ETV Bharat / ram-mandir

प्राण प्रतिष्ठा से पहले BHU का ऐलान, काशी हिंदू विश्वविद्यालय कराएगा रामायण और प्रभु राम पर पीएचडी

अयोध्या राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले बनारस हिन्दू विश्वविद्याल (BHU) ने बड़ा ऐलान किया है. विश्वविद्यालय ने हिंदू स्टडी के तहत रामायण और प्रभु पर पीएचडी कराने की घोषणा की है. Ram Mandir 2024

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 10, 2024, 12:54 PM IST

काशी हिंदू विश्वविद्यालय कराएगा रामायण और प्रभु श्रीराम पर पीएचडी.

वाराणसी : काशी हिंदू विश्वविद्यालय अब प्रभु श्री राम पर शोध करने की तैयारी में है, जिससे युवाओं को भगवान श्री राम के बारे में बताया जा सके. यह शोध हिंदू स्टडीज के तहत किया जाएगा. अभी तक बीएचयू में हिंदू स्टडीज के तहत एमए कोर्स का संचालन किया जाता रहा है, जिसमें रामायण एक पेपर है. अब पहली बार प्रभु श्री राम पर शोध होने जा रहा है. रामलला के मंदिर में विराजने से जहां राम नाम का संदेश पूरे देश में जाएगा तो वहीं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय भी राम को जन-जन तक पहुंचाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इसके पाठ्यक्रम में उसे भी शामिल किया गया है जो भगवान राम चित्रकूट में भरत को राजनीति विषयक उपदेश देते हैं. (Ram Mandir 2024)

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में रामायण और प्रभु श्रीराम पर होगा शोध.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में रामायण और प्रभु श्रीराम पर होगा शोध.


तृतीय सेमेस्टर में वाल्मीकि रामायण पर केंद्रित : प्रो. सदाशिव द्विवेदी ने बताया कि हिन्दू स्टडीज का जो पाठ्यक्रम है. इस पाठ्यक्रम में एक पूरा का पूरा कोर्स तृतीय सेमेस्टर में वाल्मीकि रामायण पर केंद्रित है. यह पाठ्यक्रम वाल्मीकि रामायण को समग्रता में आज की युवा पीढ़ी के सम्मुख प्रस्तुत करने का एक अभूतपूर्व प्रयास है. इसमें इतिहास भी है और सिद्धांत भी है. अब तक रामायण के विषय में जो कुछ भी लिखा गया उससे विद्यार्थियों को परिचित कराना. इसके साथ ही विभिन्न भाषाओं में जो रामायण लिखी गई उससे विद्यार्थी को परिचित कराना और महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में जो बातें, जो सिद्धांत लिखे गए हैं उनके बारे में और उनके सार को विद्यार्थियों तक पहुंचाना हमारा उद्देश्य है.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में रामायण और प्रभु श्रीराम पर होगा शोध.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में रामायण और प्रभु श्रीराम पर होगा शोध.


भगवान राम का दिया भरत को दिया उपदेश शामिल : प्रो. सदाशिव द्विवेदी ने बताया कि विशेषकर हमने इस पाठ्यक्रम में अयोध्याकांड का सौवां सर्ग निर्धारित किया है. इसमें भगवान राम चित्रकूट में भरत को राजनीति विषयक उपदेश देते हैं. यह सर्ग संपूर्ण भारतीय जनमानस में कच्चिद सर्ग के रूप में जाना जाता है. भगवान राम ने समाज के छोटे से छोटे तबके से लेकर और ऊंचे से ऊंचे तबके के व्यक्ति के साथ किस प्रकार शासन को व्यवहार करना चाहिए, कैसी उसकी सुख-सुविधा की रक्षा और संवर्धन के लिए प्रयास करने चाहिए, किस प्रकार एक समान दृष्टि रखते हुए राजा को समाज के प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षित रखना चाहिए. इसका बहुत ही व्यावहारिक, सटीक, सार्वभौमिक एवं सर्वमान्य स्वरूप भरत के सम्मुख उन्होंने प्रस्तुत किया है.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में रामायण और प्रभु श्रीराम पर होगा शोध.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में रामायण और प्रभु श्रीराम पर होगा शोध.

नेट-जेआरएफ की भी व्यवस्था : प्रो. सदाशिव द्विवेदी कहते हैं कि आज भगवान राम के उपदेश को विद्यार्थियों को परिचित कराना चाहिए और ये बताना चाहिए कि हमारी पूरी परंपरा कहीं भी समाज में किसी भी स्तर पर भेद को लेकर नहीं चलती थी. एमए हिन्दू स्टडीज में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने नेट और जेआरएफ परीक्षा बीते तीन वर्षों से आयोजित की है. उन परीक्षाओं में हमारे विद्यार्थियों ने भी भाग लिया. अब तक जिन विद्यार्थियों ने इस केंद्र में प्रवेश लिया है वो करीब तीन वर्ष में करीब 120 विद्यार्थियों की संख्या है. पहले और दूसरे बैच के जो विद्यार्थी हैं उनमें से 17 विद्यार्थियों ने नेट-जेआरएफ उत्तीर्ण कर लिया है. इसके बाद उनकी पीएचडी में रजिस्ट्रेशन की पात्रता बन जाती है. केंद्र के द्वारा पाठ्यक्रम के अन्तर्गत पीएचडी लागू करने की प्रक्रिया की जा रही है.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में होगी रामायण और प्रभु राम पर पीएचडी.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में होगी रामायण और प्रभु राम पर पीएचडी.


नेशनल टेस्टिंग एजेंसी कराती है टेस्ट : प्रो. सदाशिव द्विवेदी ने बताया कि केंद्र में जैसे ही पीएचडी लागू हो जाता है उन विद्यार्थियों को हम यहां पर पंजीकृत कर सकते हैं. जितने अन्य पाठ्यक्रम हैं उन पाठ्यक्रमों में प्रतिबंध है कि आप एमए उसी विषय में कर सकते हैं जिस विषय में आपने ग्रेजुएशन किया हो. यह पहला पाठ्यक्रम है जो इन फैकल्टीज के द्वारा दिए जाने वाले पाठ्यक्रमों से हटकर है, जिसमें किसी भी विषय में विद्यार्थी ने स्नातक किया हुआ है 50 फीसदी अंकों के साथ तो वह इस पाठ्यक्रम में एडमिशन ले सकता है. वह भी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के द्वारा आयोजित की जाने वाली विश्वविद्यालय के माध्यम से परीक्षा में आवेदन कर सकता है.



तीन अलग-अलग सिद्धांतों पर पढ़ाई : प्रो. सदाशिव द्विवेदी ने बताया कि अभी तक जो विद्यार्थी आए उनमें बीटेक, एमटेक, साइंस फैकल्टी, बीएससी, एमएससी एवं संस्कृत के अलावा अन्य विषयों से पास छात्रों ने एडमिशन लिया है. हिन्दू स्टडीज में पूरा एक पाठ्यक्रम रामायण पर केंद्रित है. एमए हिन्दू स्टडीज पाठ्यक्रम के तीन स्तर हैं. पहला स्तर है सिद्धांत. हमारे यहां सिद्धांत कैसे बने? सिद्धांत बनने का आधार था लोक का दर्शन. दूसरा है उन सिद्धांतों का परीक्षण. कैसे हमने उन सिद्धांतों को परीक्षित किया है. वह है हमारी प्रमाण मीमांसा. पहले आ जाती है तत्व मीमांसा. तीसरी है व्यवहार मीमांसा जो हम सिद्धांतों को किताबों में बंद नहीं रखा बल्कि लोक तक ले गए. लोगों के जीवन में उतारा और उनके जीवन को हमने व्यस्थित किया. (Ram Mandir 2024)

यह भी पढ़ें : प्रयागराज के हाजी मोहम्मद असलम ने श्री राम के लिए भेजी पश्मीना शाॅल, 22 जनवरी को जलाएंगे 51 दीप

अयोध्या रवाना हुई श्रीराम की चरण पादुका, रामोजी फिल्म सिटी में लोगों ने किए दर्शन

काशी हिंदू विश्वविद्यालय कराएगा रामायण और प्रभु श्रीराम पर पीएचडी.

वाराणसी : काशी हिंदू विश्वविद्यालय अब प्रभु श्री राम पर शोध करने की तैयारी में है, जिससे युवाओं को भगवान श्री राम के बारे में बताया जा सके. यह शोध हिंदू स्टडीज के तहत किया जाएगा. अभी तक बीएचयू में हिंदू स्टडीज के तहत एमए कोर्स का संचालन किया जाता रहा है, जिसमें रामायण एक पेपर है. अब पहली बार प्रभु श्री राम पर शोध होने जा रहा है. रामलला के मंदिर में विराजने से जहां राम नाम का संदेश पूरे देश में जाएगा तो वहीं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय भी राम को जन-जन तक पहुंचाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. इसके पाठ्यक्रम में उसे भी शामिल किया गया है जो भगवान राम चित्रकूट में भरत को राजनीति विषयक उपदेश देते हैं. (Ram Mandir 2024)

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में रामायण और प्रभु श्रीराम पर होगा शोध.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में रामायण और प्रभु श्रीराम पर होगा शोध.


तृतीय सेमेस्टर में वाल्मीकि रामायण पर केंद्रित : प्रो. सदाशिव द्विवेदी ने बताया कि हिन्दू स्टडीज का जो पाठ्यक्रम है. इस पाठ्यक्रम में एक पूरा का पूरा कोर्स तृतीय सेमेस्टर में वाल्मीकि रामायण पर केंद्रित है. यह पाठ्यक्रम वाल्मीकि रामायण को समग्रता में आज की युवा पीढ़ी के सम्मुख प्रस्तुत करने का एक अभूतपूर्व प्रयास है. इसमें इतिहास भी है और सिद्धांत भी है. अब तक रामायण के विषय में जो कुछ भी लिखा गया उससे विद्यार्थियों को परिचित कराना. इसके साथ ही विभिन्न भाषाओं में जो रामायण लिखी गई उससे विद्यार्थी को परिचित कराना और महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में जो बातें, जो सिद्धांत लिखे गए हैं उनके बारे में और उनके सार को विद्यार्थियों तक पहुंचाना हमारा उद्देश्य है.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में रामायण और प्रभु श्रीराम पर होगा शोध.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में रामायण और प्रभु श्रीराम पर होगा शोध.


भगवान राम का दिया भरत को दिया उपदेश शामिल : प्रो. सदाशिव द्विवेदी ने बताया कि विशेषकर हमने इस पाठ्यक्रम में अयोध्याकांड का सौवां सर्ग निर्धारित किया है. इसमें भगवान राम चित्रकूट में भरत को राजनीति विषयक उपदेश देते हैं. यह सर्ग संपूर्ण भारतीय जनमानस में कच्चिद सर्ग के रूप में जाना जाता है. भगवान राम ने समाज के छोटे से छोटे तबके से लेकर और ऊंचे से ऊंचे तबके के व्यक्ति के साथ किस प्रकार शासन को व्यवहार करना चाहिए, कैसी उसकी सुख-सुविधा की रक्षा और संवर्धन के लिए प्रयास करने चाहिए, किस प्रकार एक समान दृष्टि रखते हुए राजा को समाज के प्रत्येक व्यक्ति को सुरक्षित रखना चाहिए. इसका बहुत ही व्यावहारिक, सटीक, सार्वभौमिक एवं सर्वमान्य स्वरूप भरत के सम्मुख उन्होंने प्रस्तुत किया है.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में रामायण और प्रभु श्रीराम पर होगा शोध.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में रामायण और प्रभु श्रीराम पर होगा शोध.

नेट-जेआरएफ की भी व्यवस्था : प्रो. सदाशिव द्विवेदी कहते हैं कि आज भगवान राम के उपदेश को विद्यार्थियों को परिचित कराना चाहिए और ये बताना चाहिए कि हमारी पूरी परंपरा कहीं भी समाज में किसी भी स्तर पर भेद को लेकर नहीं चलती थी. एमए हिन्दू स्टडीज में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने नेट और जेआरएफ परीक्षा बीते तीन वर्षों से आयोजित की है. उन परीक्षाओं में हमारे विद्यार्थियों ने भी भाग लिया. अब तक जिन विद्यार्थियों ने इस केंद्र में प्रवेश लिया है वो करीब तीन वर्ष में करीब 120 विद्यार्थियों की संख्या है. पहले और दूसरे बैच के जो विद्यार्थी हैं उनमें से 17 विद्यार्थियों ने नेट-जेआरएफ उत्तीर्ण कर लिया है. इसके बाद उनकी पीएचडी में रजिस्ट्रेशन की पात्रता बन जाती है. केंद्र के द्वारा पाठ्यक्रम के अन्तर्गत पीएचडी लागू करने की प्रक्रिया की जा रही है.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में होगी रामायण और प्रभु राम पर पीएचडी.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय में होगी रामायण और प्रभु राम पर पीएचडी.


नेशनल टेस्टिंग एजेंसी कराती है टेस्ट : प्रो. सदाशिव द्विवेदी ने बताया कि केंद्र में जैसे ही पीएचडी लागू हो जाता है उन विद्यार्थियों को हम यहां पर पंजीकृत कर सकते हैं. जितने अन्य पाठ्यक्रम हैं उन पाठ्यक्रमों में प्रतिबंध है कि आप एमए उसी विषय में कर सकते हैं जिस विषय में आपने ग्रेजुएशन किया हो. यह पहला पाठ्यक्रम है जो इन फैकल्टीज के द्वारा दिए जाने वाले पाठ्यक्रमों से हटकर है, जिसमें किसी भी विषय में विद्यार्थी ने स्नातक किया हुआ है 50 फीसदी अंकों के साथ तो वह इस पाठ्यक्रम में एडमिशन ले सकता है. वह भी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी के द्वारा आयोजित की जाने वाली विश्वविद्यालय के माध्यम से परीक्षा में आवेदन कर सकता है.



तीन अलग-अलग सिद्धांतों पर पढ़ाई : प्रो. सदाशिव द्विवेदी ने बताया कि अभी तक जो विद्यार्थी आए उनमें बीटेक, एमटेक, साइंस फैकल्टी, बीएससी, एमएससी एवं संस्कृत के अलावा अन्य विषयों से पास छात्रों ने एडमिशन लिया है. हिन्दू स्टडीज में पूरा एक पाठ्यक्रम रामायण पर केंद्रित है. एमए हिन्दू स्टडीज पाठ्यक्रम के तीन स्तर हैं. पहला स्तर है सिद्धांत. हमारे यहां सिद्धांत कैसे बने? सिद्धांत बनने का आधार था लोक का दर्शन. दूसरा है उन सिद्धांतों का परीक्षण. कैसे हमने उन सिद्धांतों को परीक्षित किया है. वह है हमारी प्रमाण मीमांसा. पहले आ जाती है तत्व मीमांसा. तीसरी है व्यवहार मीमांसा जो हम सिद्धांतों को किताबों में बंद नहीं रखा बल्कि लोक तक ले गए. लोगों के जीवन में उतारा और उनके जीवन को हमने व्यस्थित किया. (Ram Mandir 2024)

यह भी पढ़ें : प्रयागराज के हाजी मोहम्मद असलम ने श्री राम के लिए भेजी पश्मीना शाॅल, 22 जनवरी को जलाएंगे 51 दीप

अयोध्या रवाना हुई श्रीराम की चरण पादुका, रामोजी फिल्म सिटी में लोगों ने किए दर्शन

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.