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Nikhat Zareen: पहले कंधे की चोट...फिर मैरी कॉम से विवाद, आसान नहीं रहा विश्व चैंपियन बनने का सफर

भारतीय मुक्केबाज निकहत जरीन गुरुवार को इस्तांबुल में महिला विश्व चैंपियनशिप के फ्लाइवेट (52 किग्रा) वर्ग के एकतरफा फाइनल में थाईलैंड की जिटपोंग जुटामस को 5-0 से हराकर विश्व चैंपियन बन गई हैं. तेलंगाना की मुक्केबाज जरीन ने थाईलैंड की प्रतिद्वंद्वी को सर्वसम्मत फैसले से हराया. इस जीत के साथ जरीन विश्व चैंपियन बनने वाली सिर्फ पांचवीं भारतीय महिला मुक्केबाज बन गई है. निकहत का जन्म तेलंगाना के निजामाबाद में 14 जून 1996 को हुआ था. उनके पिता का नाम मुहम्मद जमील अहमद और माता का नाम परवीन सुल्ताना है. इस भारतीय स्टार ने 13 साल की उम्र में बाक्सिंग ग्ल्बस से दोस्ती कर ली थी. वो भारतीय मुक्केबाजी की लीजेंड एमसी मैरीकाम को अपना आदर्श मानती हैं.

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Published : May 20, 2022, 4:07 PM IST

नई दिल्ली: आज पूरा देश भारतीय मुक्केबाज निकहत जरीन की सफलता का जश्न मना रहा है, जिन्होंने गुरुवार को महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया. हालांकि, युवा मुक्केबाज का सफर आसान नहीं रहा है, क्योंकि वह पिछले कुछ साल में बहुत कठिन रास्तों से गुजरी हैं. जो लोग मुक्केबाज को जानते हैं या जिन्होंने उनकी यात्रा को करीब से देखा है, वे बता सकते हैं कि कैसे उन्होंने खेल के प्रति अपने दृढ़ संकल्प और जुनून को आगे बढ़ाया है.

साल 2019 में निकहत सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रही थीं, क्योंकि वह ओलंपिक क्वॉलीफायर के लिए टीम में जगह बनाने के लिए 6 बार की विश्व चैंपियन एमसी मैरी कॉम के खिलाफ मैच कराने के लिए खेल मंत्री किरेन रिजिजू को पत्र लिखने के बाद लोग उनका मजाक उड़ा रहे थे. युवा मुक्केबाज को उनकी 'निष्पक्ष' अपील के लिए सोशल मीडिया पर बुरी तरह से ट्रोल किया गया था. बाद में उन्हें मुकाबला खेलने को तो मिला, लेकिन वह इस महान मुक्केबाज से 1-9 से हार गईं थी, जिसके बाद मैरी ने मैच के बाद उनसे हाथ मिलाने से भी इनकार कर दिया था.

यह भी पढ़ें: Boxer Nikhat Zareen: 'वो कहते थे छोटे कपड़े मत पहनो...और आज वही बनी वर्ल्ड चैम्पियन'

इतनी शमिर्ंदगी का सामना करते हुए मुक्केबाज कुछ समय के लिए चुप रहीं और प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया. उन्होंने हार से उबरने के लिए मीडिया से भी बातचीत करना बंद कर दिया. पिछली बार जब आईएएनएस बॉक्सर से बात करने में कामयाब रहा, तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि मेरा टाइम आएगा. गुरुवार को ट्विटर पर निकहत फिर से ट्रेंड कर रहा थीं और बॉक्सर उत्साहित थी. क्योंकि एक बार फिर से ट्रेंड करना उनका सपना था.

निकहत ने अपनी जीत के बाद कहा, मैं ट्विटर पर ट्रेंड कर रही हूं ट्विटर पर ट्रेंड करना मेरे सपनों में से एक था. 25 साल की मुक्केबाज अपने मौके की प्रतीक्षा कर रही थीं और वह समय तब आया जब मैरी कॉम ने इस साल 2022 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप को छोड़ने का फैसला किया. निकहत जानती थी कि यह उसके लिए काबिलियत साबित करने का अच्छा अवसर है. उन्होंने इवेंट के लिए ट्रायल भी जीते.

यह भी पढ़ें: करियर की बाधाओं ने मुझे मानसिक रूप से मजबूत बनाया : निकहत जरीन

उन्होंने कोविड-19 ब्रेक के बावजूद अच्छी तरह से ट्रेनिंग ली, जिसके परिणामस्वरूप रिंग के अंदर एक नई निकहत देखी गईं. उसकी गति और शक्ति अतुलनीय थी. जीतने की भूख इतनी थी कि उसने अपने सभी मुकाबले आसानी से जीते. कोई भी विरोधी उनके खिलाफ खड़ा नहीं हो सका. गुरुवार को उसने इस्तांबुल में स्वर्ण पदक जीतने के लिए 5-0 से जीत दर्ज की. उम्मीदों पर खरा उतरते हुए निकहत ने थाईलैंड के जितपोंग जुतामास को 52 किग्रा फाइनल में बिना पसीना बहाए हरा दिया, जिसमें जजों ने भारत के पक्ष में 30-27, 29-28, 29-28, 30-27, 29-28 स्कोर दिया.

निजामाबाद (तेलंगाना) में जन्मी मुक्केबाज छह बार की चैंपियन मैरी कॉम (2002, 2005, 2006, 2008, 2010 और 2018), सरिता देवी (2006), जेनी आरएल (2006) और लेख केसी (2006) के बाद विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल करने वाली पांचवीं भारतीय महिला बनीं. साल 2018 में महान मुक्केबाज मैरी कॉम के जीतने के बाद से यह भारत का पहला स्वर्ण पदक भी था.

नई दिल्ली: आज पूरा देश भारतीय मुक्केबाज निकहत जरीन की सफलता का जश्न मना रहा है, जिन्होंने गुरुवार को महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया. हालांकि, युवा मुक्केबाज का सफर आसान नहीं रहा है, क्योंकि वह पिछले कुछ साल में बहुत कठिन रास्तों से गुजरी हैं. जो लोग मुक्केबाज को जानते हैं या जिन्होंने उनकी यात्रा को करीब से देखा है, वे बता सकते हैं कि कैसे उन्होंने खेल के प्रति अपने दृढ़ संकल्प और जुनून को आगे बढ़ाया है.

साल 2019 में निकहत सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रही थीं, क्योंकि वह ओलंपिक क्वॉलीफायर के लिए टीम में जगह बनाने के लिए 6 बार की विश्व चैंपियन एमसी मैरी कॉम के खिलाफ मैच कराने के लिए खेल मंत्री किरेन रिजिजू को पत्र लिखने के बाद लोग उनका मजाक उड़ा रहे थे. युवा मुक्केबाज को उनकी 'निष्पक्ष' अपील के लिए सोशल मीडिया पर बुरी तरह से ट्रोल किया गया था. बाद में उन्हें मुकाबला खेलने को तो मिला, लेकिन वह इस महान मुक्केबाज से 1-9 से हार गईं थी, जिसके बाद मैरी ने मैच के बाद उनसे हाथ मिलाने से भी इनकार कर दिया था.

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इतनी शमिर्ंदगी का सामना करते हुए मुक्केबाज कुछ समय के लिए चुप रहीं और प्रशिक्षण पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया. उन्होंने हार से उबरने के लिए मीडिया से भी बातचीत करना बंद कर दिया. पिछली बार जब आईएएनएस बॉक्सर से बात करने में कामयाब रहा, तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि मेरा टाइम आएगा. गुरुवार को ट्विटर पर निकहत फिर से ट्रेंड कर रहा थीं और बॉक्सर उत्साहित थी. क्योंकि एक बार फिर से ट्रेंड करना उनका सपना था.

निकहत ने अपनी जीत के बाद कहा, मैं ट्विटर पर ट्रेंड कर रही हूं ट्विटर पर ट्रेंड करना मेरे सपनों में से एक था. 25 साल की मुक्केबाज अपने मौके की प्रतीक्षा कर रही थीं और वह समय तब आया जब मैरी कॉम ने इस साल 2022 विश्व कुश्ती चैंपियनशिप को छोड़ने का फैसला किया. निकहत जानती थी कि यह उसके लिए काबिलियत साबित करने का अच्छा अवसर है. उन्होंने इवेंट के लिए ट्रायल भी जीते.

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उन्होंने कोविड-19 ब्रेक के बावजूद अच्छी तरह से ट्रेनिंग ली, जिसके परिणामस्वरूप रिंग के अंदर एक नई निकहत देखी गईं. उसकी गति और शक्ति अतुलनीय थी. जीतने की भूख इतनी थी कि उसने अपने सभी मुकाबले आसानी से जीते. कोई भी विरोधी उनके खिलाफ खड़ा नहीं हो सका. गुरुवार को उसने इस्तांबुल में स्वर्ण पदक जीतने के लिए 5-0 से जीत दर्ज की. उम्मीदों पर खरा उतरते हुए निकहत ने थाईलैंड के जितपोंग जुतामास को 52 किग्रा फाइनल में बिना पसीना बहाए हरा दिया, जिसमें जजों ने भारत के पक्ष में 30-27, 29-28, 29-28, 30-27, 29-28 स्कोर दिया.

निजामाबाद (तेलंगाना) में जन्मी मुक्केबाज छह बार की चैंपियन मैरी कॉम (2002, 2005, 2006, 2008, 2010 और 2018), सरिता देवी (2006), जेनी आरएल (2006) और लेख केसी (2006) के बाद विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल करने वाली पांचवीं भारतीय महिला बनीं. साल 2018 में महान मुक्केबाज मैरी कॉम के जीतने के बाद से यह भारत का पहला स्वर्ण पदक भी था.

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