आगरा: जिले के पिनाहट क्षेत्र में 10 अप्रैल को 64 यात्रियों से भरी डीसीएम इटावा के पास खाई में पलट गई थी, जिसमें 12 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं 52 यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इनमें से कई घायलों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बावजूद इलाज नहीं मिल पा रहा है.
हादसे में मारे गए थे 12 लोग
10 अप्रैल आगरा से एक डीसीएम में सवार होकर 64 लोग इटावा जनपद स्थित लखना वाली माता पर नेजा चढ़ाने जा रहे थे. इसी दौरान श्रद्धालुओं से भरी डीसीएम खाई में जा गिरी, जिसमें 12 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी और तकरीबन 52 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे. मृतकों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से दो- दो लाख रुपये बतौर मुआवजा देने की घोषणा की थी. साथ ही घायलों के बेहतर इलाज के लिए मुख्यमंत्री ने आदेश दिया था. बावजूद इसके घायलों को सही उपचार अभी तक नहीं मिल पाया है.
सीएम के आदेश के बावजूद डॉक्टरों ने इलाज बंद किया
जानकारी के अनुसार, सुरेंद्र सिंह निवासी आम का पुरा, फरेरी थाना बाह भी उसी कैंटर में सवार थे. हादसे में उनकी रीढ़ की हड्डी में काफी चोट आई थी, जिससे वो चलने फिरने में असमर्थ हैं. घटना के दो-चार दिन बाद तक उनका इलाज सैफई मेडिकल कॉलेज में किया गया. जब मामला ठंडा हो गया, मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने उनका इलाज करना बंद कर दिया. इतना ही नहीं, पीड़ित को ये कह कर अस्पताल से बाहर कर दिया गया कि जाओ अब अपना इलाज किसी दूसरे अस्पताल में करवा लो.
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घायल सुरेंद्र सिंह दर-दर की ठोकरें खाते हुए जिला चिकित्सालय आगरा, सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज आगरा समेत अन्य कई सरकारी अस्पतालों में भटका, लेकिन किसी अस्पताल ने उनका उपचार नहीं किया गया. इस संबंध में उन्होंने जिला प्रशासन, विधायक, सांसद से मदद की गुहार लगाई, लेकिन किसी से कोई सहारा नहीं मिला. पीड़ित के परिजनों ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि उन्हें किसी अस्पताल में बेहतर उपचार दिलाया जाए, ताकि वह स्वस्थ हो सके और अपने पैरों पर खड़े होकर अपने परिवार का भरण पोषण कर सके.