आगरा: भारतरत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर की अस्थियों का सौदा अमेरिका के वैज्ञानिकों से किया गया है. यह करोड़ों का सौदा है. यह आरोप सपोर्ट इंडिया के अध्यक्ष सुरेश चंद सोनी ने बुद्ध विहार प्रबंध समिति पर लगाए हैं. साथ ही मांग की है कि बाबा साहब के बीजक (नेम पत्र ) को हटाने और केंद्रीय बुद्ध विहार पर कब्जा करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाए. अगर पुलिस-प्रशासन एफआईआर दर्ज नहीं करता है तो 500 से ज्यादा बाबा के अनुयायी कलेक्ट्रेट में सामूहिक आत्मदाह करेंगे. वहीं बुद्ध विहार प्रबंध समिति के पदाधिकारियों ने आरोपों को बेबुनियाद बताया है. उनका कहना है कि बाबा साहब की अस्थियां और अस्थि कलश सुरक्षित रखे हैं.
छह स्थानों पर अस्थियों को रखा गया है सुरक्षित
भारतरत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर पहली बार आगरा 18 मार्च 1956 को आए थे. इसके बाद 6 दिसंबर 1956 को अलीपुर रोड दिल्ली में परिनिर्वाण हुआ. उनकी अस्थियों को छह स्थानों पर सुरक्षित रखा गया, जिसमें आगरा भी शामिल है. 13 जनवरी 1957 को पूर्णिमा के दिन दिल्ली से राजा मंडी स्टेशन पर चांदी के कलश में डॉ. भीमराव अंबेडकर की कुछ अस्थियां और चिता राख को यहां लाया गया. उसे डॉ. भीमराव आंबेडकर के पुत्र यशवंतराव आंबेडकर लेकर आए थे. अस्थि कलश को फिर केंद्रीय बौद्ध विहार चक्की पाट में स्थापित किया गया, जिसे प्रत्येक 6 दिसंबर को डॉ. भीमराव आंबेडकर के परिनिर्वाण दिवस पर दर्शनार्थ निकाली जाती है.
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अस्थियां बेचने का आरोप
सपोर्ट इंडिया के अध्यक्ष सुरेश चंद्र सोनी का कहना है कि केंद्रीय बौद्ध विहार चक्की पाठ पर रखे गए डॉ. भीमराव आंबेडकर के अस्थि कलश में सिर्फ राख है. अब उसमें अस्थियां नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रबंध समिति के लोगों ने डॉ. भीमराव आंबेडकर की अस्थियों को अमेरिका के दो वैज्ञानिकों को पांच करोड़ रुपये में बेच दिया है. यह आंबेडकर के अनुयायियों के साथ धोखाधड़ी है. हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सीएम योगी और अन्य पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को भी बुद्ध विहार प्रबंध समिति के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की शिकायत की है. बाबा साहब हमारे आस्था का केंद्र हैं. उनकी अस्थियों का सौदा करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करने पर कलेक्ट्रेट में 500 से ज्यादा अनुयाई आत्मदाह करेंगे.
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बदनाम करने की साजिश
बुद्ध विहार प्रबंध समिति के अध्यक्ष भंते ज्ञान रतन का कहना है कि बाबा साहब का अस्थि कलश हर साल छह दिसंबर को दर्शनार्थ निकाला जाता है. चांदी के अस्थि कलश में बाबा साहब की अस्थियां सुरक्षित हैं. अस्थि कलश भी सुरक्षित है. कोई बदनाम करने के लिए इस तरह की बात कह रहा है. सुरक्षा के लिहाज से बाबा साहब के अस्थि कलश और अस्थियों को किसी को न दिखाया जाता है और न ही बताया जाता है. इस तरह की भ्रामक स्थिति बनने से अब जल्द ही बुद्ध विहार प्रबंध समिति की बैठक होगी. उसमें आगे की कार्रवाई की रूपरेखा तैयार की जाएगी.
चर्चा में फिर केंद्रीय बौद्ध विहार
केंद्रीय बौद्ध विहार एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है. पहले करोड़ों की जमीन को एत्मादपुर में बेचने और अब डॉ. भीमराव आंबेडकर की अस्थियां गायब होने के आरोप से बुद्ध विहार प्रबंध समिति फिर सवालों के घेरे में खड़ी है. हकीकत क्या है ? यह तो तभी सामने आएगा. जब पुलिस या प्रशासन इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराएंगे.