आगरा : ताजमहल के साथ विवादों की लंबी लिस्ट बनती जा रही है. अभी ताजमहल के मंदिर या मकबरा विवाद थमा नहीं था. इसी बीच उरई के संत मत्स्येंद्र गोस्वामी ने ताजमहल की पच्चीकारी और ताजमहल परिसर में स्थिति शौचालय के पास हिंदू मंदिरों की तस्वीरों का मामला उठाया. इस मामले में संत मत्स्येंद्र गोस्वामी ने अनशन की धमकी दी है.
मंगलवार को ताजमहल के साथ एक और वाद जुड़ गया. जब सिटीजन फोरम संस्था के अध्यक्ष ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) प्रदीप कुमार सिंह की कोर्ट में शाहजहां के 367 वर्ष में 3 दिन तक ताजमहल निशुल्क रखने, ताजमहल में भीड़ उमड़ने और राजस्व के नुकसान को लेकर परिवाद दायर किया है. दायर वाद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक, आगरा सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल और एडीए उपाध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है. सीजेएम प्रदीप कुमार ने पत्रावली के लिए 20 जून की तारीख तय की है.
गौरतलब है कि ताजमहल में 27-28 फरवरी 2022 और 1 मार्च 2022 को शाहजहां का 367वां उर्स मनाया गया था. उर्स के चलते ताजमहल में अकीदतमंद और पर्यटकों की एंट्री निशुल्क रहती है. 3 दिन तक चले उर्स में लाखों की संख्या में अकीदतमंद और पर्यटकों ने ताजमहल का दीदार किया. इस दौरान ताजमहल के तहखाने में स्थित मुगल शहंशाह शाहजहां और मुमताज की असली कब्र तक लोग देख पाते हैं.
सिटीजन फोरम संस्था के अध्यक्ष ने दायर किया परिवाद
ताजनगरी में स्थित थाना नाई की मंडी के ढाकरान निवासी उमेश चंद्र वर्मा सिटीजन फोरम संस्था के अध्यक्ष हैं. उमेश चंद्र वर्मा ने अधिवक्ता मोती सिंह के जरिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रदीप कुमार सिंह की अदालत में परिवाद दायर किया है. उनके 6 पेज के परिवाद में 21 बिंदु हैं. उमेश चंद्र वर्मा का परिवाद में आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी करके ताजमहल में 27-28 फरवरी और 1 मार्च-2022 को शाहजहां का 367वां आयोजित किया गया. इस उर्स के दौरान ताजमहल में अकीदतमंद और पर्यटकों का निशुल्क प्रवेश रहा. उर्स के 2 दिनों में ताजमहल में लाखों की भीड़ उमड़ी. उमेश वर्मा ने अपने परिवाद में जिक्र किया है कि 1 मार्च को ताजमहल में सवा लाख से ज्यादा लोग पहुंचे थे. जिसमें अकीदत मंथ कम थे और सैलानियों की संख्या ज्यादा थी.
भीड़ ने ताजमहल परिसर की सुंदरता को किया तार-तार
वादी उमेश चंद्र वर्मा का आरोप है कि उर्स के दौरान लाखों की भीड़ ताजमहल में उमड़ी. जिसे नियंत्रित करने में एएसआई और सीआईएसफ के जवान नाकाम साबित हुए. इतना ही नहीं भीड़ ने सीआईएसफ के जवानों के साथ अभद्रता भी की. जिससे ताजमहल की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो रहे हैं. इसके साथ ही इस भीड़ ने ताजमहल और परिसर की सुंदरता भी तार-तार कर दिया है.
बेकाबू भीड़ ने ताजमहल परिसर में मौजूद फूल, पौधे, गमले, उद्यान, फव्वारे,जालियां और रेलिंग को भी नुकसान पहुंचाया. इसके साथ ही ताजगंज और फतेहाबाद मार्ग पर जाम लगने से हजारों की संख्या में लोग परेशान हुए. भीड़ की वजह से ताजमहल के आस-पास के लोगों को भी घरों में कैद रहना पड़ा. यातायात संभाल रहे पुलिसकर्मियों के भी भीड़ देखकर हाथ-पैर फूल गए.
एएसआई डीजी, एएसआई एसए और एडीए वीसी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की मांग
वादी उमेश चंद्र वर्मा का आरोप है कि एएसआई के आगरा सर्किल के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल के एक गलत फैसले से विश्व धरोहर और दुनिया में मशहूर ऐतिहासिक इमारत ताजमहल को नुकसान पहुंचा है. इतना ही नहीं 3 दिन तक ताजमहल में निशुल्क एंट्री होने की वजह से लाखों रुपये के राजस्व की हानि हुई. इस मामले को लेकर वादी उमेश चंद्र वर्मा ने एएसआई के अधीक्षण पुरातत्वविद राजकुमार पटेल, एएसआई डीजी और आवास विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के खिलाफ ताजगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है.
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