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आगरा: सपेरों की बस्ती में 'शिक्षा' की बीन

उत्तर प्रदेश के आगरा में सपेरों की एक बस्ती है. यहां शिक्षा कोसों दूर की बात है. इस बस्ती का एक युवा अपनी जाति के बच्चों को पढ़ाने के लिए आगे आया है.

सपेरों की बस्ती में 'शिक्षा' की बीन
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Published : Aug 10, 2019, 6:38 AM IST

Updated : Aug 13, 2019, 11:46 PM IST

आगरा: ताजनगरी के जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर स्थित शमशाबाद ब्लॉक में सपेरों की बस्ती है. इस बस्ती की आबादी दो हजार है. इस बस्ती के लोग गांवों में बीन बजाकर और सांपों का खेल दिखा करके अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं. वहीं बीन की धुन पर रोजी-रोटी कमाने वाले सपेरे जाति के बच्चों की जिंदगी संवारने का बीड़ा एक युवा ने उठाया है. इससे सपेरों की दुनिया में शिक्षा की बीन बजने लगी है.

सपेरों की बस्ती में 'शिक्षा' की बीन

इस बस्ती में अब हर घर में 'ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार', 'जॉनी जॉनी यस पापा', 'मछली जल की रानी है', जैसी तमाम कविताओं को बच्चे गाते मिल जाएंगे. ये सब बस्ती के युवा पवन की जिद से हो रहा है. पवन खुद ग्रेजुएशन करने के साथ ही बस्ती में शिक्षा की ज्योति जलाने के लिए पाठशाला लगाता है. वह बस्ती के बच्चों को सांप, नेवला और बीन से गिनती, जोड़ना और घटाना सिखाता है.

छात्रों ने सुनाईं अपनी दास्तां
छात्रा आरती ने बताया कि उसके दो भाई हैं. पिताजी बीन बजाते हैं और सांप का खेल दिखाते हैं. इसमें जो कमाई होती है, उससे हम लोगों की फीस जमा करते हैं और परिवार का खर्च चलता है. साथ ही ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार पोयम सुनाई.

दूसरे छात्र कपिल ने बाताया कि वह तीन भाई-बहन हैं. सभी पढ़ाई कर रहे हैं. पिताजी बीन बजाते हैं. और सांप का खेल दिखाते हैं.

तीसरे छात्र सौरव ने हिंदी के साथ ही अंग्रेजी की 'गुड मोर्निंग टू यू, हैलो मम्मी हैलो पापा आई लव यू'. यह पोयम सुनाई.

अब हमारे पुश्तैनी काम में गुजारा नहीं होता है. पढ़ने और लिखने से बच्चों का भविष्य बनेगा.
-ताहर सिंह, सपेरा

मेरी शुरू से पढ़ने की चाह ज्यादा थी. मैंने देखा कि अब आगे बीन बजाकर और सांप का खेल दिखाकर गुजर करना मुश्किल है. मैं ग्रेजुएशन कर रहा हूं. इसलिए मैंने सोचा कि बस्ती के बच्चों को पढ़ाऊं. गांव से पांच किलोमीटर दूर स्कूल है. इसीलिए मैंने इन बच्चों को पढ़ाने के लिए पहल की है. अब बच्चों को बीन बजाना और सांप का खेल दिखाना नहीं सिखाना चाहते हैं.

-पवन, सपेरा

आगरा: ताजनगरी के जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर स्थित शमशाबाद ब्लॉक में सपेरों की बस्ती है. इस बस्ती की आबादी दो हजार है. इस बस्ती के लोग गांवों में बीन बजाकर और सांपों का खेल दिखा करके अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं. वहीं बीन की धुन पर रोजी-रोटी कमाने वाले सपेरे जाति के बच्चों की जिंदगी संवारने का बीड़ा एक युवा ने उठाया है. इससे सपेरों की दुनिया में शिक्षा की बीन बजने लगी है.

सपेरों की बस्ती में 'शिक्षा' की बीन

इस बस्ती में अब हर घर में 'ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार', 'जॉनी जॉनी यस पापा', 'मछली जल की रानी है', जैसी तमाम कविताओं को बच्चे गाते मिल जाएंगे. ये सब बस्ती के युवा पवन की जिद से हो रहा है. पवन खुद ग्रेजुएशन करने के साथ ही बस्ती में शिक्षा की ज्योति जलाने के लिए पाठशाला लगाता है. वह बस्ती के बच्चों को सांप, नेवला और बीन से गिनती, जोड़ना और घटाना सिखाता है.

छात्रों ने सुनाईं अपनी दास्तां
छात्रा आरती ने बताया कि उसके दो भाई हैं. पिताजी बीन बजाते हैं और सांप का खेल दिखाते हैं. इसमें जो कमाई होती है, उससे हम लोगों की फीस जमा करते हैं और परिवार का खर्च चलता है. साथ ही ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार पोयम सुनाई.

दूसरे छात्र कपिल ने बाताया कि वह तीन भाई-बहन हैं. सभी पढ़ाई कर रहे हैं. पिताजी बीन बजाते हैं. और सांप का खेल दिखाते हैं.

तीसरे छात्र सौरव ने हिंदी के साथ ही अंग्रेजी की 'गुड मोर्निंग टू यू, हैलो मम्मी हैलो पापा आई लव यू'. यह पोयम सुनाई.

अब हमारे पुश्तैनी काम में गुजारा नहीं होता है. पढ़ने और लिखने से बच्चों का भविष्य बनेगा.
-ताहर सिंह, सपेरा

मेरी शुरू से पढ़ने की चाह ज्यादा थी. मैंने देखा कि अब आगे बीन बजाकर और सांप का खेल दिखाकर गुजर करना मुश्किल है. मैं ग्रेजुएशन कर रहा हूं. इसलिए मैंने सोचा कि बस्ती के बच्चों को पढ़ाऊं. गांव से पांच किलोमीटर दूर स्कूल है. इसीलिए मैंने इन बच्चों को पढ़ाने के लिए पहल की है. अब बच्चों को बीन बजाना और सांप का खेल दिखाना नहीं सिखाना चाहते हैं.

-पवन, सपेरा

Intro:नाग पंचमी स्पेशल....
श्री विश्वनाथ सर जी से डेस्क पर स्पेशल पैकेज बनाने की अनुमति मिली है. इसलिए विजुअल, बाइट और पीटीसी भेजी है.

आगरा.
गाँव की गंदी गलियां. झोंपड़ियां, कच्चे और पक्के घर. हर घर में बजती बीन की धुन. पिटारे और डिब्बे से फुंकार भरते सांप. जहरीले सांपों के साथ खेलते और अठखेलियां करते मासूम बच्चे. बच्चे और बड़ों की मानों खतरों से खेलने आदत है. इस बस्ती में जानी दुश्मन खतरनाक सांप और नेवला एक ही आंगन में रहते हैं. मगर, बीन की धुन पर रोजी-रोटी कमाने वाले सपेरे जाति के बच्चों की जिंदगी संवारने का बीड़ा एक युवा ने उठाया है. अब सपेरों की बस्ती में 'शिक्षा' की बीम बजने लगी है. जहां बस्ती में बीन की धुन सुनाई देती है. तो दूसरी हकीकत यह भी है कि,अब हर घर के बच्चे 'ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार'...।
'जॉनी जॉनी यस पापा...'। 'मछली जल की रानी है'....। 'मेरी मां प्यारी मां' ....। 'गुड़ मोर्निंग..गुड़ मोर्निंग ...'। जैसी तमाम कविताएं गाते मिल जाएंगे. यह सब बस्ती के युवा पवन की जिद से हो रहा है. पवन खुद ग्रेजुएशन करने के साथ ही बस्ती में शिक्षा की ज्योत जलाने के लिए पाठशाला लगाता है. वह बस्ती के बच्चों को जहां सांप, नेवला और बीन से गिनती, जोड़ना और घटाना सिखाता है.



Body:आगरा जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर स्थित शमशाबाद ब्लॉक की सपेरों की बस्ती सोवरन का पुरा में यह नजारा देखा जा सकका है. बस्ती की आबादी दो हजार की है. जिसमें 400 वोटर हैं. हर घर में जहरीला और खतरनाक सांप विकारों में रहते हैं. यहां के लोग गांव गांव जाकर बीन बजाकर और सांपों का खेल दिखा करके अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं.
छठवीं क्लास में पढ़ने वाली आरती का कहना है कि, मैं और मेरे दो भाई हैं. पिताजी बीन बजाते हैं. और सांप का खेल दिखाते हैं. इसमें जो कमाई होती है. उससे हम लोगों की फीस जमा करते हैं और परिवार का खर्च चलता है. आरती ने ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार पोयम सुनाई.
चौथी क्लास में पढ़ने वाले सचिन का कहना है कि, स्कूल के साथ ही बस्ती में लगने वाली पाठशाला में पढ़ाई करता है. सचिन ने जॉनी जॉनी यस पापा पोयम सुनाई.
कक्षा एक में पढ़ने वाले कपिल का कहना है कि, हम तीन भाई बहन हैं. सभी पढ़ाई कर रहे हैं. पिताजी बीन बजाते हैं. और सांप का खेल दिखाते हैं. कपिल ने मछली जल की रानी है जीवन उसका पानी है यह हिंदी की कविता सुनाई.
कक्षा एक में पढ़ने वाले सौरव ने हिंदी के साथ ही अंग्रेजी की 'गुड़ मोर्निंग गुड़ मोर्निंग गुड़ मोर्निंग टू यू, हैलो मम्मी हैलो पापा आई लव यू'. यह पोइम सुनाई.
चौथी क्लास में पढ़ने वाले अभिषेक ने बताया कि स्कूल में पढ़ाई के साथ ही वह बस्ती में लगने वाली पाठशाला में भी पढ़ता है. उसे यहां पढ़ाई बहुत सरल लगती है.
चौथी क्लास में पढ़ने वाले जतिन का कहना है कि, गांव में पवन भैया की जो पाठशाला लगती है. उसमें 30 बच्चे पढ़ते हैं. पवन भैया सही पढ़ाते हैं. हमें उनकी पढ़ाई समझ में आती है.
बस्ती में पाठशाला लगाने वाले पवन का कहना है कि मेरी पढ़ने की चाह ज्यादा थी. मैंने देखा कि, अब आगे बीन बजाकर और सांप का खेल दिखाकर गुजर करना मुश्किल है. मैं ग्रेजुएशन कर रहा हूं. इसलिए मैंने सोचा कि, बस्ती के बच्चों की पढ़ाऊं. गांव से 5 किलोमीटर दूर स्कूल है. इसलिए कुछ बच्चे स्कूल जाते हैं और कुछ नहीं जाते हैं. स्कूल में भी बच्चों के साथ भेदभाव होता है. इसलिए कुछ बच्चे बीच में ही स्कूल छोड़ देते हैं. इसीलिए मैंने इन बच्चों को पढ़ाने के लिए एक पहल की. जिससे बस्ती के बच्चे पढ़ सकें. अभी तक जो हमारे सपेरा समुदाय के लोग करते आए हैं. ऐसा इन बच्चों को न करना पड़े. वे पढ़ें और कुछ बन सकें. इसलिए बस्ती में नि:शुल्क पाठशाला लगाना शुरू कर दिया. मैं उन्हें उनके ही तरीके से पढ़ाता हूं. गिनती, जोड़ और घटाने को पढ़ाने और सिखाने के लिए सांप और बीन का सहारा लेता हूं.

ताहर सिंह सपेरा का कहना है कि, हम बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं. उन्हें अब बीन बजाना और सांप का खेल दिखाना नहीं सिखाना चाहते हैं. हम चाहते हैं कि हमारी बस्ती के पास कोई स्कूल आ जाए. अब हमारे पुश्तैनी काम में गुजारा नहीं होता है. पढ़ने और लिखने से बच्चों का भविष्य बनेगा.




Conclusion:पवन सपेरा की पाठशाला में 30 बच्चे पढ़ते हैं. खतरनाक सांप से खेलने वाले बच्चों ने बीन की जगह अब हाथों में कलम और किताब थाम ली है. इसलिए अब हर घर के बच्चे 'ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार'...। 'जॉनी जॉनी यस पापा...'। 'मछली जल की रानी है'....। 'मेरी मां प्यारी मां' ....। 'गुड़ मोर्निंग..गुड़ मोर्निंग ...'। जैसी तमाम कविताएं गाते मिल जाएंगे.
.......
सभी की बाइट रीनेम करके भेजी हैं.
आरती , छात्रा (छठवीं क्लास)।
सचिन, छात्र (चौथी क्लास)।
कपिल , छात्र (पहली क्लास)।
सौरव, छात्र( पहली क्लास)।
अभिषेक, छात्र (चौथी क्लास)।
जतिन , छात्र (चौथी क्लास)।
पवन सपेरा, शिक्षक (ग्रेजुएशन)।
ताहर सिंह सपेरा, ग्रामीण।
कुछ जरूरी विजुअल wrap से इसी स्लग और हैडिंग से भेजे हैं.
.......
श्यामवीर सिंह
आगरा
8387893357
Last Updated : Aug 13, 2019, 11:46 PM IST

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