन पर महिला शांति सेना ने आगरा के होनहार खिलाड़ियों का सम्मान किया. निशा रावत यूपी की इकलौती महिला खिलाड़ी हैं जो पैरा कैनो कायाकिंग वाटर स्पोर्ट्स खेलतीं हैं. वहीं, यूपी में पुरुष वर्ग में तीन ही लड़के पैरा कैनो कयाकिंग वॉटरस्पोर्ट्स खेलते हैं जिसमें एक यश हैं. दोनों ही युवा खिलाड़ी गरीबी का दंश झेल रहे हैं. दोनों ही खिलाड़ियों के पैरों में जान नहीं है लेकिन उनके सपनों में जान हैं. दोनों खिलाड़ी पैराओलंपिक में खेलकर देश के लिए मेडल लाकर देश का नाम रोशन करना चाहते है.

निशा और यश सिंह
निशा और यश सिंह

10 देशों के लोगों को टक्कर देकर वर्ल्ड चैंपियनशिप तक
महिला पैरा खिलाड़ी निशा रावत, पुरुष पैरा खिलाड़ी यश सिंह बताते हैं कि उन्होंने 2022 एसीसी पैरा कोनी एशियन पैरा गेम क्वालीफाई कर लिया है. अब आगे की तैयारी वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए है. इसके बाद वर्ल्ड कप और एशियन गेम के लिए तैयारी रहेगी. दोनों खिलाड़ियों ने बताया कि एशियन चैंपियनशिप में 10 देशों ने भाग लिया था. यदि उनको आर्थिक मदद मिलती तो वह और अच्छे से प्रेक्टिस कर गोल्ड भी ला सकते थे.

कोच न होते तो यहां तक न पहुंचते
भोपाल के कोच मयंक ठाकुर व असिस्टेंट कोच अनिल राठी, हेल्पर लालचंद इन तीनों के बदौलत ही यह दोनों खिलाड़ी यहां तक पहुंचे हैं. दोनों खिलाड़ियों ने बताया कि उनके पास व्हीलचेयर तक भी नहीं थी. कोच मयंक ठाकुर ने अपने खर्चे से उनको हर तरीके की मदद की. यहां तक की फॉरेन जाने के लिए निशा रावत को व्हीलचेयर भी उपलब्ध कराई. यूपी सरकार की तरफ से कोई सहायता नहीं मिली.

पैर के ऑपरेशन के दौरान महिला खिलाड़ी से मिली थी प्रेरणा
निशा बताती हैं कि वो बचपन से ही पैरों से नहीं चल सकतीं. बिना सहारे एक कदम नहीं बढ़ा पातीं. उन्हें इसका हमेशा अफसोस रहता था. निशा भी औरों की तरह सपने देखतीं थीं कि वह भी कुछ बने और कुछ करें. 2019 में निशा अपने पिता के साथ पैर का ऑपरेशन करवाने उदयपुर गई थीं. यहां उदयपुर में मध्यप्रदेश के भिंड की पैरा खिलाड़ी पूजा अहूजा से उनकी मुलाकात हुई. उन्होंने निशा को स्पोर्ट्स में आने के लिए कहा. पूजा की बात का निशा पर इतना असर हुआ कि उन्होंने पैर के ऑपरेशन के बाद घर आकर अपने पिता से जिद कर ली कि वह भी गेम्स खेलेंगी. देश का नाम रोशन करेगी. पूजा से प्रेरणा लेते हुए पैरा कैनो कायाकिंग वाटर स्पोर्ट्स में हाथ आजमाया. इसके बाद निशा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

मजबूरी और लाचारी के आगे बार-बार रुक जाते हैं निशा के कदम
निशा बतातीं हैं कि उनके पिता पीआरडी में हैं. प्रतिदिन के हिसाब से उन्हें तनखा मिलती है. उनके पिता की 15,000 रुपये महीने की तनख्वाह हैं. निशा के तीन भाई-बहन हैं. निशा की तैयारियों में ही ₹10,000 खर्च हो जाते हैं. बाकी पैसों से घर का राशन पानी चलता है. निशा को बुरा लगता है कि घर की एक तो आमदनी नहीं और सारा पैसा उसकी तैयारियों में खर्च हो जाता है.

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भाई बहनों के लिए निशा निराश रहती हैं. इस वज़ह से कई बार वह अपने कदम वापस इसलिए खींच लेती है कि उनके घर की आर्थिक स्थिति इतनी सही नहीं है. वहीं दयालबाग के रहने वाले यश सिंह बताते हैं कि वह बचपन से ही अपने ताऊ और ताई के पास रहते हैं. उनकी हर तरीके से मदद करते हैं. यहां जाने के समय जब किसी नेता ने भी व्हीलचेयर के लिए पैसे नहीं दिए तो उनकी ताई जी ने ₹45000 की व्हीलचेयर खरीद कर दी.

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Last Updated : Mar 31, 2022, 9:13 PM IST
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