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कोरोना इफेक्ट: ताजमहल बंद होने से टूट जाएगी प्राचीन परंपरा, नहीं होगा शाहजहां का 365वां उर्स

यूपी में कोरोना को लेकर प्रशासन और शासन दोनों अलर्ट पर हैं यहां तमाम सार्वजनिक स्थानों को लोगों के लिए बंद कर दिया गया है. ताजमहल को भी लोगों के लिए 31 मार्च तक बंद कर दिया गया है. इस कारण हर वर्ष होने वाले शाहजहां के तीन दिवसीय सालाना उर्स का आयोजन नहीं हो पाएगा.

कोरोना के कारण टूटेगी ऐतिहासिक परंपरा
कोरोना के कारण टूटेगी ऐतिहासिक परंपरा
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Published : Mar 18, 2020, 2:56 AM IST

आगरा: प्रदेश में कोरोना को महामारी घोषित किया जा चुका है. कोराना के संक्रमण के चलते सतर्कता बरतते हुए आगमी 31 मार्च तक ताजमहल को बंद किया गया है. इससे मुगल बादशाह शहंशाह शाहजहां का तीन दिन तक चलने वाला सालाना उर्स भी नहीं होगा. कोरोना के चलते ताजमहल बंद होने से शहंशाह शाहजहां के 365वें उर्स नहीं होने से पहली बार एक प्राचीन परंपरा टूट जाएगी. उर्स आयोजन कमेटी के सदस्य लगातार एएसआई के अधिकारियों से वार्ता कर रहे हैं.

नहीं होगा शहंशाह शाहजहां का 365वां उर्स.


कोरोना के कारण टूटेगी ऐतिहासिक परंपरा
शहंशाह शाहजहां का उर्स हिजरी कैलेंडर के रजब माह की 25, 26 और 27 तारीख को मनाया जाता है. इस बार 21 मार्च से 23 मार्च तक शाहजहां का उर्स मनाया जाना था. उर्स में पहले दिन गुल्स, दूसरे दिन संदल और तीसरे दिन चादरपोशी की रस्म होती है. हर साल सतरंगी चादर पेश की जाती है. इस बार 1200 मीटर लंबी सतरंगी चादरपोशी होनी थी. उर्स के दौरान ताजमहल में सभी की एंट्री निशुल्क रहती है.

नहीं होगा शाहजहां का उर्स

मुगल बादशाह शाहजहां की 1666 में मृत्यु हो गई थी. जिसके बाद से ताजमहल में उनका उर्स मनाया जाता है. जो तीन दिन चलता है. उर्स कमेटी ने तमाम तैयारियां भी कर लीं थी. मंगलवार को उर्स को लेकर एएसआई और उर्स कमेटी की बैठक भी होनी थी. जो स्थगित कर दी गई है. यह पहला अवसर है, जब ताजमहल में शाहजहां का उर्स नहीं होगा.

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कोरोना के कारण टूटेगी ऐतिहासिक परंपरा.
ताजमहल उर्स आयोजन कमेटी के अध्यक्ष हाजी इब्राहिम जैदी ने बताया कि 21, 22 मार्च और 23 मार्च को मुगल बादशाह शाहजहां का 365वां उर्स है. मगर कोरोना के चलते जनहित में ताजमहल को बंद कर दिया गया है. इसके चलते अब हम एएसआई के अधिकारियों से वार्ता कर रहे हैं, कि वह उर्स कमेटी के सदस्यों को ही अहम रस्म अदा करने की अनुमति दें. जिससे यह हमारी परंपरा यूं ही चलती रहे.

केंद्र सरकार की ओर से देश के तमाम स्मारकों को बंद किया गया है. हमारे मजहब में भी लिखा है कि जिस मुल्क में रहो उस मुल्क के जायज कानून को मानो. हमारी कमेटी के सदस्यों को अंदर रोजा मनाने की अहम की रस्मों को अदा करने की अनुमति देती है तो हम मनाएंगे. यह फैसला हजारों लाखों लोगों की जिंदगी को ध्यान में ले कर के लिया गया है. हम इसका सम्मान करते हैं.
-हाजी ताहिरउद्दीन ताहिर,प्रेसिडेंट, खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी ऑफ ताजमहल

आगरा: प्रदेश में कोरोना को महामारी घोषित किया जा चुका है. कोराना के संक्रमण के चलते सतर्कता बरतते हुए आगमी 31 मार्च तक ताजमहल को बंद किया गया है. इससे मुगल बादशाह शहंशाह शाहजहां का तीन दिन तक चलने वाला सालाना उर्स भी नहीं होगा. कोरोना के चलते ताजमहल बंद होने से शहंशाह शाहजहां के 365वें उर्स नहीं होने से पहली बार एक प्राचीन परंपरा टूट जाएगी. उर्स आयोजन कमेटी के सदस्य लगातार एएसआई के अधिकारियों से वार्ता कर रहे हैं.

नहीं होगा शहंशाह शाहजहां का 365वां उर्स.


कोरोना के कारण टूटेगी ऐतिहासिक परंपरा
शहंशाह शाहजहां का उर्स हिजरी कैलेंडर के रजब माह की 25, 26 और 27 तारीख को मनाया जाता है. इस बार 21 मार्च से 23 मार्च तक शाहजहां का उर्स मनाया जाना था. उर्स में पहले दिन गुल्स, दूसरे दिन संदल और तीसरे दिन चादरपोशी की रस्म होती है. हर साल सतरंगी चादर पेश की जाती है. इस बार 1200 मीटर लंबी सतरंगी चादरपोशी होनी थी. उर्स के दौरान ताजमहल में सभी की एंट्री निशुल्क रहती है.

नहीं होगा शाहजहां का उर्स

मुगल बादशाह शाहजहां की 1666 में मृत्यु हो गई थी. जिसके बाद से ताजमहल में उनका उर्स मनाया जाता है. जो तीन दिन चलता है. उर्स कमेटी ने तमाम तैयारियां भी कर लीं थी. मंगलवार को उर्स को लेकर एएसआई और उर्स कमेटी की बैठक भी होनी थी. जो स्थगित कर दी गई है. यह पहला अवसर है, जब ताजमहल में शाहजहां का उर्स नहीं होगा.

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कोरोना के कारण टूटेगी ऐतिहासिक परंपरा.
ताजमहल उर्स आयोजन कमेटी के अध्यक्ष हाजी इब्राहिम जैदी ने बताया कि 21, 22 मार्च और 23 मार्च को मुगल बादशाह शाहजहां का 365वां उर्स है. मगर कोरोना के चलते जनहित में ताजमहल को बंद कर दिया गया है. इसके चलते अब हम एएसआई के अधिकारियों से वार्ता कर रहे हैं, कि वह उर्स कमेटी के सदस्यों को ही अहम रस्म अदा करने की अनुमति दें. जिससे यह हमारी परंपरा यूं ही चलती रहे.

केंद्र सरकार की ओर से देश के तमाम स्मारकों को बंद किया गया है. हमारे मजहब में भी लिखा है कि जिस मुल्क में रहो उस मुल्क के जायज कानून को मानो. हमारी कमेटी के सदस्यों को अंदर रोजा मनाने की अहम की रस्मों को अदा करने की अनुमति देती है तो हम मनाएंगे. यह फैसला हजारों लाखों लोगों की जिंदगी को ध्यान में ले कर के लिया गया है. हम इसका सम्मान करते हैं.
-हाजी ताहिरउद्दीन ताहिर,प्रेसिडेंट, खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी ऑफ ताजमहल

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