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गर्भनिरोधक गोलियों का इस्तेमाल करने वाली महिलाएं रहें सावधान, बच्चों के लिए है घातक - वाराणसी में न्यूरोथैरेपी

अनचाहे गर्भ (unwanted pregnancy) को रोकने के लिए गर्भनिरोधक गोलियों (contraceptive pills) का इस्तेमाल करने वाली महिलाएं सावधान हो जाएं. ये दवाइयां महिलाओं की सेहत के साथ-साथ भविष्य में बच्चे की चाहत पर असर डाल रही हैं. इस समस्या को विस्तार से जानें..

बच्चों के लिए है घातक
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Published : Dec 8, 2022, 5:35 PM IST

वाराणसीः अनचाहा गर्भ या फिर कम उम्र में किये गए भूल को छिपाने के लिए गर्भनिरोधक गोलियां (contraceptive pills) खाना आसान हो गया है. लेकिन ये गोलियां महिलाओं के साथ-साथ भविष्य में होने वाले बच्चों पर भी खासा असर डाल रही हैं. एक शोध ने सामने आया है कि अत्यधिक गर्भ निरोधक दवाओं का सेवन करने से बच्चो में ऑटिज्म यानी भावनात्मक शून्यता की शिकायत ज्यादा आ रही है.

चिकित्सकों की मानें तो अनचाहे गर्भ (unwanted pregnancy) को हटाने के लिए तत्काल में तो ये दवाएं साथ दे रही हैं. लेकिन भविष्य में बच्चे की चाहत पर ये खासा असर डाल रही हैं. क्योंकि इस बीमारी का असर बच्चों पर भी पड़ रहा है. इस बीमारी में सिर दर्द, माइग्रेन नकारात्मक सोच जैसी बीमारियां तेजी से हो रही हैं. यही नहीं इससे नई अविवाहित लडकियां भी परेशान हैं.

गर्भनिरोधक गोलियों पर वाराणसी के डॉक्टरों ने कही ये बातें..
बच्चे अपनी दुनिया में रहते हैं मस्तन्यूरोथेरेपिस्ट डॉक्टर एमएन विश्वकर्मा (Neurotherapist Dr MN Vishwakarma) ने बताया कि ऑटिज्म के बच्चों के के लिए गर्भ निरोधक गोलियां बहुत ही नुकसानदायक होती हैं. महिलाएं जब ये गोलियां खाते हैं. तो उस समय कुछ पता नहीं चलता है. लेकिन जब बच्चा पैदा होता है तो 6 महीने तक नॉर्मल दिखता है. उसके बाद बच्चे बोलते नहीं हैं, सुनते नहीं हैं. वो अपनी ही दुनिया में ही मस्त रहते हैं. महिलाओं के शरीर पर होता है साइड इफेक्टउन्होंने बताया कि अगर माता पिता ये सोचते हैं कि मेरा बच्चा किसी से बात करे तो वो बात भी नहीं करता है. वो अपने जरूरत भर को चीजों का ही इस्तेमाल करता है. लगातर गर्भनिरोधक गोलियों को नहीं खाना चाहिए. इससे महिलाओं के शरीर पर भी साइड इफेक्ट्स पड़ते हैं. न्यूरोथैरेपी से बच्चों में हो रहा सुधार डाक्टर एमएन विश्वकर्मा ने बताया कि कम से कम 25 बच्चे ऑटिज्म के हमारे यहां आते हैं. जो भी बच्चे आते हैं. उन्हें न्यूरोथैरेपी से काफी आराम मिला है. इसके साथ ही जो बच्चे स्कूल नहीं जाते थे. वो अब स्कूल जाना शूरू कर दिए हैं. वैक्सीन से बच्चों पर सीधा असरइस बारे में स्त्री रोग विशेषज्ञ डाक्टर नेहा शर्मा (Gynecologist Dr Neha Sharma) ने बताया कि जब महिलाएं गर्भवती होती हैं. तो उस समय वो क्या खा रही हैं. क्या पी रही हैं. इसका बहुत ध्यान रखना होता है. कुछ वैक्सीन हम लगवाते हैं. कुछ टेटनस के वैक्सीन लगवाते हैं. लेकिन उन वैक्सीन को नहीं लगवाना चाहिए. खासकर ऐसी वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए. उन्होंने बताया कि वैक्सीन में कुछ प्रिजर्वेटिव्स होते हैं. जिन्हें बाद में देखा गया है कि जब बच्चा पैदा होता है. तो ऑटिज्म का शिकार होता है. ये शिकायत सिर्फ वैक्सीन के प्रिजर्वेटिव से ही नहीं स्मोकिंग से या आप किसी डाई इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं या किसी ऐसी इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं. जहां पर आप हैवी मेटल्स की डीलिंग कर रहे हैं. तो ये सारी टॉक्सिन है. जिनसे गर्भावस्था में बिलकुल ही बचाव करना चाहिए. इसका सीधा असर बच्चे पर पड़ता है.इन दवाओं से लिबिडो होता है कमडॉक्टर ने बताया कि गर्भनिरोधक दवाओं से कुछ महिलाओं में लिबिडो में कमी आ सकती है. उनमें सेक्स के प्रति रुचि कम हो जाती है. क्योंकि ये दवाइयां टेस्टोस्टेरॉन के स्तर को कम कर देती हैं. हालांकि, ये गर्भनिरोधक सभी महिलाओं में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम करते हैं. लेकिन कुछ में ही कामेच्छा में कमी लाते हैं.गर्भनिरोधक गोलियां खाने से नुकसानवहीं, डॉक्टर ने कहा कि यदि आप लगातार गर्भनिरोधक गोलियां खाती हैं. तो आप में अवसाद यानी डिप्रेशन की समस्या भी हो सकती है. इससे शरीर में प्रोजेस्टेरॉन, एस्ट्रोजेन नामक हार्मोन में गड़बड़ी आती है. जो डिप्रेशन, स्ट्रेस को बढ़ावा देते हैं. मूड हमेशा खराब रह सकता है. जो मानसिक सेहत के लिए सही नहीं है. डॉक्टर ने बताया कि गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन करने से कई तरह के साइइ इफेक्ट्स भी हो सकते हैं. महिलाओं का पीरियड्स अनियमित हो सकता है. मूड स्विंग की समस्या हो सकती है. वजन कम या बढ़ सकता है. बार-बार इसे ओवर द काउंटर मेडिसिन की तरह खाने से गर्भ धारण करने में भी समस्या आ सकती है.यह भी पढ़ें-वाराणसी में 'बदनाम' हो रही चाय की एक दुकान, जानिए क्या है असली बात

वाराणसीः अनचाहा गर्भ या फिर कम उम्र में किये गए भूल को छिपाने के लिए गर्भनिरोधक गोलियां (contraceptive pills) खाना आसान हो गया है. लेकिन ये गोलियां महिलाओं के साथ-साथ भविष्य में होने वाले बच्चों पर भी खासा असर डाल रही हैं. एक शोध ने सामने आया है कि अत्यधिक गर्भ निरोधक दवाओं का सेवन करने से बच्चो में ऑटिज्म यानी भावनात्मक शून्यता की शिकायत ज्यादा आ रही है.

चिकित्सकों की मानें तो अनचाहे गर्भ (unwanted pregnancy) को हटाने के लिए तत्काल में तो ये दवाएं साथ दे रही हैं. लेकिन भविष्य में बच्चे की चाहत पर ये खासा असर डाल रही हैं. क्योंकि इस बीमारी का असर बच्चों पर भी पड़ रहा है. इस बीमारी में सिर दर्द, माइग्रेन नकारात्मक सोच जैसी बीमारियां तेजी से हो रही हैं. यही नहीं इससे नई अविवाहित लडकियां भी परेशान हैं.

गर्भनिरोधक गोलियों पर वाराणसी के डॉक्टरों ने कही ये बातें..
बच्चे अपनी दुनिया में रहते हैं मस्तन्यूरोथेरेपिस्ट डॉक्टर एमएन विश्वकर्मा (Neurotherapist Dr MN Vishwakarma) ने बताया कि ऑटिज्म के बच्चों के के लिए गर्भ निरोधक गोलियां बहुत ही नुकसानदायक होती हैं. महिलाएं जब ये गोलियां खाते हैं. तो उस समय कुछ पता नहीं चलता है. लेकिन जब बच्चा पैदा होता है तो 6 महीने तक नॉर्मल दिखता है. उसके बाद बच्चे बोलते नहीं हैं, सुनते नहीं हैं. वो अपनी ही दुनिया में ही मस्त रहते हैं. महिलाओं के शरीर पर होता है साइड इफेक्टउन्होंने बताया कि अगर माता पिता ये सोचते हैं कि मेरा बच्चा किसी से बात करे तो वो बात भी नहीं करता है. वो अपने जरूरत भर को चीजों का ही इस्तेमाल करता है. लगातर गर्भनिरोधक गोलियों को नहीं खाना चाहिए. इससे महिलाओं के शरीर पर भी साइड इफेक्ट्स पड़ते हैं. न्यूरोथैरेपी से बच्चों में हो रहा सुधार डाक्टर एमएन विश्वकर्मा ने बताया कि कम से कम 25 बच्चे ऑटिज्म के हमारे यहां आते हैं. जो भी बच्चे आते हैं. उन्हें न्यूरोथैरेपी से काफी आराम मिला है. इसके साथ ही जो बच्चे स्कूल नहीं जाते थे. वो अब स्कूल जाना शूरू कर दिए हैं. वैक्सीन से बच्चों पर सीधा असरइस बारे में स्त्री रोग विशेषज्ञ डाक्टर नेहा शर्मा (Gynecologist Dr Neha Sharma) ने बताया कि जब महिलाएं गर्भवती होती हैं. तो उस समय वो क्या खा रही हैं. क्या पी रही हैं. इसका बहुत ध्यान रखना होता है. कुछ वैक्सीन हम लगवाते हैं. कुछ टेटनस के वैक्सीन लगवाते हैं. लेकिन उन वैक्सीन को नहीं लगवाना चाहिए. खासकर ऐसी वैक्सीन नहीं लगवानी चाहिए. उन्होंने बताया कि वैक्सीन में कुछ प्रिजर्वेटिव्स होते हैं. जिन्हें बाद में देखा गया है कि जब बच्चा पैदा होता है. तो ऑटिज्म का शिकार होता है. ये शिकायत सिर्फ वैक्सीन के प्रिजर्वेटिव से ही नहीं स्मोकिंग से या आप किसी डाई इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं या किसी ऐसी इंडस्ट्री में काम कर रहे हैं. जहां पर आप हैवी मेटल्स की डीलिंग कर रहे हैं. तो ये सारी टॉक्सिन है. जिनसे गर्भावस्था में बिलकुल ही बचाव करना चाहिए. इसका सीधा असर बच्चे पर पड़ता है.इन दवाओं से लिबिडो होता है कमडॉक्टर ने बताया कि गर्भनिरोधक दवाओं से कुछ महिलाओं में लिबिडो में कमी आ सकती है. उनमें सेक्स के प्रति रुचि कम हो जाती है. क्योंकि ये दवाइयां टेस्टोस्टेरॉन के स्तर को कम कर देती हैं. हालांकि, ये गर्भनिरोधक सभी महिलाओं में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम करते हैं. लेकिन कुछ में ही कामेच्छा में कमी लाते हैं.गर्भनिरोधक गोलियां खाने से नुकसानवहीं, डॉक्टर ने कहा कि यदि आप लगातार गर्भनिरोधक गोलियां खाती हैं. तो आप में अवसाद यानी डिप्रेशन की समस्या भी हो सकती है. इससे शरीर में प्रोजेस्टेरॉन, एस्ट्रोजेन नामक हार्मोन में गड़बड़ी आती है. जो डिप्रेशन, स्ट्रेस को बढ़ावा देते हैं. मूड हमेशा खराब रह सकता है. जो मानसिक सेहत के लिए सही नहीं है. डॉक्टर ने बताया कि गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन करने से कई तरह के साइइ इफेक्ट्स भी हो सकते हैं. महिलाओं का पीरियड्स अनियमित हो सकता है. मूड स्विंग की समस्या हो सकती है. वजन कम या बढ़ सकता है. बार-बार इसे ओवर द काउंटर मेडिसिन की तरह खाने से गर्भ धारण करने में भी समस्या आ सकती है.यह भी पढ़ें-वाराणसी में 'बदनाम' हो रही चाय की एक दुकान, जानिए क्या है असली बात
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