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आगराः राजकीय बाल गृह में बीते 2 दिनों में 3 शिशुओं की मौत

आगरा के राजकीय बालगृह में दो दिन के भीतर तीन शिशुओं की मौत हो गई. वहीं इस घटना से जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है. बालगृह प्रशासन इस मामले को सप्ताह पर दबाए रहा. इस घटना को लेकर पर एक्टिविस्ट नरेश पारस ने कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

राजकीय बाल गृह
राजकीय बाल गृह
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Published : Nov 1, 2020, 10:47 PM IST

आगराः राजकीय बालगृह सिरौली में दो दिन के अंदर तीन शिशुओं की मौत से जिला प्रशासन के होश उड़े हुए हैं. हैरानी की बात यह है कि बालगृह प्रबंधन इस मामले को हफ्ते भर से दबाए रहा. वहीं शनिवार को जब इस मामले का खुलासा हुआ तो प्रशासन में हड़कंप मच गया. आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस ने इस मामले की शिकायत डीएम और उप्र. राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग से की है.

हफ्ते भर दबाया गया मामला
आरटीआई एक्टिविस्ट एवं महफूज सुरक्षित बचपन के अध्यक्ष नरेश पारस ने पत्र में लिखा है कि 'आगरा के राजकीय बालगृह (शिशु) सिरौली में दो दिन के अंदर तीन नवजात बच्चों की मौत हो गई. बाल गृह प्रबंधन इस मामले को सप्ताहभर से दबाए हुए था. मीडिया में मामला आने पर इसका खुलासा हुआ, जबकि बाल गृह प्रशासन को इस मामले को दबाने के बजाए बच्चों का ईलाज और वरिष्ठ अधिकारियों से विचार करना चाहिए.

पोषण पर गंभीर सवाल
मीडिया में आई जानकारी के मुताबिक धनौली-जगनेर रोड स्थित राजकीय बाल गृह में 24-25 अक्तूबर को चार माह की बच्ची सुनीता ने बालगृह से अस्पताल ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया, जबकि तीन माह की नवजात प्रभा भर्ती होने के 24 घंटे और दो माह की अवनी की भर्ती होने के चार घंटे बाद जान चली गई. इन बच्चों को उपचार के लिए पहले जिला अस्पताल भेजा गया. बाद में एसएन मेडिकल कालेज रेफर किया गया. महज 48 घंटे के अंदर तीन शिशुओं की मौत से बालगृह में मासूमों की देखभाल और पोषण पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं.

जांच में मिली थी खामी
एक महीने पहले 18 सितंबर को निरीक्षण समिति के अध्यक्ष और अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सर्वजीत कुमार सिंह ने जिला प्रोबेशन अधिकारी (डीपीओ) को निरीक्षण के बाद रिपोर्ट भेजी थी, जिसमें बच्चों के पोषण पर सवाल उठाए गए थे. निरीक्षण के 36 दिन बाद ही दो दिन के अंदर तीन बच्चों की मौत हो गई. बालगृह प्रशासन के मुताबिक बच्चे प्री-मैच्योर थे और अचानक मौसम बदलने, ठंड आने से उनकी तबीयत खराब हो गई थी. इसके चलते बाद में उनकी मौत हो गई.

बेहतर इंतजाम की मांग
नरेश पारस ने पत्र में कहा कि मामला बेहद गंभीर है. बच्चों की मौत की मजिस्ट्रेटी जांच कराई जाए और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए. सर्दी शुरू हो चुकी है, जिसके चलते इस दौरान बच्चों की देखभाल की विशेष आवश्यकता होती है. शिशुओं के स्वास्थ्य संबंधी बेहतर इंतजाम किए जाएं, जिससे इस तरह की पुनरावृत्ति न हो सके.

वहीं इस मामले में संबंधित अधिकारी एक दूसरे पर अपनी जिम्मेदारी डाल रहे हैं. इससे साफ है कि राजकीय बाल गृह शिशु पर किसी का भी ध्यान नहीं है और जब यह गंभीर घटना घट गई तो अपने आप को बचाने में जुट गए हैं. फिलहाल आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस ने साफ कहा है कि इस मामले में ढिलाई बर्दाश्त नहीं होगी और इसकी उचित कार्रवाई के लिए वह लड़ाई लड़ते रहेंगे.

आगराः राजकीय बालगृह सिरौली में दो दिन के अंदर तीन शिशुओं की मौत से जिला प्रशासन के होश उड़े हुए हैं. हैरानी की बात यह है कि बालगृह प्रबंधन इस मामले को हफ्ते भर से दबाए रहा. वहीं शनिवार को जब इस मामले का खुलासा हुआ तो प्रशासन में हड़कंप मच गया. आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस ने इस मामले की शिकायत डीएम और उप्र. राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग से की है.

हफ्ते भर दबाया गया मामला
आरटीआई एक्टिविस्ट एवं महफूज सुरक्षित बचपन के अध्यक्ष नरेश पारस ने पत्र में लिखा है कि 'आगरा के राजकीय बालगृह (शिशु) सिरौली में दो दिन के अंदर तीन नवजात बच्चों की मौत हो गई. बाल गृह प्रबंधन इस मामले को सप्ताहभर से दबाए हुए था. मीडिया में मामला आने पर इसका खुलासा हुआ, जबकि बाल गृह प्रशासन को इस मामले को दबाने के बजाए बच्चों का ईलाज और वरिष्ठ अधिकारियों से विचार करना चाहिए.

पोषण पर गंभीर सवाल
मीडिया में आई जानकारी के मुताबिक धनौली-जगनेर रोड स्थित राजकीय बाल गृह में 24-25 अक्तूबर को चार माह की बच्ची सुनीता ने बालगृह से अस्पताल ले जाते समय रास्ते में दम तोड़ दिया, जबकि तीन माह की नवजात प्रभा भर्ती होने के 24 घंटे और दो माह की अवनी की भर्ती होने के चार घंटे बाद जान चली गई. इन बच्चों को उपचार के लिए पहले जिला अस्पताल भेजा गया. बाद में एसएन मेडिकल कालेज रेफर किया गया. महज 48 घंटे के अंदर तीन शिशुओं की मौत से बालगृह में मासूमों की देखभाल और पोषण पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं.

जांच में मिली थी खामी
एक महीने पहले 18 सितंबर को निरीक्षण समिति के अध्यक्ष और अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश सर्वजीत कुमार सिंह ने जिला प्रोबेशन अधिकारी (डीपीओ) को निरीक्षण के बाद रिपोर्ट भेजी थी, जिसमें बच्चों के पोषण पर सवाल उठाए गए थे. निरीक्षण के 36 दिन बाद ही दो दिन के अंदर तीन बच्चों की मौत हो गई. बालगृह प्रशासन के मुताबिक बच्चे प्री-मैच्योर थे और अचानक मौसम बदलने, ठंड आने से उनकी तबीयत खराब हो गई थी. इसके चलते बाद में उनकी मौत हो गई.

बेहतर इंतजाम की मांग
नरेश पारस ने पत्र में कहा कि मामला बेहद गंभीर है. बच्चों की मौत की मजिस्ट्रेटी जांच कराई जाए और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए. सर्दी शुरू हो चुकी है, जिसके चलते इस दौरान बच्चों की देखभाल की विशेष आवश्यकता होती है. शिशुओं के स्वास्थ्य संबंधी बेहतर इंतजाम किए जाएं, जिससे इस तरह की पुनरावृत्ति न हो सके.

वहीं इस मामले में संबंधित अधिकारी एक दूसरे पर अपनी जिम्मेदारी डाल रहे हैं. इससे साफ है कि राजकीय बाल गृह शिशु पर किसी का भी ध्यान नहीं है और जब यह गंभीर घटना घट गई तो अपने आप को बचाने में जुट गए हैं. फिलहाल आरटीआई एक्टिविस्ट नरेश पारस ने साफ कहा है कि इस मामले में ढिलाई बर्दाश्त नहीं होगी और इसकी उचित कार्रवाई के लिए वह लड़ाई लड़ते रहेंगे.

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