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नीरी की अनुमति से रबर डैम बनने का रास्ता साफ, फिर से ताज को छूकर बहेगी यमुना

नेशनल एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (National Environmental Engineering Research Institute) ने ताजमहल के पास नगला पेमा में यमुना पर रबर डैम बनाने की सशर्त अनुमति दी दे है. सोमवार को इस बारे में ताज ट्रिपेजियम जोन (Taj Trapezium Zone) की बैठक में चेयरमैन व आगरा कमिश्नर अमित गुप्ता ने रबर डैम निर्माण की एनओसी जारी की.

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Published : Apr 26, 2022, 10:07 AM IST

आगरा: नेशनल एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (National Environmental Engineering Research Institute) ने ताजमहल के पास नगला पेमा में यमुना पर रबर डैम बनाने की सशर्त अनुमति दी दे है. सोमवार को इस बारे में ताज ट्रिपेजियम जोन (Taj Trapezium Zone) की बैठक में चेयरमैन व आगरा कमिश्नर अमित गुप्ता ने रबर डैम निर्माण की एनओसी जारी की. वहीं, रबर डैम बनाने के मामले को अब स्टेट एक्सपर्ट एप्रेजल कमिटी (सेक) को भेज दिया गया है. इससे एक बार फिर आगे आने वाले दिनों में मोहब्बत की निशानी ताजमहल को छूकर यमुना बहेगी. बताया गया कि रबर डैम के बनने से जहां ताजमहल की नींव मजबूत होगी, वहीं, यहां आने वाले पर्यटकों को दुर्गंध से मुक्ति मिलेगी. साथ ही शहर का भूजल स्तर भी बढ़ेगा.

बता दें कि ताज के पास रबर डैम को बनाने के लिए सिंचाई विभाग को ताज बैराज खंड को केंद्रीय जल आयोग, अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), नीरी और टीटीजेड की एनओसी जरूरत थी. रबर निर्माण के लिए एएसआई, केंद्रीय जल आयोग और अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण ने पहले ही एनओसी दे दी थी. अब नीरी और टीटीजेड ने भी एनओसी दे दी है. जिससे अब ताजमहल से डेढ़ किलोमीटर दूर यमुना के डाउनस्ट्रीम में डैम बनाने का कार्य शुरू होगा.

नीरी ने दी सशर्त अनुमति: आगरा कमिश्नर अमित गुप्ता ने बताया कि नीरी ने रबर डैम निर्माण को सशर्त अनुमति दी है. साथ ही नीरी ने एनवायरमेंट क्लीयरेंस कंप्लायंस रिव्यू कमेटी गठित करने के भी निर्देश दिए हैं. यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी विश्वनाथ शर्मा ने बताया कि नीरी ने रबर डैम बनाने को सशर्त अनुमति दी है. जिसके मुताबिक, 10 से 20 तक प्रदूषण तय किया गया है.

4 सदस्यीय टीम करेगी डैम निर्माण कार्य की निगरानी: बताया गया कि एनवायरमेंट क्लीयरेंस कंप्लायंस रिव्यू कमेटी के सदस्य डैम निर्माण कार्य की निगरानी करेंगे. इस कमेटी में एएसआई, वन एवं पर्यावरण के साथ ही यूपीपीसीबी के अधिकारी भी शामिल होंगे. रबर डैम की ऊंचाई 2.5 मीटर होगी. साथ ही आरसीसी के फाउंडेशन पर रबर इन्फ्लेटेबल वायर लगेंगे. इसके अलावा डैम के पीछे यमुना में 146 मीटर जलस्तर तय किया गया है. इसके लिए ताज पार्श्व में करीब 3.50 लाख क्यूसेक पानी रोका जाएगा.

इसे भी पढ़ें - योगी कैबिनेट की अहम बैठक आज, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर टोल के प्रस्ताव को मिल सकती है मंजूरी

2017 में सीएम योगी ने किया था शिलान्यास: ताजमहल के पास नगला पेमा में रबर डैम की योजना सबसे पहले 2016 में अस्तित्व में आई थी. सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने 350 करोड़ रुपये की लागत से रबर डैम बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था. जिसका शिलान्यास अक्टूबर, 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था. वहीं, 5 साल बाद अब एनओसी मिलने पर इसके निर्माण कार्य को शुरू किया जा रहा है.

ताज के समीप यमुना के दम तोड़ने और आगरा के गिरते भूजल स्तर को लेकर आगरा में बैराज बनाने की मांग उठी थी. दो बार आगरा बैराज का शिलान्यास भी हुआ था. पहली बार 1986-87 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने सिकंदरा के गांव कैलाश के पास मनोहरपुर में आगरा बैराज का का शिलान्यास किया था. तब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से बैराज बनाया जाना था. फिर 1993 में तत्कालीन राज्यपाल रमेश भंडारी ने मनोहरपुर में ही आगरा बैराज निर्माण का नारियल फोड़कर शिलान्यास किया था. खैर, उसके 34 साल बात गए, लेकिन आगरा बैराज नहीं बन सका है. जबकि इस बीच कई मुख्यमंत्री बदल गए.

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आगरा: नेशनल एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (National Environmental Engineering Research Institute) ने ताजमहल के पास नगला पेमा में यमुना पर रबर डैम बनाने की सशर्त अनुमति दी दे है. सोमवार को इस बारे में ताज ट्रिपेजियम जोन (Taj Trapezium Zone) की बैठक में चेयरमैन व आगरा कमिश्नर अमित गुप्ता ने रबर डैम निर्माण की एनओसी जारी की. वहीं, रबर डैम बनाने के मामले को अब स्टेट एक्सपर्ट एप्रेजल कमिटी (सेक) को भेज दिया गया है. इससे एक बार फिर आगे आने वाले दिनों में मोहब्बत की निशानी ताजमहल को छूकर यमुना बहेगी. बताया गया कि रबर डैम के बनने से जहां ताजमहल की नींव मजबूत होगी, वहीं, यहां आने वाले पर्यटकों को दुर्गंध से मुक्ति मिलेगी. साथ ही शहर का भूजल स्तर भी बढ़ेगा.

बता दें कि ताज के पास रबर डैम को बनाने के लिए सिंचाई विभाग को ताज बैराज खंड को केंद्रीय जल आयोग, अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई), नीरी और टीटीजेड की एनओसी जरूरत थी. रबर निर्माण के लिए एएसआई, केंद्रीय जल आयोग और अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण ने पहले ही एनओसी दे दी थी. अब नीरी और टीटीजेड ने भी एनओसी दे दी है. जिससे अब ताजमहल से डेढ़ किलोमीटर दूर यमुना के डाउनस्ट्रीम में डैम बनाने का कार्य शुरू होगा.

नीरी ने दी सशर्त अनुमति: आगरा कमिश्नर अमित गुप्ता ने बताया कि नीरी ने रबर डैम निर्माण को सशर्त अनुमति दी है. साथ ही नीरी ने एनवायरमेंट क्लीयरेंस कंप्लायंस रिव्यू कमेटी गठित करने के भी निर्देश दिए हैं. यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी विश्वनाथ शर्मा ने बताया कि नीरी ने रबर डैम बनाने को सशर्त अनुमति दी है. जिसके मुताबिक, 10 से 20 तक प्रदूषण तय किया गया है.

4 सदस्यीय टीम करेगी डैम निर्माण कार्य की निगरानी: बताया गया कि एनवायरमेंट क्लीयरेंस कंप्लायंस रिव्यू कमेटी के सदस्य डैम निर्माण कार्य की निगरानी करेंगे. इस कमेटी में एएसआई, वन एवं पर्यावरण के साथ ही यूपीपीसीबी के अधिकारी भी शामिल होंगे. रबर डैम की ऊंचाई 2.5 मीटर होगी. साथ ही आरसीसी के फाउंडेशन पर रबर इन्फ्लेटेबल वायर लगेंगे. इसके अलावा डैम के पीछे यमुना में 146 मीटर जलस्तर तय किया गया है. इसके लिए ताज पार्श्व में करीब 3.50 लाख क्यूसेक पानी रोका जाएगा.

इसे भी पढ़ें - योगी कैबिनेट की अहम बैठक आज, पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर टोल के प्रस्ताव को मिल सकती है मंजूरी

2017 में सीएम योगी ने किया था शिलान्यास: ताजमहल के पास नगला पेमा में रबर डैम की योजना सबसे पहले 2016 में अस्तित्व में आई थी. सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने 350 करोड़ रुपये की लागत से रबर डैम बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था. जिसका शिलान्यास अक्टूबर, 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया था. वहीं, 5 साल बाद अब एनओसी मिलने पर इसके निर्माण कार्य को शुरू किया जा रहा है.

ताज के समीप यमुना के दम तोड़ने और आगरा के गिरते भूजल स्तर को लेकर आगरा में बैराज बनाने की मांग उठी थी. दो बार आगरा बैराज का शिलान्यास भी हुआ था. पहली बार 1986-87 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने सिकंदरा के गांव कैलाश के पास मनोहरपुर में आगरा बैराज का का शिलान्यास किया था. तब डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से बैराज बनाया जाना था. फिर 1993 में तत्कालीन राज्यपाल रमेश भंडारी ने मनोहरपुर में ही आगरा बैराज निर्माण का नारियल फोड़कर शिलान्यास किया था. खैर, उसके 34 साल बात गए, लेकिन आगरा बैराज नहीं बन सका है. जबकि इस बीच कई मुख्यमंत्री बदल गए.

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