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हर मैच नहीं जीत सकते, टीम इंडिया के लिए यह अस्थाई दौर : रवि शास्त्री

भारतीय पूर्व कोच रवि शास्त्री ने लीजैंड्स लीग क्रिकेट से इतर पीटीआई से बातचीत में कहा, एक सीरीज हारने के बाद लोग आलोचना करने लगते हैं. आप हर मैच नहीं जीत सकते. जीत और हार चलती रहती है.

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Ravi Shastri Statement
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Published : Jan 25, 2022, 2:35 PM IST

मस्कट: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कोच रवि शास्त्री का मानना है कि दक्षिण अफ्रीका की कमजोर टीम से टेस्ट और वनडे सीरीज हारने के बावजूद घबराने की जरूरत नहीं है. इस अस्थाई दौर से टीम जल्दी ही उबर जाएगी. तीनों प्रारूपों से विराट कोहली के कप्तानी छोड़ने के बाद कार्यवाहक कप्तान केएल राहुल के साथ भारतीय टीम को वनडे सीरीज में 0–3 से पराजय झेलनी पड़ी. इसके पहले टेस्ट सीरीज में उसे 1–2 से पराजय मिली.

बता दें, पिछले साल टी-20 विश्व कप के बाद शास्त्री का कार्यकाल समाप्त हो गया था. शास्त्री ने कहा, उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज की एक गेंद भी नहीं देखी. लेकिन उन्होंने यह मानने से इनकार किया कि टीम के प्रदर्शन के स्तर में गिरावट आई है. अचानक प्रदर्शन कैसे गिर सकता है. पांच साल तक आप दुनिया की नंबर एक टीम रहे हैं. चिंता की कोई जरूरत नहीं है और यह नाकामी एक अस्थाई दौर है.

यह भी पढ़ें: पिच का पेंच! गए थे 29 साल की कसक पूरी करने, लेकिन इतिहास भी बदनुमा कर लौटे

उन्होंने कहा, पिछले पांच साल से जीत का अनुपात 65 प्रतिशत रहा है तो चिंता की क्या बात है. विरोधी टीमों को चिंता करनी चाहिए. कोहली ने टेस्ट सीरीज में हार के एक दिन बाद टेस्ट टीम की कप्तानी छोड़ने का फैसला किया. शास्त्री ने कहा, यह व्यक्तिगत निर्णय है और ऐसे फैसलों का सम्मान किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, यह उसका फैसला है. उसके फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए. हर चीज का एक समय होता है. अतीत में भी कई बड़े खिलाड़ियों ने अपनी बल्लेबाजी पर फोकस करने के लिए कप्तानी छोड़ी है. चाहे सचिन तेंदुलकर हों, सुनील गावस्कर या एमएस धोनी और अब विराट कोहली.

यह पूछने पर कि कप्तानी विवाद के बाद क्या उनके शारीरिक हाव-भाव बदल गए हैं, शास्त्री ने कहा, मैंने इस सीरीज की एक गेंद भी नहीं देखी. लेकिन मुझे नहीं लगता कि विराट कोहली में बहुत बदलाव आएगा. मैंने सात साल बाद क्रिकेट से ब्रेक लिया है. एक बात तो तय है कि मैं सार्वजनिक तौर पर आपसी मतभेदों के बारे में बात नहीं करता, जिस दिन मेरा कार्यकाल समाप्त हुआ, उसी दिन से मैने साफ कर दिया था कि मैं सार्वजनिक मंच पर अपने खिलाड़ियों के बारे में बात नहीं करूंगा.

यह भी पढ़ें: भारत के ODI सीरीज हारने के कारणों पर एक नजर

कोहली 68 में से 40 टेस्ट जीतकर भारत के सफलतम टेस्ट कप्तान रहे. लेकिन सीमित ओवरों के क्रिकेट में उनकी कप्तानी में भारतीय टीम कोई आईसीसी खिताब नहीं जीत सकी. शास्त्री ने कहा, एक कप्तान का आकलन इस आधार पर नहीं होना चाहिए. कई बड़े खिलाड़ियों ने विश्व कप नहीं जीता. इससे क्या हुआ. सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले ने भी नहीं जीता तो क्या उन्हें खराब खिलाड़ी कहेंगे.

उन्होंने कहा, हमारे पास कितने विश्व कप विजेता कप्तान हैं. सचिन तेंदुलकर ने छह विश्व कप खेलने के बाद जीता. आखिर में आपका आकलन आपके खेल और खेल के दूत के रूप में भूमिका से होता है. आपने कितनी ईमानदारी से खेला और कितने लंबे समय तक खेला.

कप्तानी के मसले पर बीसीसीआई से कोहली की ठनने के बारे में उन्होंने कहा, संवाद महत्वपूर्ण है. मुझे नहीं पता कि उनके बीच क्या बात हुई. मैं उसका हिस्सा नहीं था. दोनों पक्षों से बात किए बिना मैं कुछ नहीं कह सकता. सूचना के अभाव में मुंह बंद रखना ही अच्छा होता है.

मस्कट: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कोच रवि शास्त्री का मानना है कि दक्षिण अफ्रीका की कमजोर टीम से टेस्ट और वनडे सीरीज हारने के बावजूद घबराने की जरूरत नहीं है. इस अस्थाई दौर से टीम जल्दी ही उबर जाएगी. तीनों प्रारूपों से विराट कोहली के कप्तानी छोड़ने के बाद कार्यवाहक कप्तान केएल राहुल के साथ भारतीय टीम को वनडे सीरीज में 0–3 से पराजय झेलनी पड़ी. इसके पहले टेस्ट सीरीज में उसे 1–2 से पराजय मिली.

बता दें, पिछले साल टी-20 विश्व कप के बाद शास्त्री का कार्यकाल समाप्त हो गया था. शास्त्री ने कहा, उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज की एक गेंद भी नहीं देखी. लेकिन उन्होंने यह मानने से इनकार किया कि टीम के प्रदर्शन के स्तर में गिरावट आई है. अचानक प्रदर्शन कैसे गिर सकता है. पांच साल तक आप दुनिया की नंबर एक टीम रहे हैं. चिंता की कोई जरूरत नहीं है और यह नाकामी एक अस्थाई दौर है.

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उन्होंने कहा, पिछले पांच साल से जीत का अनुपात 65 प्रतिशत रहा है तो चिंता की क्या बात है. विरोधी टीमों को चिंता करनी चाहिए. कोहली ने टेस्ट सीरीज में हार के एक दिन बाद टेस्ट टीम की कप्तानी छोड़ने का फैसला किया. शास्त्री ने कहा, यह व्यक्तिगत निर्णय है और ऐसे फैसलों का सम्मान किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा, यह उसका फैसला है. उसके फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए. हर चीज का एक समय होता है. अतीत में भी कई बड़े खिलाड़ियों ने अपनी बल्लेबाजी पर फोकस करने के लिए कप्तानी छोड़ी है. चाहे सचिन तेंदुलकर हों, सुनील गावस्कर या एमएस धोनी और अब विराट कोहली.

यह पूछने पर कि कप्तानी विवाद के बाद क्या उनके शारीरिक हाव-भाव बदल गए हैं, शास्त्री ने कहा, मैंने इस सीरीज की एक गेंद भी नहीं देखी. लेकिन मुझे नहीं लगता कि विराट कोहली में बहुत बदलाव आएगा. मैंने सात साल बाद क्रिकेट से ब्रेक लिया है. एक बात तो तय है कि मैं सार्वजनिक तौर पर आपसी मतभेदों के बारे में बात नहीं करता, जिस दिन मेरा कार्यकाल समाप्त हुआ, उसी दिन से मैने साफ कर दिया था कि मैं सार्वजनिक मंच पर अपने खिलाड़ियों के बारे में बात नहीं करूंगा.

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कोहली 68 में से 40 टेस्ट जीतकर भारत के सफलतम टेस्ट कप्तान रहे. लेकिन सीमित ओवरों के क्रिकेट में उनकी कप्तानी में भारतीय टीम कोई आईसीसी खिताब नहीं जीत सकी. शास्त्री ने कहा, एक कप्तान का आकलन इस आधार पर नहीं होना चाहिए. कई बड़े खिलाड़ियों ने विश्व कप नहीं जीता. इससे क्या हुआ. सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले ने भी नहीं जीता तो क्या उन्हें खराब खिलाड़ी कहेंगे.

उन्होंने कहा, हमारे पास कितने विश्व कप विजेता कप्तान हैं. सचिन तेंदुलकर ने छह विश्व कप खेलने के बाद जीता. आखिर में आपका आकलन आपके खेल और खेल के दूत के रूप में भूमिका से होता है. आपने कितनी ईमानदारी से खेला और कितने लंबे समय तक खेला.

कप्तानी के मसले पर बीसीसीआई से कोहली की ठनने के बारे में उन्होंने कहा, संवाद महत्वपूर्ण है. मुझे नहीं पता कि उनके बीच क्या बात हुई. मैं उसका हिस्सा नहीं था. दोनों पक्षों से बात किए बिना मैं कुछ नहीं कह सकता. सूचना के अभाव में मुंह बंद रखना ही अच्छा होता है.

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