गोरखपुर: ब्राजील में 5 मई को आयोजित हुए डेफ ओलंपिक (बोलने-सुनने में अक्षम खिलाड़ियों की खेल प्रतियोगिता) में बैडमिंटन में भारत को गोल्ड मेडल दिलाने वाली टीम में गोरखपुर की बेटी ने भी अहम किरदार निभाया है. बोलने और सुनने में पूरी तरह से अक्षम 12 वर्षीय बैडमिंटन खिलाड़ी आदित्या यादव की प्रतिभा से पूरा गोरखपुर गौरान्वित है.
बता दें, आदित्या अपने वर्ग में तो राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी हैं ही सामान्य वर्ग के खिलाड़ियों में भी 11 वर्ष की आयु वर्ग में देश में दूसरा स्थान रखती हैं. ओलंपिक का गोल्ड मेडल जीतने के बाद आदित्या की इच्छा है कि वह सामान्य खिलाड़ियों के ओलंपिक में भी भारत को बैडमिंटन में गोल्ड मेडल दिलाए. इसके लिए लगातार मेहनत कर रही है. सर्दी हो या गर्मी किसी की भी परवाह किए बगैर वह आदित्या यादव अपने प्रशिक्षण को जारी रखती है.
कोच पिता की मेहनत लाई रंगः
आदित्या जिस कोच के निर्देशन में अपने बैडमिंटन के खेल को इस अंजाम तक पहुंचाई है, वह कोई और नहीं बल्कि उसके अपने ही पिता और राष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी दिग्विजय नाथ यादव हैं. दिग्विजय गोरखपुर रेलवे में खेल कोटे से ही नौकरी करते हैं और अपनी बेटी को प्रशिक्षण देकर इस मुकाम तक पहुंचाया. वह अब इस उम्मीद के साथ आगे बढ़ रहे हैं कि आदित्या भारत का झंडा पूरी दुनिया में फहराने में कामयाब होगी.
प्रधानमंत्री ने किया आमंत्रितः
डेफ ओलंपिक में सफलता की कहानी गढ़ने वाली आदित्या के साथ पूरी टीम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21 मई को अपने आवास पर सम्मान और भोज के लिए आमंत्रित किया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी आदित्या की जीत पर बधाई दिया था. इसके पहले भी आदित्या देश स्तर पर आयोजित होने वाली कई प्रतियोगिताओं में सम्मानित हो चुकी हैं. पीवी सिंधु, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई मंच पर सम्मानित कर चुके हैं.
बेटी को सामान्य खिलाड़ियों के कैडर में भी अवसर मिले:
आदित्या यादव के कोच और पिता बेटी की इस सफलता से बेहद ही खुश और भावुक हैं. गोरखपुर के लोग भी आदित्या की सफलता को बड़ी सफलता मान रहे हैं. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए आदित्या के पिता दिग्विजय नाथ यादव ने कहा कि 'आदित्या यादव महज 5 साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था. इसके जुनून को देखकर पीवी सिंधु भी दंग रह गई थीं.
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ईश्वर ने आदित्या से बोलने- सुनने का हुनर तो छीन लिया था, लेकिन हमें ऐसा लगता है कि यही कमी आज उसे बड़ी सफलता दिलाने में भी कामयाब हुई है. एक पिता के रूप में उन्हें बेटी की इस कमियों का बेहद दुख है, जिसे दूर करने का प्रयास भी किया लेकिन सफल नहीं हो पाया. परंतु अब जो सफलता उसने हासिल किया है उसके आगे सारी कमियां भूल जाती है.' दिग्विजय कहते हैं कि 'वह चाहते हैं कि उनकी बेटी को सामान्य खिलाड़ियों के कैडर में भी खेलने का अवसर मिले. आदित्या अद्भुत प्रतिभा की धनी है. जिसके बदौलत वह भारत को विश्व की किसी प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल दिलाने में कामयाब रहेगी.'
आदित्या यादव की टीम ने फाइनल जापान को हरायाः
गौरतलब है कि ब्राजील में 1 मई से डेफ ओलंपिक की शुरुआत हुई थी. जिसमें 2 मई को भारत ने टीम चैंपियनशिप में आगाज किया था. पहले मैच में ही फ्रांस के खिलाफ भारत ने 4-1 से प्रतियोगिता जीती थी. उद्घाटन मैच मिक्स डबल में आदित्या यादव ने अपने जोड़ीदार रोहित भास्कर के साथ खेला था. पहला मैच 21-15, 17-21 और 21-16 से जीतकर उसने भारत को मनोवैज्ञानिक बढ़त दिलाई थी.
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सेमीफाइनल में बेहद मजबूत मानी जा रही और पिछली बार की गोल्ड मेडलिस्ट चीनी ताइपे से भारत का मुकाबला था, जिसके पहले मैच में मिक्स डबल में आदित्या और उसके जोड़ीदार अभिनव शर्मा नजदीकी मुकाबले में हार गए थे. लेकिन इसके बाद महिला सिंगल्स, पुरुष सिंगल्स और महिला डबल्स में लगातार तीन मैच जीतकर भारत ने फाइनल में प्रवेश किया. आदित्या यादव और उनकी टीम ने जापान को फाइनल में हराकर भारत को स्वर्ण पदक दिलाने में कामयाबी हासिल की.
आदित्या यादव की टीमः अभिनव शर्मा, रोहित भास्कर, हृतिक आनंद, महेश, जर्लिन जायाट्टघान,श्रेया सिंगला, गौरांशी शर्मा और कोच सोनू आनंद शर्मा और पूनम तिवारी थे.