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जहां अटल जी ने फूंका था आजादी का बिगुल, आज भी वीरान है वह 'जंगलात कोठी' - आगरा समाचार

योगी सरकार के दावों से पहले पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का पैतृक गांव बटेश्वर जैसा था, आज भी वैसा ही है. जमींदोज हो चुका पैतृक आवास, खंडहर हो चुकी जंगलात कोठी, टूटी सड़कें, जर्जर हो चुके मंदिर. ऐसे में बटेश्वर सरकार से सिर्फ यही पूछ रहा है कि अस्थि कलश के साथ दावों, वादों और घोषणाओं का भी यमुना में विसर्जन कर दिया क्या.

बटेश्वर में बहदाल जंगलात कोठी.
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Published : Aug 16, 2019, 1:47 PM IST

Updated : Aug 16, 2019, 2:11 PM IST

आगरा: पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की आज पहली पुण्यतिथि है. आज से ठीक एक साल पहले 16 अगस्त को वह दुनिया से चले गए, लेकिन उनकी मौजूदगी आज भी इस देश का जर्रा-जर्रा महसूस कर रहा है. अटल जी का उनके पैतृक गांव बटेश्वर से खास नाता रहा है. यहीं पर किशोरावस्था में अटल जी ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. आज खंडहर हो चुकी जंगलात कोठी पर अटल जी ने क्रांतिकारियों संग धावा बोला था. यहां तिरंगा फहराया और खुद को आजाद घोषित किया था.

देखें वीडियो.

आपकों बता दें कि अटल जी जब 17 साल के थे, तब अगस्त क्रांति में अपने पैतृक गांव बटेश्वर में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. उनकी आजादी की लड़ाई की निशानी जंगलात की कोठी अभी भी बटेश्वर में मौजूद है. वह बदहाल और उपेक्षित है. वादों और घोषणाओं के बाद भी जंगलात की कोठी का जीर्णोद्धार नहीं हुआ. ऐसे में बटेश्वर सरकार से सिर्फ यही पूछ रहा है कि अस्थि कलश के साथ दावों, वादों और घोषणाओं का भी यमुना में विसर्जन कर दिया क्या ?

अग्रेजी हुकूमत के खिलाफ खोला था मोर्चा
बात अगस्त 1942 की है, जब देश में अगस्त क्रांति की ज्वाला भड़की थी. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' के नारे की आवाज चारों ओर गूंज उठी थी. आजादी के दीवानों की गांव-गांव टोलियां बन गई थी. इनमें अटल जी भी शामिल थे. छोटी उम्र में अटल जी आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए. बटेश्वर में भी आजादी के दीवाने एक साथ अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ खड़े हो गए. क्रांतिकारियों ने आजादी का बिगुल फूंका तो अटल जी भी पीछे नहीं रहे.

किशोरावस्था में अटल जी गए थे जेल
अटल जी ने बटेश्वर में क्रांतिकारियों के साथ आजादी का झंडा थामा और जंगलात की कोठी पर धावा बोल दिया. जंगलात की कोठी में तोड़फोड़ और आगजनी की गई. अग्रेंजी हकूमत ने क्रांतिकारियों को पकड़ने के लिए धरपकड़ शुरू की. क्रांतिकारी पकड़े गए और जेल भी गए. अटल जी किशोर थे, वह जेल भी गए, लेकिन बाद में उन्हें बरी कर दिया गया.

जंगलात कोठी में लोग बांधते हैं पशु
बटेश्वर में क्रांतिकारियों की याद दिलाने वाली जंगलात की कोठी अभी भी है, लेकिन वह बदहाल है. अटल जी के निधन के बाद प्रदेश सरकार ने बटेश्वर में विकास की गंगा बहाने का वादा किया था. करोड़ों रुपये का बजट भी घोषित किया, लेकिन हकीकत इससे उलट है. सीएम योगी ने अटल जी के निधन के बाद बटेश्वर में विकास कार्य कराने के लिए एक करोड़ रुपए का बजट घोषित किया. इस बजट में जंगलात की कोठी का जीर्णोद्धार होना था, लेकिन अभी भी जंगलात की कोठी बदहाल पड़ी है. उसमें लोग अपने पशुओं को बांधते हैं. जंगलात की कोठी के रास्ते पर भी अतिक्रमण हो गया है. लगातार जमीन पर अतिक्रमण हो रहा है, लेकिन अधिकारियों का इस ओर ध्यान नहीं है.

25 दिसंबर 1924 को हुआ था अटल जी का जन्म
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर सन 1924 को पंडित कृष्ण बिहारी के घर में हुआ. उनके तीन बड़े भाई अवध बिहारी वाजपेयी, सदा बिहारी वाजपेयी, प्रेम बिहारी वाजपेयी और साथ ही तीन बहनें विमला, कमला और उर्मिला थीं. भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार प्रधानमंत्री बने. पहली बार 16 मई 1996 में उन्होंने प्रधानमंत्री की शपथ ली थी. दूसरी बार 19 मार्च 1998 को प्रधानमंत्री बने और तीसरी बार 13 अक्टूबर 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री की शपथ ली थी. वह भारत के विदेश मंत्री भी रहे. 16 अगस्त 2018 को अपनी यादों के साथ वह दुनिया छोड़कर चले गए.

आगरा: पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की आज पहली पुण्यतिथि है. आज से ठीक एक साल पहले 16 अगस्त को वह दुनिया से चले गए, लेकिन उनकी मौजूदगी आज भी इस देश का जर्रा-जर्रा महसूस कर रहा है. अटल जी का उनके पैतृक गांव बटेश्वर से खास नाता रहा है. यहीं पर किशोरावस्था में अटल जी ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. आज खंडहर हो चुकी जंगलात कोठी पर अटल जी ने क्रांतिकारियों संग धावा बोला था. यहां तिरंगा फहराया और खुद को आजाद घोषित किया था.

देखें वीडियो.

आपकों बता दें कि अटल जी जब 17 साल के थे, तब अगस्त क्रांति में अपने पैतृक गांव बटेश्वर में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. उनकी आजादी की लड़ाई की निशानी जंगलात की कोठी अभी भी बटेश्वर में मौजूद है. वह बदहाल और उपेक्षित है. वादों और घोषणाओं के बाद भी जंगलात की कोठी का जीर्णोद्धार नहीं हुआ. ऐसे में बटेश्वर सरकार से सिर्फ यही पूछ रहा है कि अस्थि कलश के साथ दावों, वादों और घोषणाओं का भी यमुना में विसर्जन कर दिया क्या ?

अग्रेजी हुकूमत के खिलाफ खोला था मोर्चा
बात अगस्त 1942 की है, जब देश में अगस्त क्रांति की ज्वाला भड़की थी. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' के नारे की आवाज चारों ओर गूंज उठी थी. आजादी के दीवानों की गांव-गांव टोलियां बन गई थी. इनमें अटल जी भी शामिल थे. छोटी उम्र में अटल जी आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए. बटेश्वर में भी आजादी के दीवाने एक साथ अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ खड़े हो गए. क्रांतिकारियों ने आजादी का बिगुल फूंका तो अटल जी भी पीछे नहीं रहे.

किशोरावस्था में अटल जी गए थे जेल
अटल जी ने बटेश्वर में क्रांतिकारियों के साथ आजादी का झंडा थामा और जंगलात की कोठी पर धावा बोल दिया. जंगलात की कोठी में तोड़फोड़ और आगजनी की गई. अग्रेंजी हकूमत ने क्रांतिकारियों को पकड़ने के लिए धरपकड़ शुरू की. क्रांतिकारी पकड़े गए और जेल भी गए. अटल जी किशोर थे, वह जेल भी गए, लेकिन बाद में उन्हें बरी कर दिया गया.

जंगलात कोठी में लोग बांधते हैं पशु
बटेश्वर में क्रांतिकारियों की याद दिलाने वाली जंगलात की कोठी अभी भी है, लेकिन वह बदहाल है. अटल जी के निधन के बाद प्रदेश सरकार ने बटेश्वर में विकास की गंगा बहाने का वादा किया था. करोड़ों रुपये का बजट भी घोषित किया, लेकिन हकीकत इससे उलट है. सीएम योगी ने अटल जी के निधन के बाद बटेश्वर में विकास कार्य कराने के लिए एक करोड़ रुपए का बजट घोषित किया. इस बजट में जंगलात की कोठी का जीर्णोद्धार होना था, लेकिन अभी भी जंगलात की कोठी बदहाल पड़ी है. उसमें लोग अपने पशुओं को बांधते हैं. जंगलात की कोठी के रास्ते पर भी अतिक्रमण हो गया है. लगातार जमीन पर अतिक्रमण हो रहा है, लेकिन अधिकारियों का इस ओर ध्यान नहीं है.

25 दिसंबर 1924 को हुआ था अटल जी का जन्म
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर सन 1924 को पंडित कृष्ण बिहारी के घर में हुआ. उनके तीन बड़े भाई अवध बिहारी वाजपेयी, सदा बिहारी वाजपेयी, प्रेम बिहारी वाजपेयी और साथ ही तीन बहनें विमला, कमला और उर्मिला थीं. भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी तीन बार प्रधानमंत्री बने. पहली बार 16 मई 1996 में उन्होंने प्रधानमंत्री की शपथ ली थी. दूसरी बार 19 मार्च 1998 को प्रधानमंत्री बने और तीसरी बार 13 अक्टूबर 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री की शपथ ली थी. वह भारत के विदेश मंत्री भी रहे. 16 अगस्त 2018 को अपनी यादों के साथ वह दुनिया छोड़कर चले गए.

Intro:अटल जी की पुण्यतिथि विशेष....
सर श्री शैलेंद्र जी और सर श्री विश्वनाथ जी के निर्देशानुसार खबर भेजी है. इस खबर में अटल जी के फोटोज, वीडियो और भाषण का उपयोग करके बेहतर बनाया जा सकता है.

आगरा.
अगस्त 1942. जब देश में भड़की थी अगस्त क्रांति की ज्वाला. गांधी जी के अंग्रेजों भारत छोड़ो नारा की चारों ओर गूंज उठी थी. आजादी के दीवानों की गांव-गांव टोलियां बन गई थी. इनमें पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई भी शामिल थे. तब उनकी उम्र महज 17 साल थी. छोटी उम्र में अटल जी आजादी की लड़ाई में शामिल हुए.उनके पैतृक गांव बटेश्वर में सन 1942 में जब आजादी के दीवाने एक साथ अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ खड़े हो गए. क्रांतिकारियों ने आजादी का बिगुल फूंका तो इसमें अटल जी भी पीछे नहीं रहे. अटल ने बटेश्वर में क्रांतिकारियों के साथ आजादी का झंडा थामा और जंगलात की कोठी पर धावा बोला था. जंगलात की कोठी में तोड़फोड़ और आगजनी की गई. गोरी हकूमत ने क्रांतिकारियों को पकड़ने के लिए धरपकड़ शुरू की कई क्रांतिकारी पकड़े गए और जेल भी गए. मगर अटल जी किशोर थे, वह जेल भी गए, लेकिन बाद में उन्हें बरी कर दिया गया. बटेश्वर में क्रांतिकारियों की याद दिलाने वाली जंगलात की कोठी अभी भी है. लेकिन वह बदहाल है. पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई के निधन के बाद प्रदेश सरकार ने बटेश्वर में विकास की गंगा बहाने का वादा किया था. करोड़ों रुपए का बजट भी घोषित किया गया, मगर हकीकत उलट है.


Body:16 अगस्त 2019 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की प्रथम पुण्यतिथि है.सीएम योगी ने अटल जी के निधन के बाद बटेश्वर में विकास कार्य कराने के लिए एक करोड़ रुपए का बजट घोषित किया. इस बजट में जंगलात की कोठी का जीर्णोद्धार होना था, लेकिन अभी भी जंगलात की कोठी बदहाल पड़ी है. उसमें लोग अपने पशुओं को बांधते हैं. जंगलात की कोठी के रास्ते पर भी अतिक्रमण हो गया है. लगातार जमीन पर अतिक्रमण हो रहा है. मगर अधिकारियों का इस ओर ध्यान नहीं है.

25 दिसंबर 1925 को हुआ था जन्म
अटल बिहारी वाजपेई का जन्म 25 दिसंबर सन 1925 को पंडित कृष्ण बिहारी के घर में हुआ. उनके तीन बड़े भाई अवध बिहारी वाजपेयी, सदा बिहारी वाजपेयी, प्रेम बिहारी और वाजपेयी के साथ ही तीन बहनें विमला, कमला और उर्मिला थीं. भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई तीन बार प्रधानमंत्री बने. पहली बार 16 मई 1996 में उन्होंने प्रधानमंत्री की शपथ ली थी. दूसरी बार 19 मार्च 1998 को प्रधानमंत्री बने और तीसरी बार 13 अक्टूबर 1999 में अटल बिहारी वाजपेई जी ने प्रधानमंत्री की शपथ ली थी. वह भारत के विदेश मंत्री भी रहे और 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया.


Conclusion:पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई जब 17 साल के थे. तब अगस्त क्रांति में अपने पैतृक गांव बटेश्वर में फिरंगी हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद की थी. उनकी आजादी की लड़ाई की निशानी जंगलात की कोठी अभी भी बटेश्वर में मौजूद है. वह बदहाल है. उपेक्षित है. वायदा और घोषणा के बाद भी अभी तक जंगलात की कोठी का जीर्णोद्धार नहीं हुआ है.

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पहली बाइट संजय यादव, बटेश्वर (आगरा)।
दूसरी बाइट रामबेटी , बटेश्वर (आगरा)।
तीसरी बाइट रिटायर्ड शिक्षक रमेशचंद्र वाजपाई, अटल जी के भतीजे।

सभी के रीनेम करके बाइट भेजी है।
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श्यामवीर सिंह
आगरा
8387893357
Last Updated : Aug 16, 2019, 2:11 PM IST
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