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'लड़की हूं लड़ सकती हूं' का क्या फायदा? जब 7 बार की नेशनल चैंपियन बेटी भी दर-दर भटक रही

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Published : Jan 4, 2022, 9:57 PM IST

भारत की दिव्यांग शतरंज खिलाड़ी मलिका हांडा ने रविवार को पंजाब सरकार के खेल मंत्री पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा, पंजाब के खेल मंत्री परगट सिंह ने उन्हें बताया, राज्य सरकार उन्हें नौकरी और नकद इनाम नहीं दे सकती, क्योंकि सरकार के पास मूक बधिर खेलों के लिए ऐसी कोई नीति नहीं है. मलिका ने अपने ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट लिखा और एक वीडियो भी अपलोड किया है.

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हैदराबाद: शतरंज में सात बार की चैंपियन खिलाड़ी और दिव्यांग (मूक-बधिर) मलिका हांडा पंजाब सरकार के सौतेले व्यवहार से लगातार पीड़ित हैं. वे लगातार सरकार के सामने सरकारी नौकरी और ईनाम के लिए गुहार लगा रही हैं, लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं आया है. मलिका ने आरोप लगाया, कांग्रेस की पंजाब सरकार ने पिछले पांच साल से मेरा मजाक ही बनाया.

बता दें, मलिका ने शतरंज में सात बार नेशनल चैम्पियनशिप जीती है. उन्होंने इसके अलावा कई इंटरनेशनल चैम्पियनशिप भी जीती हैं. इसके बावजूद अब तक पंजाब सरकार से उन्हें न तो कोई मदद मिली और न ही कोई सरकारी नौकरी का ऑफर आया है.

यह भी पढ़ें: जब अपना हक मांगने के लिए शतरंज में 7 बार की चैंपियन दिव्यांग खिलाड़ी का छलक उठा दर्द

मलिका ने रविवार (2 जनवरी) को एक ट्विट किया. इसमें उन्होंने लिखा- मुझे बहुत दुख पहुंचा है. मैं 31 दिसंबर 2021 को पंजाब के स्पोर्ट्स मिनिस्टर से मिली थी. अब वे कह रहे हैं कि पंजाब सरकार कोई सरकारी नौकरी या नगदी ईनाम नहीं दे सकती, क्योंकि उनके पास मूक-बधिर खिलाड़ियों के लिए कोई पॉलिसी ही नहीं है.

शतरंज खिलाड़ी मलिका हांडा और उनकी मां

इससे पहले वाले स्पोर्ट्स मिनिस्टर ने मुझे नगदी ईनाम देने की घोषणा की थी. मैंने इसके लिए एक पत्र भी लिखा था. उन्होंने मुझे इसके बाद निमंत्रण भी भेजा था, लेकिन कोरोना के चलते यह रद्द कर दिया गया. यही सब कुछ मौजूदा स्पोर्ट्स मिनिस्टर परगत सिंह के समय भी हो रहा है. उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया है कि यह घोषणा पूर्व मंत्री ने की थी, मैंने या सरकार ने नहीं.

मलिका ने लिखा, मैं सिर्फ यही कहना चाहती हूं कि फिर घोषणा क्यों की थी. कांग्रेस सरकार में मेरे पांच साल बर्बाद हुए हैं. उन्होंने मेरा मजाक बनाया है. उन्होंने मूक-बधिर खिलाड़ियों की कोई देखभाल नहीं की. जिला कांग्रेस ने भी मुझे हर बार सपोर्ट का आश्वासन दिया, लेकिन पांच सालों में कुछ नहीं हुआ. क्यों-क्यों पंजाब सरकार यह सब कर रही है?

यह भी पढ़ें: IPL 2022 पहले से बेहतर और रोमांचक होने के आसार

दरअसल, परगट सिंह ने हांडा से कहा था कि सरकार उनकी कोई मदद नहीं कर सकती, क्योंकि मूक-बधिर खिलाड़ियों के लिए कोई नीति नहीं है. कांग्रेस सरकार के इस रवैए को लेकर मलिका हांडा की मां रेणु हांडा ने भी चन्नी सरकार पर निशाना साधा है. रेणु हांडा ने कहा है, पांच साल बाद भी खिलाड़ियों के लिए कोई नीति क्यों नहीं बनाई गई है?

यह भी पढ़ें: नोवाक जोकोविच ने ट्वीट कर ऑस्ट्रेलियन ओपन में खेलने की पुष्टि की

बता दें, नेशनल चैंपियन मलिका अपना ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद इसी साल सितंबर में चंडीगढ़ में पंजाब के खेल विभाग के निदेशक से संपर्क कर नौकरी और आर्थिक सहायता के लिए मदद मांगी थीं. लेकिन राज्य सरकार की ओर से उदासीनता भरी प्रतिक्रिया मिली तो डायरेक्टर के केबिन से बाहर निकलने के बाद हांडा के सब्र का बांध टूट गया. इसके बाद ट्विटर पर सांकेतिक भाषा में उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त की थी. उनका वीडियो सोशल मीडिया पर तुरंत वायरल हो गया और लोगों ने उन्हें भावनात्मक रूप से सपोर्ट भी किया.

इससे पहले भी मलिका ने कई बार सरकार से गुहार लगाई

मलिका हांडा ने कई बार सरकार और लोगों के सामने गुहार लगाई, लेकिन अब तक उन्हें कोई मदद नहीं मिल सकी. एक बार फिर उन्होंने सोशल मीडिया पर अपना एक वीडियो शेयर कर सरकार के खिलाफ नाराजगी जताई है. इससे पहले भी मलिका ने कई सोशल मीडिया पोस्ट के लिए सरकार को चीजें याद दिलाईं, लेकिन अब तक उन्हें निराशा ही हाथ लगी है.

हैदराबाद: शतरंज में सात बार की चैंपियन खिलाड़ी और दिव्यांग (मूक-बधिर) मलिका हांडा पंजाब सरकार के सौतेले व्यवहार से लगातार पीड़ित हैं. वे लगातार सरकार के सामने सरकारी नौकरी और ईनाम के लिए गुहार लगा रही हैं, लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं आया है. मलिका ने आरोप लगाया, कांग्रेस की पंजाब सरकार ने पिछले पांच साल से मेरा मजाक ही बनाया.

बता दें, मलिका ने शतरंज में सात बार नेशनल चैम्पियनशिप जीती है. उन्होंने इसके अलावा कई इंटरनेशनल चैम्पियनशिप भी जीती हैं. इसके बावजूद अब तक पंजाब सरकार से उन्हें न तो कोई मदद मिली और न ही कोई सरकारी नौकरी का ऑफर आया है.

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मलिका ने रविवार (2 जनवरी) को एक ट्विट किया. इसमें उन्होंने लिखा- मुझे बहुत दुख पहुंचा है. मैं 31 दिसंबर 2021 को पंजाब के स्पोर्ट्स मिनिस्टर से मिली थी. अब वे कह रहे हैं कि पंजाब सरकार कोई सरकारी नौकरी या नगदी ईनाम नहीं दे सकती, क्योंकि उनके पास मूक-बधिर खिलाड़ियों के लिए कोई पॉलिसी ही नहीं है.

शतरंज खिलाड़ी मलिका हांडा और उनकी मां

इससे पहले वाले स्पोर्ट्स मिनिस्टर ने मुझे नगदी ईनाम देने की घोषणा की थी. मैंने इसके लिए एक पत्र भी लिखा था. उन्होंने मुझे इसके बाद निमंत्रण भी भेजा था, लेकिन कोरोना के चलते यह रद्द कर दिया गया. यही सब कुछ मौजूदा स्पोर्ट्स मिनिस्टर परगत सिंह के समय भी हो रहा है. उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया है कि यह घोषणा पूर्व मंत्री ने की थी, मैंने या सरकार ने नहीं.

मलिका ने लिखा, मैं सिर्फ यही कहना चाहती हूं कि फिर घोषणा क्यों की थी. कांग्रेस सरकार में मेरे पांच साल बर्बाद हुए हैं. उन्होंने मेरा मजाक बनाया है. उन्होंने मूक-बधिर खिलाड़ियों की कोई देखभाल नहीं की. जिला कांग्रेस ने भी मुझे हर बार सपोर्ट का आश्वासन दिया, लेकिन पांच सालों में कुछ नहीं हुआ. क्यों-क्यों पंजाब सरकार यह सब कर रही है?

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दरअसल, परगट सिंह ने हांडा से कहा था कि सरकार उनकी कोई मदद नहीं कर सकती, क्योंकि मूक-बधिर खिलाड़ियों के लिए कोई नीति नहीं है. कांग्रेस सरकार के इस रवैए को लेकर मलिका हांडा की मां रेणु हांडा ने भी चन्नी सरकार पर निशाना साधा है. रेणु हांडा ने कहा है, पांच साल बाद भी खिलाड़ियों के लिए कोई नीति क्यों नहीं बनाई गई है?

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बता दें, नेशनल चैंपियन मलिका अपना ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद इसी साल सितंबर में चंडीगढ़ में पंजाब के खेल विभाग के निदेशक से संपर्क कर नौकरी और आर्थिक सहायता के लिए मदद मांगी थीं. लेकिन राज्य सरकार की ओर से उदासीनता भरी प्रतिक्रिया मिली तो डायरेक्टर के केबिन से बाहर निकलने के बाद हांडा के सब्र का बांध टूट गया. इसके बाद ट्विटर पर सांकेतिक भाषा में उन्होंने अपनी पीड़ा व्यक्त की थी. उनका वीडियो सोशल मीडिया पर तुरंत वायरल हो गया और लोगों ने उन्हें भावनात्मक रूप से सपोर्ट भी किया.

इससे पहले भी मलिका ने कई बार सरकार से गुहार लगाई

मलिका हांडा ने कई बार सरकार और लोगों के सामने गुहार लगाई, लेकिन अब तक उन्हें कोई मदद नहीं मिल सकी. एक बार फिर उन्होंने सोशल मीडिया पर अपना एक वीडियो शेयर कर सरकार के खिलाफ नाराजगी जताई है. इससे पहले भी मलिका ने कई सोशल मीडिया पोस्ट के लिए सरकार को चीजें याद दिलाईं, लेकिन अब तक उन्हें निराशा ही हाथ लगी है.

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