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अवसाद, संघर्ष और दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ने की कहानी है अवनि की

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Published : Aug 30, 2021, 5:29 PM IST

फरवरी 2012 में एक सड़क दुर्घटना के बाद अवनि के कमर के नीचे के शरीर को लकवा मार गया था. उसके बाद से टोक्यो पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने तक का उनका सफर अवसाद से निकलकर संघर्ष करने एवं दृढ़ संकल्प से आगे बढ़ने की सफल कहानी बन गया है. यह सफलता की ऐसी कहानी है, जिसमें उनके पिता के पास अपनी खुशी बयान करने के लिए शब्द तक कम पड़ गए हैं.

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अवनि लेखरा

जयपुर: अवनि लेखरा ने सोमवार को टोक्यो पैरालंपिक में महिलाओं की आर-2 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच1 में पहला स्थान हासिल करके स्वर्ण पदक जीता. जयपुर की यह 19 वर्षीय निशानेबाज पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं.

अवनि के पिता प्रवीण लेखरा ने बेटी की सफलता पर कहा कि उनके पास अपनी खुशी व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं. प्रवीण यहां राजकीय सेवा में हैं. अवनि 20 फरवरी 2012 को एक कार दुर्घटना की शिकार हो गई थीं, जब वह केवल 11 साल की थीं. इस दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी को गहरी चोट लगी और उनके कमर के नीचे के शरीर को लकवा मार गया. उसके बाद से वह व्हीलचेयर के सहारे हैं.

यह भी पढ़ें: Tokyo Paralympics: सुमित ने रिकॉर्ड थ्रो के साथ जीता गोल्ड मेडल, पैरालंपिक में भारत को दिलाया सातवां मेडल

प्रवीण लेखरा ने पीटीआई भाषा से कहा, दुर्घटना से पहले वह बहुत सक्रिय थी और हर गतिविधि में भाग लेती थी. लेकिन दुर्घटना ने उसकी जिंदगी बदल दी. वह अपनी हालत पर गुस्से में थी और शायद ही किसी से बात करना चाहती थी. बदलाव के लिए, मैं उसे जयपुर के जगतपुरा में जेडीए शूटिंग रेंज में ले गया, जहां उसमें शूटिंग में रुचि पैदा हुई.

प्रवीण ने बताया कि उन्होंने अवनि को शूटर अभिनव बिंद्रा की जीवनी भी पढ़ने के लिए दी और उसे पढ़ने के बाद अवनि के मन में ख्याल आया कि वह शूटिंग भी कर सकती और अप्रैल 2015 से वह लगभग नियमित रूप से शूटिंग रेंज में जाने लगीं. पिता के मुताबिक हालांकि शुरूआत में उसे व्हीलचेयर चलाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा जो कि मानदंडों के मुताबिक नहीं थी. इसके अलावा बंदूक और शूटिंग किट भी उपलब्ध नहीं थी.

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उन्होंने कहा, हालांकि, कोच ने पूरा सहयोग दिया और उसने अच्छा प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. अपने दृढ़ संकल्प के साथ, उसने खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और राज्य स्तर पर स्वर्ण पदक और 2015 में राष्ट्रीय स्तर पर कांस्य पदक जीता. यह सिर्फ शुरूआत थी और आज, उसने पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीता है, जिसकी बहुत उम्मीद थी.

जब से उनकी बेटी द्वारा देश का नाम रौशन करने की खबर आई, तब से लेखरा के पास फोन कॉल की बाढ़ आ गई है. करौली जिले के देवलेन गांव में भी जश्न का माहौल है. यहां के सुंदर सिंह गुर्जर ने पुरुषों के भाला फेंक की एफ46 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता है.

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गुर्जर ने जयपुर के सवाई मान सिंह स्टेडियम में अपने कोच महावीर सैनी की देखरेख में अभ्यास किया और उन्होंने आज पैरालंपिक खेलों में कांस्य पदक जीता. उनके भाई हरिओम गुर्जर ने कहा कि इस उपलब्धि से पूरा गांव खुश है, हालांकि सुंदर सिंह को स्वर्ण पदक जीतने का भरोसा था लेकिन वह चूक गए.

उन्होंने कहा, अधिकांश ग्रामीण दो स्थानों पर टीवी देखने के लिए एकत्रित हुए. एक तो उनके घर तथा दूसरा गांव का मंदिर जहां सुंदर की सफलता की कामना के लिए विशेष पूजा की जा रही थी. उन्होंने कहा कि ग्रामीण ने मिठाई बांटकर सुंदर सिंह की सफलता का जश्न मनाया.

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उन्होंने कहा, सुंदर शादीशुदा है और उसके दो बच्चे हैं. उनमें से एक का जन्म पिछले साल जन्माष्टमी के दिन हुआ था और इस साल जन्माष्टमी के दिन सुंदर ने देश का नाम रोशन किया है.

गुर्जर की मां स्थानीय ग्राम पंचायत की सरपंच हैं. अवनि लेखरा और सुंदर सिंह गुर्जर के अलावा पैरालंपिक में रजत पदक जीतने वाले भाला फेंक खिलाड़ी देवेंद्र झाझड़िया भी राजस्थान के हैं. राजस्थान सरकार ने टोक्यो पैरालंपिक खेलों में शानदार प्रदर्शन करने वाले राज्य के खिलाड़ियों को नकद राशि का इनाम देने की घोषणा सोमवार को की जिसके तहत अवनि लेखरा को तीन करोड़ रुपए, देवेंद्र झाझड़िया को दो करोड़ रुपए तथा सुन्दर सिंह गुर्जर को एक करोड़ रुपए दिए जाएंगे.

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट किया, टोक्यो पैरालंपिक में राज्य की अवनि लेखरा को स्वर्ण जीतने पर तीन करोड़ रुपए, देवेंद्र झाझड़िया को रजत जीतने पर दो करोड़ रुपए तथा सुन्दर सिंह गुर्जर को कांस्य पदक जीतने पर एक करोड़ रुपए की राशि इनाम स्वरुप प्रदान की जाएगी. उन्होंने कहा, तीनों खिलाड़ियों को पहले से ही राज्य सरकार के वन विभाग में एसीएफ के पद पर नियुक्ति दी हुई है. राज्य के खिलाड़ियों ने पदक जीतकर देश-प्रदेश का नाम रोशन किया है, हमें उन पर बेहद गर्व है.

उल्लेखनीय है कि 19 वर्षीय लेखरा ने सोमवार को टोक्यो पैरालंपिक खेलों की निशानेबाजी प्रतियोगिता में महिलाओं के आर-2 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच1 में स्वर्ण पदक जीतकर यह मुकाम हासिल किया.

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गहलोत ने खिलाड़ियों को बधाई देते हुए कहा, जयपुर की अवनि लेखरा को निशानेबाजी प्रतियोगिता में महिलाओं के 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीत कर भारत के लिये इतिहास रचने के लिये हार्दिक बधाई, पूरे देश को उन पर बहुत गर्व हैं. यह भारतीय खेलों के लिये बहुत अच्छा दिन है.

उन्होंने कहा, 'हमें राजस्थान के पैरालंपिक भाला फैंकने वाले देवेन्द्र झाझड़िया पर बहुत गर्व है, जिन्होंने टोक्यो पैरालंपिक खेल में सिल्वर पदक और सुंदर सिंह गुर्जर ने कांस्य पदक जीते. यह एक अद्भुत क्षण है.

यह भी पढ़ें: ऐसा लग रहा है जैसे दुनिया में शीर्ष पर हूं, यह अविश्वसनीय है : अवनि लेखरा

गहलोत की ओर से जारी एक बयान के अनुसार राज्य सरकार खेलों को बढ़ावा देने के लिए राज्य में पदक विजेता खिलाड़ियों को आउट आफ टर्न पॉलिसी के आधार पर राजकीय सेवाओं में नियुक्तियां दी जा रही हैं. टोक्यो पैरालंपिक खेलों में मेडल जीतने वाले तीनों खिलाड़ी अवनि लेखरा, देवेन्द्र झाझड़िया तथा सुन्दर गुर्जर को राज्य सरकार ने आउट आफ टर्न आधार पर वन विभाग में सहायक वन संरक्षक के रूप में नियुक्ति प्रदान की है.

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इसके अनुसार राज्य की इन तीनों खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए पैरालंपिक खेलों के प्रशिक्षण के रूप में 5-5 लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं. अवनि लेखरा और सुन्दर गुर्जर को राज्य क्रीड़ा परिषद द्वारा निःशुल्क प्रशिक्षण तथा अन्य सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं. अवनी जयपुर की आधुनिकतम सुविधाओं से युक्त जगतपुरा शूटिंग रेंज में तथा सुन्दर सवाई मानसिंह स्टेडियम की एथलेटिक्स स्पोर्ट्स अकादमी में नियमित प्रशिक्षण ले रहे हैं.

जयपुर: अवनि लेखरा ने सोमवार को टोक्यो पैरालंपिक में महिलाओं की आर-2 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच1 में पहला स्थान हासिल करके स्वर्ण पदक जीता. जयपुर की यह 19 वर्षीय निशानेबाज पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं.

अवनि के पिता प्रवीण लेखरा ने बेटी की सफलता पर कहा कि उनके पास अपनी खुशी व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं. प्रवीण यहां राजकीय सेवा में हैं. अवनि 20 फरवरी 2012 को एक कार दुर्घटना की शिकार हो गई थीं, जब वह केवल 11 साल की थीं. इस दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी को गहरी चोट लगी और उनके कमर के नीचे के शरीर को लकवा मार गया. उसके बाद से वह व्हीलचेयर के सहारे हैं.

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प्रवीण लेखरा ने पीटीआई भाषा से कहा, दुर्घटना से पहले वह बहुत सक्रिय थी और हर गतिविधि में भाग लेती थी. लेकिन दुर्घटना ने उसकी जिंदगी बदल दी. वह अपनी हालत पर गुस्से में थी और शायद ही किसी से बात करना चाहती थी. बदलाव के लिए, मैं उसे जयपुर के जगतपुरा में जेडीए शूटिंग रेंज में ले गया, जहां उसमें शूटिंग में रुचि पैदा हुई.

प्रवीण ने बताया कि उन्होंने अवनि को शूटर अभिनव बिंद्रा की जीवनी भी पढ़ने के लिए दी और उसे पढ़ने के बाद अवनि के मन में ख्याल आया कि वह शूटिंग भी कर सकती और अप्रैल 2015 से वह लगभग नियमित रूप से शूटिंग रेंज में जाने लगीं. पिता के मुताबिक हालांकि शुरूआत में उसे व्हीलचेयर चलाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा जो कि मानदंडों के मुताबिक नहीं थी. इसके अलावा बंदूक और शूटिंग किट भी उपलब्ध नहीं थी.

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उन्होंने कहा, हालांकि, कोच ने पूरा सहयोग दिया और उसने अच्छा प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. अपने दृढ़ संकल्प के साथ, उसने खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और राज्य स्तर पर स्वर्ण पदक और 2015 में राष्ट्रीय स्तर पर कांस्य पदक जीता. यह सिर्फ शुरूआत थी और आज, उसने पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीता है, जिसकी बहुत उम्मीद थी.

जब से उनकी बेटी द्वारा देश का नाम रौशन करने की खबर आई, तब से लेखरा के पास फोन कॉल की बाढ़ आ गई है. करौली जिले के देवलेन गांव में भी जश्न का माहौल है. यहां के सुंदर सिंह गुर्जर ने पुरुषों के भाला फेंक की एफ46 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता है.

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गुर्जर ने जयपुर के सवाई मान सिंह स्टेडियम में अपने कोच महावीर सैनी की देखरेख में अभ्यास किया और उन्होंने आज पैरालंपिक खेलों में कांस्य पदक जीता. उनके भाई हरिओम गुर्जर ने कहा कि इस उपलब्धि से पूरा गांव खुश है, हालांकि सुंदर सिंह को स्वर्ण पदक जीतने का भरोसा था लेकिन वह चूक गए.

उन्होंने कहा, अधिकांश ग्रामीण दो स्थानों पर टीवी देखने के लिए एकत्रित हुए. एक तो उनके घर तथा दूसरा गांव का मंदिर जहां सुंदर की सफलता की कामना के लिए विशेष पूजा की जा रही थी. उन्होंने कहा कि ग्रामीण ने मिठाई बांटकर सुंदर सिंह की सफलता का जश्न मनाया.

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उन्होंने कहा, सुंदर शादीशुदा है और उसके दो बच्चे हैं. उनमें से एक का जन्म पिछले साल जन्माष्टमी के दिन हुआ था और इस साल जन्माष्टमी के दिन सुंदर ने देश का नाम रोशन किया है.

गुर्जर की मां स्थानीय ग्राम पंचायत की सरपंच हैं. अवनि लेखरा और सुंदर सिंह गुर्जर के अलावा पैरालंपिक में रजत पदक जीतने वाले भाला फेंक खिलाड़ी देवेंद्र झाझड़िया भी राजस्थान के हैं. राजस्थान सरकार ने टोक्यो पैरालंपिक खेलों में शानदार प्रदर्शन करने वाले राज्य के खिलाड़ियों को नकद राशि का इनाम देने की घोषणा सोमवार को की जिसके तहत अवनि लेखरा को तीन करोड़ रुपए, देवेंद्र झाझड़िया को दो करोड़ रुपए तथा सुन्दर सिंह गुर्जर को एक करोड़ रुपए दिए जाएंगे.

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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट किया, टोक्यो पैरालंपिक में राज्य की अवनि लेखरा को स्वर्ण जीतने पर तीन करोड़ रुपए, देवेंद्र झाझड़िया को रजत जीतने पर दो करोड़ रुपए तथा सुन्दर सिंह गुर्जर को कांस्य पदक जीतने पर एक करोड़ रुपए की राशि इनाम स्वरुप प्रदान की जाएगी. उन्होंने कहा, तीनों खिलाड़ियों को पहले से ही राज्य सरकार के वन विभाग में एसीएफ के पद पर नियुक्ति दी हुई है. राज्य के खिलाड़ियों ने पदक जीतकर देश-प्रदेश का नाम रोशन किया है, हमें उन पर बेहद गर्व है.

उल्लेखनीय है कि 19 वर्षीय लेखरा ने सोमवार को टोक्यो पैरालंपिक खेलों की निशानेबाजी प्रतियोगिता में महिलाओं के आर-2 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच1 में स्वर्ण पदक जीतकर यह मुकाम हासिल किया.

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गहलोत ने खिलाड़ियों को बधाई देते हुए कहा, जयपुर की अवनि लेखरा को निशानेबाजी प्रतियोगिता में महिलाओं के 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीत कर भारत के लिये इतिहास रचने के लिये हार्दिक बधाई, पूरे देश को उन पर बहुत गर्व हैं. यह भारतीय खेलों के लिये बहुत अच्छा दिन है.

उन्होंने कहा, 'हमें राजस्थान के पैरालंपिक भाला फैंकने वाले देवेन्द्र झाझड़िया पर बहुत गर्व है, जिन्होंने टोक्यो पैरालंपिक खेल में सिल्वर पदक और सुंदर सिंह गुर्जर ने कांस्य पदक जीते. यह एक अद्भुत क्षण है.

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गहलोत की ओर से जारी एक बयान के अनुसार राज्य सरकार खेलों को बढ़ावा देने के लिए राज्य में पदक विजेता खिलाड़ियों को आउट आफ टर्न पॉलिसी के आधार पर राजकीय सेवाओं में नियुक्तियां दी जा रही हैं. टोक्यो पैरालंपिक खेलों में मेडल जीतने वाले तीनों खिलाड़ी अवनि लेखरा, देवेन्द्र झाझड़िया तथा सुन्दर गुर्जर को राज्य सरकार ने आउट आफ टर्न आधार पर वन विभाग में सहायक वन संरक्षक के रूप में नियुक्ति प्रदान की है.

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इसके अनुसार राज्य की इन तीनों खेल प्रतिभाओं को निखारने के लिए पैरालंपिक खेलों के प्रशिक्षण के रूप में 5-5 लाख रुपए स्वीकृत किए गए हैं. अवनि लेखरा और सुन्दर गुर्जर को राज्य क्रीड़ा परिषद द्वारा निःशुल्क प्रशिक्षण तथा अन्य सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं. अवनी जयपुर की आधुनिकतम सुविधाओं से युक्त जगतपुरा शूटिंग रेंज में तथा सुन्दर सवाई मानसिंह स्टेडियम की एथलेटिक्स स्पोर्ट्स अकादमी में नियमित प्रशिक्षण ले रहे हैं.

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