ETV Bharat / sports

Neeraj Chopra: पाई-पाई जोड़कर परिवार वालों ने दिलाया था 'भाला उस्ताद' को भाला

author img

By

Published : Jul 24, 2022, 9:33 AM IST

ओलंपिक चैंपियन नीरज चोपड़ा विश्व एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में पदक जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष बन गए, जिन्होंने भाला फेंक स्पर्धा में 88.13 मीटर के थ्रो के साथ रजत पदक जीता. भारत के लिए विश्व चैम्पियनशिप में एकमात्र पदक साल 2003 में पेरिस में अंजू बॉबी जॉर्ज ने लंबी कूद में कांस्य जीता था. फाउल से शुरुआत करने वाले चोपड़ा ने शानदार वापसी करते हुए दूसरे प्रयास में 82.39, तीसरे में 86.37 और चौथे प्रयास में 88.13 मीटर का थ्रो फेंका. एक के बाद एक टूर्नामेंट में नीरज को सफलता यू हीं नहीं मिली. इसके लिए उन्होंने काफी त्याग किए हैं. एक समय घरवालों से बात करना भी कम कर दिया था, सोशल मीडिया से दूरी बनाई. पढ़ें उनकी सफलता की कहानी...

Neeraj Chopra  Indias Golden Boy Story  Neeraj Chopra family  Neeraj Chopra Support  Golden Boy Neeraj Chopra  World Athletics Men's javelin throw final  नीरज चोपड़ा ने जीता सिल्वर मेडल  नीरज चोपड़ा का परिवार  भाला फेंक खिलाड़ी  खेल समाचार  सिल्वर मेडल  नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास  भाला उस्ताद
Neeraj Chopra Story

हैदराबाद: भारत के 'गोल्डन ब्वॉय' नीरज चोपड़ा ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया है. टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण जीतने वाले इस भाला फेंक एथलीट ने अमेरिका में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में देश को रजत पदक दिलाया. वह विश्व एथलेटिक्स में पदक जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष बन गए हैं. उनसे पहले महिलाओं में दिग्गज एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज ने साल 2003 में ऐतिहासिक कांस्य पदक जीता था. नीरज ने चौथे राउंड में 88.13 मीटर दूर भाला फेंकर रजत अपने नाम किया. ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स ने दूसरे राउंड में 90.46 दूर भाला फेंककर स्वर्ण पदक अपने नाम किया.

बता दें, नीरज संयुक्त परिवार में रहते हैं. उनके माता-पिता के अलावा तीन चाचा शामिल हैं. एक ही छत के नीचे रहने वाले 19 सदस्यीय परिवार में चचेरे 10 भाई-बहनों में नीरज सबसे बड़े हैं. ऐसे में वह परिवार के लाडले हैं. उन्हें इस खेल में अगले स्तर पर पहुंचने के लिए वित्तीय मदद की जरूरत थी, जिसमें बेहतर उपकरण और बेहतर आहार की आवश्यकता थी. ऐसे में उनके संयुक्त किसान परिवार जिसमें उनके माता-पिता के अलावा तीन चाचा शामिल हैं. परिवार की हालत ठीक नहीं थी और उसे 1.5 लाख रुपए का जेवलिन नहीं दिला सकते थे. पिता सतीश चोपड़ा और चाचा भीम ने जैसे-तैसे सात हजार रुपए जोड़े और उन्हें अभ्यास के लिए एक जेवलिन लाकर दिया.

यह भी पढ़ें: शाबाश 'भाला उस्ताद'! वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत को 19 साल बाद दिलाया मेडल

जूनियर विश्व रिकॉर्ड बनाकर आए सुर्खियों में

नीरज चोपड़ा साल 2016 में जूनियर विश्व चैंपियनशिप में 86.48 मीटर के अंडर-20 विश्व रिकॉर्ड के साथ एक ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद सुर्खियों में आए और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. नीरज ने साल 2017 में सेना से जुड़ने के बाद कहा था कि हम किसान हैं, परिवार में किसी के पास सरकारी नौकरी नहीं है और मेरा परिवार बड़ी मुश्किल से मेरा साथ देता आ रहा है. लेकिन अब यह एक राहत की बात है कि मैं अपने प्रशिक्षण को जारी रखने के अलावा अपने परिवार का आर्थिक रूप से समर्थन करने में सक्षम हूं.

जीवन में उतार-चढ़ाव का सिलसिला जारी रहा और एक समय ऐसा भी आया जब नीरज के पास कोच नहीं था. मगर नीरज ने हार नहीं मानी और यूट्यूब चैनल से विशेषज्ञों की टिप्स पर अमल करते हुए अभ्यास के लिए मैदान में पहुंच जाते थे. वीडियो देखकर अपनी कई कमियों को दूर किया. इसे खेल के प्रति उनका जज्बा कहें कि जहां से भी सीखने का मौका मिला उन्होंने झट से लपक लिया.

यह भी पढ़ें: World Athletics Championship: नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास, जीता सिल्वर मेडल

खेलों से नीरज के जुड़ाव की शुरुआत हालांकि काफी दिलचस्प तरीके से हुई. संयुक्त परिवार में रहने वाले नीरज बचपन में काफी मोटे थे और परिवार के दबाव में वजन कम करने के लिए वह खेलों से जुड़े. वह 13 साल की उम्र तक काफी शरारती थे, उनके पिता सतीश कुमार चोपड़ा बेटे को अनुशासित करने के लिए कुछ करना चाहते थे.

काफी मनाने के बाद नीरज दौड़ने के लिए तैयार हुए, जिससे उनका वजन घट सके. उनके चाचा उन्हें गांव से 15 किलोमीटर दूर पानीपत स्थित शिवाजी स्टेडियम लेकर गए. नीरज को दौड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं थी और जब उन्होंने स्टेडियम में कुछ खिलाड़ियों को भाला फेंक का अभ्यास करते देखा तो उन्हें इस खेल से प्यार हो गया. उन्होंने इसमें हाथ आजमाने का फैसला किया और अब वह एथलेटिक्स में देश के सबसे बड़े खिलाड़ियों में से एक बन गए.

हैदराबाद: भारत के 'गोल्डन ब्वॉय' नीरज चोपड़ा ने एक बार फिर से इतिहास रच दिया है. टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण जीतने वाले इस भाला फेंक एथलीट ने अमेरिका में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में देश को रजत पदक दिलाया. वह विश्व एथलेटिक्स में पदक जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष बन गए हैं. उनसे पहले महिलाओं में दिग्गज एथलीट अंजू बॉबी जॉर्ज ने साल 2003 में ऐतिहासिक कांस्य पदक जीता था. नीरज ने चौथे राउंड में 88.13 मीटर दूर भाला फेंकर रजत अपने नाम किया. ग्रेनाडा के एंडरसन पीटर्स ने दूसरे राउंड में 90.46 दूर भाला फेंककर स्वर्ण पदक अपने नाम किया.

बता दें, नीरज संयुक्त परिवार में रहते हैं. उनके माता-पिता के अलावा तीन चाचा शामिल हैं. एक ही छत के नीचे रहने वाले 19 सदस्यीय परिवार में चचेरे 10 भाई-बहनों में नीरज सबसे बड़े हैं. ऐसे में वह परिवार के लाडले हैं. उन्हें इस खेल में अगले स्तर पर पहुंचने के लिए वित्तीय मदद की जरूरत थी, जिसमें बेहतर उपकरण और बेहतर आहार की आवश्यकता थी. ऐसे में उनके संयुक्त किसान परिवार जिसमें उनके माता-पिता के अलावा तीन चाचा शामिल हैं. परिवार की हालत ठीक नहीं थी और उसे 1.5 लाख रुपए का जेवलिन नहीं दिला सकते थे. पिता सतीश चोपड़ा और चाचा भीम ने जैसे-तैसे सात हजार रुपए जोड़े और उन्हें अभ्यास के लिए एक जेवलिन लाकर दिया.

यह भी पढ़ें: शाबाश 'भाला उस्ताद'! वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत को 19 साल बाद दिलाया मेडल

जूनियर विश्व रिकॉर्ड बनाकर आए सुर्खियों में

नीरज चोपड़ा साल 2016 में जूनियर विश्व चैंपियनशिप में 86.48 मीटर के अंडर-20 विश्व रिकॉर्ड के साथ एक ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने के बाद सुर्खियों में आए और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. नीरज ने साल 2017 में सेना से जुड़ने के बाद कहा था कि हम किसान हैं, परिवार में किसी के पास सरकारी नौकरी नहीं है और मेरा परिवार बड़ी मुश्किल से मेरा साथ देता आ रहा है. लेकिन अब यह एक राहत की बात है कि मैं अपने प्रशिक्षण को जारी रखने के अलावा अपने परिवार का आर्थिक रूप से समर्थन करने में सक्षम हूं.

जीवन में उतार-चढ़ाव का सिलसिला जारी रहा और एक समय ऐसा भी आया जब नीरज के पास कोच नहीं था. मगर नीरज ने हार नहीं मानी और यूट्यूब चैनल से विशेषज्ञों की टिप्स पर अमल करते हुए अभ्यास के लिए मैदान में पहुंच जाते थे. वीडियो देखकर अपनी कई कमियों को दूर किया. इसे खेल के प्रति उनका जज्बा कहें कि जहां से भी सीखने का मौका मिला उन्होंने झट से लपक लिया.

यह भी पढ़ें: World Athletics Championship: नीरज चोपड़ा ने रचा इतिहास, जीता सिल्वर मेडल

खेलों से नीरज के जुड़ाव की शुरुआत हालांकि काफी दिलचस्प तरीके से हुई. संयुक्त परिवार में रहने वाले नीरज बचपन में काफी मोटे थे और परिवार के दबाव में वजन कम करने के लिए वह खेलों से जुड़े. वह 13 साल की उम्र तक काफी शरारती थे, उनके पिता सतीश कुमार चोपड़ा बेटे को अनुशासित करने के लिए कुछ करना चाहते थे.

काफी मनाने के बाद नीरज दौड़ने के लिए तैयार हुए, जिससे उनका वजन घट सके. उनके चाचा उन्हें गांव से 15 किलोमीटर दूर पानीपत स्थित शिवाजी स्टेडियम लेकर गए. नीरज को दौड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं थी और जब उन्होंने स्टेडियम में कुछ खिलाड़ियों को भाला फेंक का अभ्यास करते देखा तो उन्हें इस खेल से प्यार हो गया. उन्होंने इसमें हाथ आजमाने का फैसला किया और अब वह एथलेटिक्स में देश के सबसे बड़े खिलाड़ियों में से एक बन गए.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.