बुलंदशहर (उप्र) : अंडर-19 महिला टी-20 विश्व कप टूर्नामेंट में भारत की खिताबी जीत में अहम भूमिका निभाने वाली बुलंदशहर की हरफनमौला खिलाड़ी पार्श्वी चोपड़ा कभी स्केटिंग की दीवानी थीं लेकिन अब क्रिकेट ही उनकी जिंदगी बन गया है.
भारत ने पहले महिला अंडर-19 टी-20 विश्व कप के फाइनल में रविवार को इंग्लैंड को सात विकेट से हराकर खिताब पर कब्जा कर लिया. इस जीत में 16 साल की लेग ब्रेक गेंदबाज पार्श्वी ने चार ओवर में मात्र 13 रन देकर दो महत्वपूर्ण विकेट लिए.
भारत की ऐतिहासिक जीत पर जहां देश भर में जश्न का माहौल है, वहीं बुलंदशहर के सिकंदराबाद में पार्श्वी के पिता गौरव चोपड़ा के घर में भी खुशियां छाई हुई हैं. भारत की खिताबी जीत के बाद पार्श्वी के पैतृक निवास सिकंदराबाद में ढोल की धुन पर उनके तमाम रिश्तेदारों ने जमकर नृत्य किया और मिठाइयां बांटी.
पार्श्वी के पिता ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, पार्श्वी बचपन से ही क्रिकेट मैच देखती थी. मगर शुरुआत में उसे स्केटिंग का जुनून था और वह इसमें काफी अच्छा कर रही थी लेकिन स्केटिंग से उसका मन अचानक हटकर क्रिकेट में लग गया. अब क्रिकेट ही उसकी जिंदगी बन चुका है.
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चोपड़ा ने कहा कि उन्हें बहुत खुशी है कि उनकी बेटी ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाली भारतीय टीम का एक अहम हिस्सा है. उन्होंने कहा, हमने कभी पार्श्वी की कोचिंग में कोई कमी नहीं होने दी. पार्श्वी ने दो अकादमी जॉइन की हैं ताकि उसे रोजाना सीखने का मौका मिले. एक अकादमी हफ्ते में तीन से चार दिन ही चलती है.
उन्होंने कहा कि पार्श्वी ने सफलता की पहली सीढ़ी हासिल की है. अभी बहुत लंबा सफर है और सीखने की उम्र तो कभी खत्म नहीं होती है. पार्श्वी की मां शीतल चोपड़ा ने बताया कि पार्श्वी जब 10 साल की थी तब से खेल पर मेहनत कर रही है. वह जब 12 साल की थी तब उसने अपना पहला ट्रायल दिया था, लेकिन तब उसका चयन नहीं हो पाया था. उसके बाद 13 साल की उम्र में उसका चयन हुआ. वह अंडर-16 भी खेल चुकी है.
पीटीआई-भाषा