आगराः उत्तर प्रदेश के पूर्णकालिक मुख्य सचिव के रूप में कार्यभार संभाल रहे 1985 बैच के आईएएस अधिकारी राजेंद्र कुमार तिवारी अपनी पत्नी, बेटी और बेटे के साथ जैतपुर के नदगवां चंबल नदी घाट पर रविवार को पहुंचे. मुख्य सचिव ने अपनी पत्नी बच्चों संग चंबल नदी का सैर किया. यहां जलीय जीवों के साथ चंबल की वादियों का नजारा एवं अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता को देखकर रोमांचित हुए.
गौरतलब है कि चंबल का बीहड़ खूंखार डकैतों के लिए जानी जाती थी. लेकिन समय के साथ धीरे-धीरे चंबल नदी अपनी सुंदरता जलीय जीवों के साथ प्राकृतिक सुंदर नजारे के लिए जानी जाती है. यहां देसी-विदेशी पर्यटक चंबल नदी का प्राकृतिक नजारे को देखने के लिए पहुंचते हैं. इसी कड़ी में मुख्य सचिव ने अपने परिवार के साथ यहां पहुंचकर वन विभाग की मोटर बोट से चंबल नदी की वादियों का नजारा देखा. इसके साथ ही चंबल नदी सेंचुरी में विश्व का प्राय: दुर्लभ प्रजाति घड़ियाल, मगरमच्छ सहित निम्न प्रकार के कछुआ, जलीय जीवो को देखकर रोमांचित हो उठे. मुख्य सचिव और उनकी पत्नी और बेटी ने चंबल नदी की सुंदर प्राकृतिक वादियों और जीव-जंतुओं सहित पंछियों को अपने कैमरे में कैद किया.
मुख्य सचिव ने अपने परिवार के साथ चंबल नदी क्षेत्र में काफी समय व्यतीत किया. चंबल नदी क्षेत्र का भ्रमण करने के बाद मुख्य सचिव परिवार के साथ क्षेत्र के बाह स्थित चंबल सफारी लॉज जरार लंच के लिए वापस चले गए. इस दौरान चंबल सेंचुरी के रेंजर आरके सिंह राठौर एवं वन कर्मियों द्वारा व्यवस्थाएं की गई. इस दौरान वन कर्मचारी एवं पुलिसकर्मी मौजूद रहे.
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उल्लेखनीय है कि चंबल नदी विश्व में खूंखार डकैतों के लिए जानी जाती थी. लेकिन अब धीरे-धीरे चंबल नदी जलीय जीव और मगरमच्छ संरक्षण के लिए जानी जाती है. सर्दियों के दिनों में यहां दुर्लभ पक्षियों को भी देखा जा सकता है. देश-विदेश से आगरा के ताज का दीदार करने आने वाले पर्यटक चंबल का नजारा देखने के लिए भी पहुंचते हैं. यहां बोटिंग का लुफ्त उठाने के साथ-साथ विदेशी घड़ियाल और पक्षियों को अपने कैमरों में कैद करते हैं.