आगराः मुगल बादशाह अकबर ने अपने शासन काल में अपनी राजधानी आगरा से फतेहपुर सीकरी बनाई थी. अकबर काल में अनूप तालाब मनोरंजन का केंद्र था, जहां इसी अनूप तालाब के चबूतरा पर बैठकर स्वर लहरियों की प्रस्तुति देते थे. दो दशक पहले ताज महोत्सव के कार्यक्रम के तहत फतेहपुर सीकरी के किले में अनूप तालाब पर तानसेन के चबूतरा पर भीमसेन जोशी ने मंत्रमुग्ध किया था.
उन्होंने संगीत की स्वर लहरियां गुंजायमान की थीं. एक दशक पहले बडाली बंधुओं ने चबूतरा पर सोफिया संगीत से लोगों को दिल को जीत था. उसके बाद से यहां पर कोई कार्यक्रम नहीं हुआ है. सैकड़ों टूरिस्ट फतेहपुर सीकरी में प्रतिदिन भ्रमण करने के लिए आते हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग अब उस अनूप तालाब को सहेजने की योजना बना चुका है.
महामुकाबले में तानसेन ने अपना प्रसिद्ध राग दीपक गाना शुरू किया, कुछ ही देर बाद संगीत की शक्ति से दीपक जलने लगे. इसके बाद बैजू बावरा और ताना दीदी ने मेघ मल्हार राग गाया. इसके बाद आसमान में काली काली घटाएं घिर आईं और बारिश होने लगी, जिससे दीपक बुझ गया. इसमें मुकाबले में बैजू बावरा को विजयी घोषित किया गया.
संरक्षण पर जोर, बेरीकेट्स लगाएंगे
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि अनूप तालाब की गहराई अधिक है. यह तालाब 15 से 16 फीट गहरा है. हम तालाब की सिल्टिंग कर रहे हैं. उसे खाली करके मरम्मत काम करेंगे. हमें यह भी सबूत मिले हैं कि अनूप तालाब के चारों ओर लकड़ी की रेलिंग लगी थी, इसलिए अनूप तालाब के चारों ओर रेलिंग लगाएंगे. टूरिस्ट तालाब के करीब पहुंच जाते हैं, रेलिंग लगाने से किसी भी हादसे की संभावना को भी खत्म किया जा सकेगा.