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शतरंज चैंपियनशिप में बिना हिजाब उतरीं सारा खादेम, विरोध आंदोलन का किया समर्थन

ईरान में हिजाब का विरोध जारी है और अब शतरंज खिलाड़ी सारा खादेम भी उन महिलाओं के साथ जुड़ गई हैं जो हिजाब का विरोध कर रहीं हैं.

sara khadem hijab issue
शतरंज चैंपियनशिप में बिना हिजाब उतरीं सारा खादेम, विरोध आंदोलन का किया समर्थन
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Published : Dec 28, 2022, 1:10 PM IST

Updated : Dec 28, 2022, 3:41 PM IST

नई दिल्लीः सारा खादेम (Sara Khadem) ने फिडे (FIDE) विश्व रेपिड और बिल्ट्ज शतरंज चैंपियनशिप (World Rapid Blitz Chess Champioship ) में बिना स्कार्फ और हिजाब के भाग लेकर उन महिलाओं का हौंसला बढ़ाया है जो ईरान में स्कार्फ और हिजाब का विरोध (Protest Against Hijab) कर रहीं हैं. अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ 25 से 30 दिसंबर तक रेपिड और बिल्ट्ज शतरंज चैंपियनशिप का आयोजन कर रहा है जिसमें सारा शामिल है.

ईरान की एक महिला शतरंज खिलाड़ी सारा खादेम ने विरोध के रूप में बिना हिजाब के टूर्नामेंट में हिस्सा लेकर हिजाब न पहनने का समर्थन किया है. ईरान की महिला खिलाड़ियों को देश और विदेशों में मुकाबले के दौरान हिजाब लगाना जरूरी है. लेकिन ईरान में सितंबर से जारी हिजाब विरोधी प्रदर्शन के बाद महिला खिलाड़ी भी हिजाब न पहनकर आंदोलन को समर्थन दे रही हैं.

सारा खादेम जिन्हें सरसदत खादेमलशरीह भी कहा जाता है ने कजाखस्तान के अल्माटी में फिडे विश्व रेपिड और बिल्ट्ज शतरंज टूर्नामेंट में बिना स्कार्फ और हिजाब के हिस्सा लिया है. सारा की एक तस्वीर ईरानी एजेंसी ने पोस्ट की है जिसमें उन्होंने अपने सिर पर हेडस्कार्फ रखा है लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह फोटो टूर्नामेंट के दौरान का है या पहले का है. खादेम विश्व शतरंज रैंकिंग में 804वें स्थान पर हैं.

सारा के समाचार एजेंसी रायटर की ओर से सारा को भेजे गए व्यक्तिगत संदेश में भी उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. सारा से पहले अक्टूबर में, ईरानी पर्वतारोही एल्नाज रेकाबी (Elnaz Recabi) ने भी हिजाब का विरोध किया था. एल्नाज ने बिना हेडस्कार्फ के दक्षिण कोरिया में एक मुकाबले में हिस्सा लिया था.

इसे भी पढ़ें- E Sports : अब वीडियो गेम्स खेलने वाले भी जीतेंगे देश के लिए मेडल, ई स्पोर्ट को मिली मान्यता

क्या है हिजाब आंदोलन

ईरान में 22 वर्षीय कुर्द युवती महसा अमीनी (Mahsa Amini) की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी, जिसके बाद पूरे देश में लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. महसा पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने ड्रेस कोड का उल्लंघन किया था. हाल ही में विश्वकप के दौरान ईरान फुटबाल टीम के खिलाड़ी अपने पहले मुकाबले के दौरान राष्ट्रगान के दौरान मौन रहे थे, इसे भी हिजाब विरोधी आंदोलन का समर्थन बताया गया था.

नई दिल्लीः सारा खादेम (Sara Khadem) ने फिडे (FIDE) विश्व रेपिड और बिल्ट्ज शतरंज चैंपियनशिप (World Rapid Blitz Chess Champioship ) में बिना स्कार्फ और हिजाब के भाग लेकर उन महिलाओं का हौंसला बढ़ाया है जो ईरान में स्कार्फ और हिजाब का विरोध (Protest Against Hijab) कर रहीं हैं. अंतरराष्ट्रीय शतरंज महासंघ 25 से 30 दिसंबर तक रेपिड और बिल्ट्ज शतरंज चैंपियनशिप का आयोजन कर रहा है जिसमें सारा शामिल है.

ईरान की एक महिला शतरंज खिलाड़ी सारा खादेम ने विरोध के रूप में बिना हिजाब के टूर्नामेंट में हिस्सा लेकर हिजाब न पहनने का समर्थन किया है. ईरान की महिला खिलाड़ियों को देश और विदेशों में मुकाबले के दौरान हिजाब लगाना जरूरी है. लेकिन ईरान में सितंबर से जारी हिजाब विरोधी प्रदर्शन के बाद महिला खिलाड़ी भी हिजाब न पहनकर आंदोलन को समर्थन दे रही हैं.

सारा खादेम जिन्हें सरसदत खादेमलशरीह भी कहा जाता है ने कजाखस्तान के अल्माटी में फिडे विश्व रेपिड और बिल्ट्ज शतरंज टूर्नामेंट में बिना स्कार्फ और हिजाब के हिस्सा लिया है. सारा की एक तस्वीर ईरानी एजेंसी ने पोस्ट की है जिसमें उन्होंने अपने सिर पर हेडस्कार्फ रखा है लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह फोटो टूर्नामेंट के दौरान का है या पहले का है. खादेम विश्व शतरंज रैंकिंग में 804वें स्थान पर हैं.

सारा के समाचार एजेंसी रायटर की ओर से सारा को भेजे गए व्यक्तिगत संदेश में भी उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. सारा से पहले अक्टूबर में, ईरानी पर्वतारोही एल्नाज रेकाबी (Elnaz Recabi) ने भी हिजाब का विरोध किया था. एल्नाज ने बिना हेडस्कार्फ के दक्षिण कोरिया में एक मुकाबले में हिस्सा लिया था.

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क्या है हिजाब आंदोलन

ईरान में 22 वर्षीय कुर्द युवती महसा अमीनी (Mahsa Amini) की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी, जिसके बाद पूरे देश में लोग सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. महसा पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने ड्रेस कोड का उल्लंघन किया था. हाल ही में विश्वकप के दौरान ईरान फुटबाल टीम के खिलाड़ी अपने पहले मुकाबले के दौरान राष्ट्रगान के दौरान मौन रहे थे, इसे भी हिजाब विरोधी आंदोलन का समर्थन बताया गया था.

Last Updated : Dec 28, 2022, 3:41 PM IST
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