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अनूप तालाब पर हुआ था मुगलकाल में स्वर लहरियों का महामुकाबला, एएसआई करेगा संरक्षण - अकबरनामा में अनूप तालाब का जिक्र

16वीं सदी का दौर मुगल बादशाहों का था. उनके नवरत्नों मेंं से एक तानसेन संगीत सम्राट थे. आज हम बताएगे ऐसे तालाब के बारे में जहां संगीत लहरियों की तान छेड़ते थे, उस समय यह अकबर के मनोरंजन का केन्द्र था, जिसको एएसआई अब संरक्षण प्रदान करेगा.

अनूप तालाब
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Published : Oct 22, 2019, 5:48 PM IST

आगराः मुगल बादशाह अकबर ने अपने शासन काल में अपनी राजधानी आगरा से फतेहपुर सीकरी बनाई थी. अकबर काल में अनूप तालाब मनोरंजन का केंद्र था, जहां इसी अनूप तालाब के चबूतरा पर बैठकर स्वर लहरियों की प्रस्तुति देते थे. दो दशक पहले ताज महोत्सव के कार्यक्रम के तहत फतेहपुर सीकरी के किले में अनूप तालाब पर तानसेन के चबूतरा पर भीमसेन जोशी ने मंत्रमुग्ध किया था.

उन्होंने संगीत की स्वर लहरियां गुंजायमान की थीं. एक दशक पहले बडाली बंधुओं ने चबूतरा पर सोफिया संगीत से लोगों को दिल को जीत था. उसके बाद से यहां पर कोई कार्यक्रम नहीं हुआ है. सैकड़ों टूरिस्ट फतेहपुर सीकरी में प्रतिदिन भ्रमण करने के लिए आते हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग अब उस अनूप तालाब को सहेजने की योजना बना चुका है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.
जब संगीत से जले दीपक, राग मेघ मल्हार से हुई बारिश
एएसआई के गाइड गोपाल प्रसाद ने बताया कि अनूप तालाब के चबूतरा पर ही संगीत के सम्राट तानसेन और पंडित बैजनाथ मिश्र 'बैजू बावरा' के मध्य संगीत का महा मुकाबला हुआ था. इस महामुकाबले का जिक्र 'अकबरनामा' में है. बादशाह अकबर अनूप तालाब के दाईं ओर बने पोर्च में बैठते थे. वहीं दूसरी ओर बादशाह की बेगम बैठती थीं.

महामुकाबले में तानसेन ने अपना प्रसिद्ध राग दीपक गाना शुरू किया, कुछ ही देर बाद संगीत की शक्ति से दीपक जलने लगे. इसके बाद बैजू बावरा और ताना दीदी ने मेघ मल्हार राग गाया. इसके बाद आसमान में काली काली घटाएं घिर आईं और बारिश होने लगी, जिससे दीपक बुझ गया. इसमें मुकाबले में बैजू बावरा को विजयी घोषित किया गया.

संरक्षण पर जोर, बेरीकेट्स लगाएंगे
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि अनूप तालाब की गहराई अधिक है. यह तालाब 15 से 16 फीट गहरा है. हम तालाब की सिल्टिंग कर रहे हैं. उसे खाली करके मरम्मत काम करेंगे. हमें यह भी सबूत मिले हैं कि अनूप तालाब के चारों ओर लकड़ी की रेलिंग लगी थी, इसलिए अनूप तालाब के चारों ओर रेलिंग लगाएंगे. टूरिस्ट तालाब के करीब पहुंच जाते हैं, रेलिंग लगाने से किसी भी हादसे की संभावना को भी खत्म किया जा सकेगा.

आगराः मुगल बादशाह अकबर ने अपने शासन काल में अपनी राजधानी आगरा से फतेहपुर सीकरी बनाई थी. अकबर काल में अनूप तालाब मनोरंजन का केंद्र था, जहां इसी अनूप तालाब के चबूतरा पर बैठकर स्वर लहरियों की प्रस्तुति देते थे. दो दशक पहले ताज महोत्सव के कार्यक्रम के तहत फतेहपुर सीकरी के किले में अनूप तालाब पर तानसेन के चबूतरा पर भीमसेन जोशी ने मंत्रमुग्ध किया था.

उन्होंने संगीत की स्वर लहरियां गुंजायमान की थीं. एक दशक पहले बडाली बंधुओं ने चबूतरा पर सोफिया संगीत से लोगों को दिल को जीत था. उसके बाद से यहां पर कोई कार्यक्रम नहीं हुआ है. सैकड़ों टूरिस्ट फतेहपुर सीकरी में प्रतिदिन भ्रमण करने के लिए आते हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग अब उस अनूप तालाब को सहेजने की योजना बना चुका है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट.
जब संगीत से जले दीपक, राग मेघ मल्हार से हुई बारिश
एएसआई के गाइड गोपाल प्रसाद ने बताया कि अनूप तालाब के चबूतरा पर ही संगीत के सम्राट तानसेन और पंडित बैजनाथ मिश्र 'बैजू बावरा' के मध्य संगीत का महा मुकाबला हुआ था. इस महामुकाबले का जिक्र 'अकबरनामा' में है. बादशाह अकबर अनूप तालाब के दाईं ओर बने पोर्च में बैठते थे. वहीं दूसरी ओर बादशाह की बेगम बैठती थीं.

महामुकाबले में तानसेन ने अपना प्रसिद्ध राग दीपक गाना शुरू किया, कुछ ही देर बाद संगीत की शक्ति से दीपक जलने लगे. इसके बाद बैजू बावरा और ताना दीदी ने मेघ मल्हार राग गाया. इसके बाद आसमान में काली काली घटाएं घिर आईं और बारिश होने लगी, जिससे दीपक बुझ गया. इसमें मुकाबले में बैजू बावरा को विजयी घोषित किया गया.

संरक्षण पर जोर, बेरीकेट्स लगाएंगे
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि अनूप तालाब की गहराई अधिक है. यह तालाब 15 से 16 फीट गहरा है. हम तालाब की सिल्टिंग कर रहे हैं. उसे खाली करके मरम्मत काम करेंगे. हमें यह भी सबूत मिले हैं कि अनूप तालाब के चारों ओर लकड़ी की रेलिंग लगी थी, इसलिए अनूप तालाब के चारों ओर रेलिंग लगाएंगे. टूरिस्ट तालाब के करीब पहुंच जाते हैं, रेलिंग लगाने से किसी भी हादसे की संभावना को भी खत्म किया जा सकेगा.

Intro:स्पेशल: स्पेशल का लोगो भी लगा लें.
इस खबर में अकबर, तानसेन, बैजूबावरा की फोटोज का उपयोग गूगल से निकाल कर किया जाए तो बेहतरीन पैकेज बन जाएगा.

आगरा.
16 वीं सदी दौर मुगल बादशाहों का था. मुगल बादशाह अकबर ने अपनी राजधानी आगरा से फतेहपुर सीकरी बनाई थी. बादशाह के दरबार में नवरत्न थे, इनमें संगीत सम्राट तानसेन एक थे. जिस जगह संगीत लहरियों की तान छेड़ते थे, वह अनूप तालाब है. जो फतेहपुर सीकरी में है. अकबर काल में यही मनोरंजन का केंद्र था.
इसी अनूप तालाब के चबूतरा पर बैठकर स्वर लहरियों की प्रस्तुति देते थे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग अब उस अनूप तालाब को सहेजने की योजना बना चुका है. अनूप तालाब सफाई की जाएगी. उसके चारों तरफ लकड़ी की बैरिकेडिंग की जाएगी. जिससे किसी भी हादसे की संभावना को रोका जा सके.


Body:दो दशक पहले ताज महोत्सव के कार्यक्रम के तहत फतेहपुर सीकरी के किले में अनूप तालाब पर तानसेन के चबूतरा पर भीमसेन जोशी ने मंत्रमुग्ध किया था. उन्होंने संगीत की स्वर लहरियां गुंजायमान की थीं. एक दशक पहले बडाली बंधुओं ने चबूतरा पर सोफिया संगीत से लोगों को दिल को जीत था. उसके बाद से यहां पर कोई कार्यक्रम नहीं हुआ है. सैकड़ों टूरिस्ट फतेहपुर सीकरी में प्रतिदिन भ्रमण करने के लिए आते हैं.

जब संगीत से जले दीपक, राग मेघमल्हार से हुई बारिश
एएसआई के गाइड गोपाल प्रसाद ने बताया कि, अनूप तालाब के चबूतरा पर ही संगीत के सम्राट तानसेन और पंडित बैजनाथ मिश्र 'बैजू बावरा' के मध्य संगीत का महा मुकाबला हुआ. इस महामुकाबले का जिक्र 'अकबरनामा' है. बादशाह अकबर अनूप तालाब के दाईं ओर बने पोर्च में बैठते थे. नवरत्न बैठते थे, फिर दूसरी ओर बादशाह की बेगम बैठती थीं. महामुकाबले में तानसेन ने अपना प्रसिद्ध राग दीपक गाना शुरू किया, कुछ ही देर बाद संगीत की शक्ति से दीपक जलने लगे. इसके बाद बैजू बावरा और ताना दीदी ने मेघ मल्हार राग गाया. कुछ ही देर में आसमान में काली काली घटाएं घिर आईं. बारिश होने लगी, जिससे दीपक बुझ गया. इसमें बैजू बावरा को विजयी घोषित किया गया.

संरक्षण पर जोर, बेरीकेट्स लगाएंगे
एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि, अनूप तालाब की गहराई अधिक है. 15 से 16 फीट गहरा है. हम तालाब की सिल्टिंग कर रहे हैं. उसे खाली करके मरम्मत काम करेंगे. जिसमें तालाब का लीकेज, सीढ़ियों की मरम्मत और अन्य काम शामिल हैं. हमें यह भी सबूत मिले हैं, कि अनूप तालाब के चारों ओर लकड़ी की रेलिंग लगी थी. इसलिए अनूप तालाब के चारों ओर रेलिंग लगाएंगे. टूरिस्ट तालाब के करीब पहुंच जाते हैं, रेलिंग लगाने से किसी भी हादसे की संभावना को भी खत्म किया जा सकेगा. पुरुषों के बचाव के लिए वहां पर रेलिंग लगाई जाएगी.






Conclusion:बादशाह अकबर के समय अनूप तालाब में गुलाब जल भरा रहता था. तालाब के पानी में सोने-चांदी के सिक्के डाले जाते थे, जो चांद की रोशनी पड़ने पर चमकते थे. यहीं पर तानसेन और बैजूबावरा के बीच संगीत का महामुकाबला भी हुआ था.
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पहली बाइट गोपाल प्रसाद, टूरिस्ट गाइड (एएसआई ) की।
दूसरी बाइट वसंत कुमार स्वर्णकार, अधीक्षण पुरातत्वविद (एएसआई) की.

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श्यामवीर सिंह
आगरा
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