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आगरा और कानपुर में लंपी वायरस से 5 गोवंशो की मौत, 24 संक्रमित

आगरा और कानपुर गांव में लंपी वायरल के कारण कई मवेशियों की मौत हो चुकी है. संक्रमित मवेशियों को एक अलग बाड़े में रखा गया है. पशुपालन विभाग की टीम भी गोवंशों का इलाज कर रही है.

लंपी वायरस से 28 गोवंशो की मौत
लंपी वायरस से 28 गोवंशो की मौत
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Published : Oct 8, 2022, 11:08 PM IST

आगरा: जनपद के ब्लॉक पिनाहट क्षेत्र में लगातार लंपी वायरस बीमारी गायों में अपने पैर पसार रही है. इसके कारण अब गायों की धीरे-धीरे मौत होने लगी है. वहीं, शनिवार को कस्बा पिनाहट के रोडवेज बस स्टैंड, बिजली घर, स्टेट बैंक, के पास चार गायों की अलग-अलग स्थानों पर लंपी बीमारी के चलते मौत हो (cows died due to lumpi virus) गई. गायों के शवों को पड़ा देख ग्रामीणों में हड़कंप मच गया. चारों तरफ बदबू न फैले इसके लिए ग्रामीणों ने नगर पंचायत को सूचना दी.

मौके पर पहुंचे नगर पंचायत कर्मियों ने ट्रैक्टर ट्रॉली द्वारा गायों के शवों को उठाकर चंबल नदी के बीहड़ में पहुंचाया. जहां नगर पंचायत कर्मियों द्वारा गहरा गड्ढा खोदकर गायों के शवों को दफनाकर अंतिम संस्कार किया गया. लंपी वायरस से गोवंशों की मौत से लोग चिंतित है. राष्ट्रीय बजरंग दल पिनाहट के कार्यकर्ताओं ने पशुपालन विभाग से सभी गायों का टीकाकरण कराने की मांग की है.

कानपुर की घाटमपुर कोतवाली के यमुना तटवर्ती मऊनखत व बीबीपुर गांव में भी लंपी वायरस के संक्रमण का खतरा मंडराने लगा है. जहां पर जांच में लगभग दो दर्जन मवेशियों में लंपी वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है. शुक्रवार को लंपी वायरस से एक मवेशी की मौत भी हो चुकी है. वहीं, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने टीम के साथ गांव पहुंच कर मवेशियों का इलाज शुरू कर दिया है. जहां संक्रमित मवेशियों को गांव के बाहर पशु बाड़ा बनाते हुए क्वारंटाइन किया गया है.

सजेती थाना क्षेत्र के बीबीपुर गांव के प्रधान मंगल यादव ने बताया कि इस समय उनके गांव में लगभग एक दर्जन मवेशियों में लंपी वायरस की पुष्टि हुई है. शुक्रवार को लंपी वायरस से ग्रामीण रामबिहारी की गाय की मौत हो गई थी. वहीं, मऊनखत गांव में लगभग नौ मवेशी लंपी वायरस से संक्रमित मिले हैं.

डॉक्टरों की आशंका: लंपी वायरस के संक्रमण से जूझ रहे पशुओं का इलाज कर रहे पशुधन अधिकारी अशोक त्रिपाठी ने बताया कि गांव में अधिकांश जानवर खुले में चरने जाते हैं. जिससे उनमें वायरस के संक्रमित होने की आशंका बड़ जाती है. उन्होंने बताया कि मच्छर और मक्खी के काटने से भी संक्रमण फैलने का अंदेशा ज्यादा बना रहता है. इसके लक्षण है कि मवेशी को पहले बुखार आता है. जिसके चलते वह चारा छोड़ देता है. इसके बाद उसके शरीर पर छोटी-छोटी गांठें पड़ जाती हैं. यहीं गांठें फिर बड़ी हो जाती हैं, इससे यह संक्रामक बीमारी के रूप में तब्दील हो जाता है. इसीलिए संक्रमित पशुओं को गांव के किनारे पशुबाड़ा बनाकर उसमें रखा गया है. साथ ही मेडिकल टीम गांव में अन्य मवेशियों की जांच कर रही है.

आगरा: जनपद के ब्लॉक पिनाहट क्षेत्र में लगातार लंपी वायरस बीमारी गायों में अपने पैर पसार रही है. इसके कारण अब गायों की धीरे-धीरे मौत होने लगी है. वहीं, शनिवार को कस्बा पिनाहट के रोडवेज बस स्टैंड, बिजली घर, स्टेट बैंक, के पास चार गायों की अलग-अलग स्थानों पर लंपी बीमारी के चलते मौत हो (cows died due to lumpi virus) गई. गायों के शवों को पड़ा देख ग्रामीणों में हड़कंप मच गया. चारों तरफ बदबू न फैले इसके लिए ग्रामीणों ने नगर पंचायत को सूचना दी.

मौके पर पहुंचे नगर पंचायत कर्मियों ने ट्रैक्टर ट्रॉली द्वारा गायों के शवों को उठाकर चंबल नदी के बीहड़ में पहुंचाया. जहां नगर पंचायत कर्मियों द्वारा गहरा गड्ढा खोदकर गायों के शवों को दफनाकर अंतिम संस्कार किया गया. लंपी वायरस से गोवंशों की मौत से लोग चिंतित है. राष्ट्रीय बजरंग दल पिनाहट के कार्यकर्ताओं ने पशुपालन विभाग से सभी गायों का टीकाकरण कराने की मांग की है.

कानपुर की घाटमपुर कोतवाली के यमुना तटवर्ती मऊनखत व बीबीपुर गांव में भी लंपी वायरस के संक्रमण का खतरा मंडराने लगा है. जहां पर जांच में लगभग दो दर्जन मवेशियों में लंपी वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है. शुक्रवार को लंपी वायरस से एक मवेशी की मौत भी हो चुकी है. वहीं, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी ने टीम के साथ गांव पहुंच कर मवेशियों का इलाज शुरू कर दिया है. जहां संक्रमित मवेशियों को गांव के बाहर पशु बाड़ा बनाते हुए क्वारंटाइन किया गया है.

सजेती थाना क्षेत्र के बीबीपुर गांव के प्रधान मंगल यादव ने बताया कि इस समय उनके गांव में लगभग एक दर्जन मवेशियों में लंपी वायरस की पुष्टि हुई है. शुक्रवार को लंपी वायरस से ग्रामीण रामबिहारी की गाय की मौत हो गई थी. वहीं, मऊनखत गांव में लगभग नौ मवेशी लंपी वायरस से संक्रमित मिले हैं.

डॉक्टरों की आशंका: लंपी वायरस के संक्रमण से जूझ रहे पशुओं का इलाज कर रहे पशुधन अधिकारी अशोक त्रिपाठी ने बताया कि गांव में अधिकांश जानवर खुले में चरने जाते हैं. जिससे उनमें वायरस के संक्रमित होने की आशंका बड़ जाती है. उन्होंने बताया कि मच्छर और मक्खी के काटने से भी संक्रमण फैलने का अंदेशा ज्यादा बना रहता है. इसके लक्षण है कि मवेशी को पहले बुखार आता है. जिसके चलते वह चारा छोड़ देता है. इसके बाद उसके शरीर पर छोटी-छोटी गांठें पड़ जाती हैं. यहीं गांठें फिर बड़ी हो जाती हैं, इससे यह संक्रामक बीमारी के रूप में तब्दील हो जाता है. इसीलिए संक्रमित पशुओं को गांव के किनारे पशुबाड़ा बनाकर उसमें रखा गया है. साथ ही मेडिकल टीम गांव में अन्य मवेशियों की जांच कर रही है.

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